भारत और EFTA के बीच मुक्त व्यापार समझौता 1 अक्टूबर से लागू, 100 अरब डॉलर के निवेश का वादा
भारत और यूरोप के चार देशों के संगठन EFTA (यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन) के बीच ऐतिहासिक व्यापार समझौता 1 अक्टूबर 2025 से लागू होने जा रहा है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार (19 जुलाई) को इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि यह समझौता भारत के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आया है, जिससे निवेश और रोजगार दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
इस ट्रेड एंड इकनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (TEPA) पर हस्ताक्षर इस वर्ष 10 मार्च 2024 को किए गए थे। EFTA में चार देश — स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन शामिल हैं।
भारत को 100 अरब डॉलर का निवेश मिलेगा
इस समझौते के तहत, EFTA देशों ने भारत में अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है। इसमें से पहले 10 वर्षों में 50 अरब डॉलर, और उसके बाद के पांच वर्षों में अतिरिक्त 50 अरब डॉलर का निवेश शामिल है। अनुमान है कि इससे 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
स्विस उत्पाद होंगे सस्ते
इस समझौते के तहत भारत ने कई विदेशी उत्पादों जैसे स्विस घड़ियों, चॉकलेट्स, बिस्किट्स और हीरे (कट और पॉलिश किए हुए) पर सीमा शुल्क को धीरे-धीरे खत्म करने की सहमति दी है। इससे आने वाले वर्षों में भारतीय ग्राहकों को ये उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद पहले की तुलना में कम दाम पर मिल सकेंगे।
सेवाओं के क्षेत्र में भी व्यापक सहयोग
सेवाओं के क्षेत्र में भी यह समझौता महत्वपूर्ण है। भारत ने 105 उप-क्षेत्रों में EFTA देशों को बाजार पहुंच की पेशकश की है, जिनमें अकाउंटिंग, आईटी, हेल्थकेयर, और बिजनेस सर्विसेज शामिल हैं। बदले में, भारत को स्विट्ज़रलैंड से 128, नॉर्वे से 114, लिकटेंस्टीन से 107 और आइसलैंड से 110 उप-क्षेत्रों में पहुंच मिली है।
EFTA के सबसे बड़े सदस्य स्विट्ज़रलैंड को भारत का प्रमुख व्यापारिक भागीदार माना जाता है, जबकि अन्य तीन देशों के साथ व्यापार अभी कम स्तर पर है। लेकिन इस समझौते से भारतीय निर्यातकों को यूरोपीय यूनियन तक पहुंच बनाने का भी मौका मिलेगा, क्योंकि स्विट्ज़रलैंड की सेवाओं का एक बड़ा हिस्सा EU को जाता है।
भारत की व्यापार रणनीति में आत्मनिर्भरता
एक उद्योगिक बैठक के दौरान मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत की व्यापार नीति में राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं। उन्होंने कहा, “हम कोई ऐसा समझौता नहीं करेंगे जिससे भारत के हितों को नुकसान पहुंचे। अब दुनिया भारत की प्रतिभा और कौशल को पहचान रही है, और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”
उन्होंने यह भी कहा कि COVID-19 महामारी और हाल के महीनों में कुछ कच्चे माल के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों से यह सीख मिली है कि आपूर्ति श्रृंखला को आत्मनिर्भर और लचीला बनाना कितना जरूरी है।
2024-25 में भारत और EFTA के बीच व्यापार 24.4 अरब डॉलर
वर्तमान आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और EFTA देशों के बीच कुल व्यापार 24.4 अरब डॉलर रहा। यह समझौता इस व्यापार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की संभावना रखता है।