गृह मंत्रालय का बड़ा फैसला: बस्तर अब उग्रवाद प्रभावित जिला नहीं
छत्तीसगढ़ में माओवादी उग्रवाद के खिलाफ लंबे संघर्ष के बाद, एक ऐतिहासिक बदलाव करते हुए केंद्र सरकार ने बस्तर और कोण्डागांव को वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित जिलों की सूची से हटा दिया है। गृह मंत्रालय की इस घोषणा को राज्य में सुरक्षा व्यवस्था और विकास के लिहाज से एक अहम मोड़ माना जा रहा है।
पिछले 25 वर्षों से LWE श्रेणी में शामिल बस्तर को अब “लिगेसी और थ्रस्ट जिलों” के रूप में पुनः वर्गीकृत किया गया है। इस नई श्रेणी में वे जिले शामिल किए गए हैं जहाँ माओवादी गतिविधियों में उल्लेखनीय कमी आई है, लेकिन सतर्कता और विकास कार्यों की निरंतर आवश्यकता बनी हुई है।
बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज ने कहा, “बस्तर और कोण्डागांव अब उन 30 जिलों में शामिल हैं जिन्हें ‘लिगेसी और थ्रस्ट’ श्रेणी में रखा गया है। यह उन्हें सीधे तौर पर उग्रवाद से प्रभावित जिलों की सूची से बाहर करता है, लेकिन यहां विकास और सुरक्षा दोनों ही प्राथमिकता में रहेंगे।”
यह फैसला हाल ही में नारायणपुर में माओवादी महासचिव बसवराजु और 27 अन्य उग्रवादियों के मारे जाने के बाद लिया गया है, जिसे सुरक्षा बलों की एक बड़ी सफलता के रूप में देखा गया था।
उच्च मतदान दर बनी सकारात्मक संकेत
2023 के विधानसभा चुनावों में बस्तर और कोण्डागांव में क्रमशः 84.6% और 81.7% की रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग देखी गई — ऐसे क्षेत्रों में जहाँ पहले माओवादी धमकियों के चलते मतदान प्रभावित होता था। यह आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि जनता अब लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में विश्वास जता रही है।
हालांकि, बस्तर संभाग के अन्य हिस्सों में खतरा अभी भी बना हुआ है। सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और कांकेर अब भी “गंभीर रूप से प्रभावित जिलों” में शामिल हैं, जबकि दंतेवाड़ा को “अन्य प्रभावित जिलों” की सूची में रखा गया है।
संघर्ष से शांति की ओर बढ़ता बस्तर
पिछले पांच वर्षों में कोण्डागांव में सिर्फ एक मुठभेड़ दर्ज की गई है — जिसमें अप्रैल 2024 में दो वरिष्ठ नक्सली कमांडर मारे गए थे। IG सुंदरराज के अनुसार, “हाल के महीनों में सघन ऑपरेशनों के कारण बस्तर क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों में काफी गिरावट आई है। अब हमारा फोकस इस क्षेत्र को पूरी तरह नक्सल-मुक्त बनाने पर है।”
हालांकि गृह मंत्रालय ने 2024-25 के वित्तीय वर्ष के लिए अभी तक किसी भी नए केंद्रीय सहायता पैकेज की घोषणा नहीं की है, फिर भी ‘लिगेसी और थ्रस्ट’ श्रेणी में शामिल जिलों में अब विकास योजनाओं और शासन की पहुँच को प्राथमिकता दिए जाने की उम्मीद है।
छत्तीसगढ़ के अलावा, देशभर में कुल 18 जिलों को अब भी LWE से संबंधित श्रेणियों में रखा गया है — जिनमें से 6 जिले छत्तीसगढ़ से हैं।
नए युग की शुरुआत?
बस्तर, जो एक समय देश में माओवादी उग्रवाद का केंद्र माना जाता था, अब बदलती रणनीति और प्रभावशाली सुरक्षा अभियानों के चलते शांति और विकास की दिशा में बढ़ता दिखाई दे रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त कोशिशें अब उस दिशा में आगे बढ़ रही हैं जहाँ बंदूक की जगह विकास की बात हो — और बस्तर इस बदलाव का प्रतीक बनता दिख रहा है।