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बांग्लादेश में तख्ता पलट और शेख हसीना का जान बचाकर भागना

बांग्लादेश में कई दिनों से चल रहे आंदोलन का पटाक्षेप तख्ता पलट से हुआ। वहाँ के लोग प्रधानमंत्री के घर में घुस गये और उसे तहस नहस कर दिया। सारा सामान उठा ले गये। वहाँ से आए हुए वीडियों में दिखाई दे रहा है कि लोगों ने कुर्सी टेबल, पंखे, एसी सहित जिसको जो मिला, वो उठा ले गया। तख्ता पलट में आई एस आई का हाथ बताया जा रहा है।

शेख हसीना को ऐसी घटना की भनक लग चुकी थी। सेना के सहयोग से वह भाग निकली और भारत के हिंडन एयरपोर्ट पर उतर कर वहीं के गेस्ट हाउस में आराम कर रही है। बताया जाता है कि उसकी बेटी भी भारत में निवास करती है। पन्द्रह वर्षों तक निर्बाध बांग्लादेश में शासन करने के बाद उसे पन्द्रह मिनट में भागना पड़ा। इसके पीछे विपक्षी पार्टियों एवं इस्लामिक संगठन जमायते इस्लामी का हाथ बताया जा रहा है।

बांग्लादेश की ताजा घटनाओं में प्रधानमंत्री शेख हसीना का भागना और वहां की राजनीतिक स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण हो गई है। हाल के हफ्तों में, सरकारी नौकरियों में कोटा सुधार को लेकर छात्र प्रदर्शन शुरू हुए, जो तेजी से एक व्यापक विद्रोह में बदल गए। हसीना के “रजाकारों के परिवार” जैसी टिप्पणियों ने आंदोलन को और भड़काया।

सरकार की हिंसक प्रतिक्रिया और बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी के बावजूद, प्रदर्शनकारियों ने उनके इस्तीफे की मांग जारी रखी। विरोध प्रदर्शनों में पुलिस की बर्बरता, लाइव गोला-बारूद का उपयोग और हेलिकॉप्टर से फायरिंग के दृश्य सामने आए। इस हिंसा में ढाका और आसपास के शहरों में कई मौतें हुई हैं।

बांग्लादेश में विद्रोह के चार प्रमुख कारण दिखाई देते हैं जिनमें प्रमुख रुप से छात्रों द्वारा सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन। पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा हिंसक प्रतिक्रिया, जिसमें लाइव गोला-बारूद का उपयोग। लंबे समय से चल रहे सरकार के दमन और दबाव की नीति। व्यापक भ्रष्टाचार और 41% युवा बेरोजगारी आदि कारणों से वहाँ के युवा आंदोलित थे और उनकों विपक्षी दलों का भी समर्थन प्राप्त था।

इन कारणों के अलावा प्रदर्शनकारियों की नौ प्रमुख मांगों में से एक में बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल) को सभी कैंपसों से प्रतिबंधित करना शामिल है। हाल के दिनों में बीसीएल को छात्रों द्वारा विभिन्न छात्रावासों से निकाल दिया गया है। शेख हसीना की सरकार, जिसने तीन लगातार चुनावों के माध्यम से सत्ता बनाए रखी, अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। लंबे समय तक शासन की कठोरता और दबाव के बावजूद, जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है और हसीना की वैधता पर सवाल खड़े हो रहे थे। जिसकी परिणिति तख्ता पलट से हुई।

इस तख्ता पलट में सेना की भूमिका प्रमुख रुप से दिखाई दे रही है। सेना ने प्रधानमंत्री हाउस की सुरक्षा करने एवं आंदोलनकारियों पर गोली चलाने से इंकार कर दिया। ऐसी स्थिति में शेख हसीना को सेना से समझौता करना पड़ा, जिससे सेना ने उसे भागने के लिए सैनिक विमान उपलब्ध कराया। भागने के लिए सैनिक विमान उपलब्ध कराने से ही समझ आता है कि सेना चाहती तो उसे भागने नहीं देती, परन्तु सेना ही चाहती थी कि वह भाग जाए।

वैसे भी भारत के पड़ोसी देशों में तख्ता पलट की घटनाएं होती रही हैं, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, फ़िर श्रीलंका में इसी तरह आंदोलनकारी प्रधानमंती के घर में घुस गये और उसे भागना पड़ा। अब यह घटना बांग्लादेश में दोहराई गई। अब बांग्लादेश में अराजकता का माहौल बना हुआ है। इस अराजकता के माहौल एवं तख्ता पलट के कारण भारत की चिंताएं बढ़ गई है तथा भारतीय प्रधानमंत्री भी इस घटाना क्रम पर नजर रखे हुए हैं।

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