बस्तर के 29 नक्सल प्रभावित गांवों में पहली बार लहराया तिरंगा, शांति और विकास की नई शुरुआत
रायपुर, 16 अगस्त 2025/ आजादी के 78 साल बाद बस्तर के उन गांवों में तिरंगा शान से लहराया, जहां दशकों तक नक्सलियों का लाल झंडा खौफ का प्रतीक रहा। स्वतंत्रता दिवस 2025 के अवसर पर बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा जिलों के 29 नक्सल प्रभावित गांवों में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि बदलते बस्तर की ऐतिहासिक तस्वीर है, जो सुरक्षा बलों के साहस, सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और ग्रामीणों के विश्वास का परिणाम है। इन गांवों में तिरंगे का फहरना शांति और विकास की दिशा में एक मील का पत्थर है।
बीजापुर जिले के कोंडापल्ली, जीड़पल्ली, वाटेवागु, कर्रेगुट्टा, पिड़िया, पुजारीकांकेर और भीमारम; नारायणपुर जिले के गारपा, कच्चापाल, बेड़माकोट्टी, कांदूलनार, रायनार; तथा सुकमा जिले के गोमगुड़ा, गोल्लाकुंडा, नुलकातोंग और उसकावाया जैसे गांवों में आजादी के बाद पहली बार तिरंगा फहराया गया। ये गांव दशकों से नक्सल हिंसा और भय के साए में रहे, लेकिन अब ये शांति और प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस उपलब्धि को सुशासन का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, “बस्तर अब हिंसा और भय से बाहर निकलकर प्रगति, समृद्धि और विश्वास की ओर अग्रसर है। हमारा वचन है कि विकास की रोशनी हर गांव तक पहुंचेगी और कोई भी नागरिक इससे अछूता नहीं रहेगा।”
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इसे सुरक्षा बलों की मेहनत और स्थानीय समुदायों के धैर्य का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, “जिन गांवों में कभी लाल झंडे का खौफ था, वहां आज तिरंगा फहरा रहा है। यह बस्तर में नई सुबह का प्रतीक है। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर बस्तर के विकास के लिए कटिबद्ध हैं।”
पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों की रणनीति, नए शिविरों की स्थापना और लगातार दबाव ने नक्सली ताकत को कमजोर किया है। आत्मसमर्पण नीतियों के माध्यम से कई उग्रवादी मुख्यधारा में लौटे हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा उपायों के साथ-साथ विकास ही स्थायी समाधान है। नियद नेल्ला नार योजना, सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं का विस्तार, प्रधानमंत्री आवास योजना और मनरेगा जैसी योजनाओं ने ग्रामीणों को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाया है। स्वास्थ्य शिविर, शिक्षा और रोजगार के अवसरों के साथ प्रशासन का संवेदनशील रवैया ग्रामीणों का भरोसा जीत रहा है।
बस्तर के इन 29 गांवों में फहराता तिरंगा पूरे देश को संदेश देता है कि इच्छाशक्ति, रणनीति और जनभागीदारी से कोई चुनौती असंभव नहीं है। कर्रेगुट्टा जैसे गांवों में तिरंगा हिंसा की अंधेरी रात को पीछे छोड़कर शांति, विकास और आत्मविश्वास से भरे भविष्य का प्रतीक बन गया है।