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छद्म प्रेमजाल में फंसाकर हिंदू लड़कियों का सुनियोजित मतांतरण, कोड वर्ड ‘मिट्टी पलटना’

बलरामपुर, उत्तर प्रदेश। गरीब, विधवा और भावनात्मक रूप से असुरक्षित हिंदू लड़कियों को निशाना बनाकर धर्म परिवर्तन के नाम पर चल रहे एक गहरे षड्यंत्र का पर्दाफाश बलरामपुर जिले में हुआ है। इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ छांगुर था, जिसे आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने गिरफ्तार कर लिया है।

छांगुर और उसके सहयोगियों की बातचीत की ऑडियो क्लिप्स से जो जानकारी सामने आई है, वह न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह एक बहुस्तरीय और सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र की ओर संकेत करती है। इन क्लिप्स में छांगुर ‘मिट्टी पलटना’ शब्द का प्रयोग मतांतरण के लिए करता था और लड़कियों को ‘प्रोजेक्ट’ कहकर संबोधित करता था। ‘काजल’ शब्द का अर्थ मानसिक रूप से प्रभावित करना था, जबकि ‘दर्शन’ का तात्पर्य था छांगुर से मिलवाना।

ATS की टीम जब मधपुर पहुंची, तो उसने छांगुर और उसकी महिला साथी नीतू उर्फ नसरीन को हिरासत में लिया। साथ ही, नवीन उर्फ जमालुद्दीन और महबूब नामक व्यक्तियों से भी पूछताछ की जा रही है। ATS को इस गिरोह से जुड़े 20 लोगों की सूची मिली है, जिनमें मदरसा शिक्षक, मौलवी और कुछ प्रॉपर्टी डीलर भी शामिल हैं।

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अब तक की जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर का नेटवर्क केवल बलरामपुर तक सीमित नहीं था, बल्कि यह श्रावस्ती, बहराइच और नेपाल सीमा तक फैला हुआ था। उसने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर कई मदरसों की स्थापना की, जो शिक्षा की आड़ में मजहबी प्रचार का केंद्र बने। इतना ही नहीं, विदेशी फंडिंग के जरिए इन संस्थानों को चलाया गया। जांच एजेंसियों के अनुसार, अब तक करीब 100 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग और 40 से अधिक संदिग्ध बैंक खातों की जानकारी मिल चुकी है।

स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, छांगुर का गतिविधियों का केंद्र शुक्रवार को छोड़ बाकी दिनों श्रावस्ती और नेपाल के बीच सक्रिय रहता था। वह स्वयं शांत और कम बोलने वाला व्यक्ति प्रतीत होता था, लेकिन उसके पीछे एक व्यापक नेटवर्क काम कर रहा था।

गिरोह का सबसे प्रभावी तरीका था—हिंदू लड़कियों को सोशल मीडिया के माध्यम से फर्जी नामों से संपर्क करना, उन्हें प्रेमजाल में फँसाना, शादी का वादा करना और फिर मतांतरण की शर्त रखना। उन्हें नौकरी, स्कॉलरशिप और विदेश में बसने का सपना दिखाकर फुसलाया जाता था।

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छांगुर ने पूछताछ में बताया कि मतांतरण के लिए अलग-अलग धर्म की लड़कियों के लिए अलग रकम तय थी। गिरोह से जुड़े युवक हिंदू नामों से फर्जी पहचान बनाकर संपर्क करते थे और मतांतरण के बाद नकद इनाम या सुविधाएं पाते थे।

चौंकाने वाली बात यह भी है कि छांगुर ने पूछताछ में एक पूर्व IPS अधिकारी से अपनी नियमित मुलाकात की बात स्वीकार की है। यह मुलाकात ‘रियाज’ नामक बिचौलिए के जरिए होती थी। इस कड़ी ने पूरे प्रशासनिक तंत्र को सकते में डाल दिया है।

ATS की टीमें अब इस नेटवर्क की गहराई में जाकर छानबीन कर रही हैं। जिन मदरसों और खातों के माध्यम से फंडिंग की गई, उनकी फॉरेंसिक जांच शुरू हो गई है। नेपाल से जुड़ाव को देखते हुए एजेंसियां अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों से भी संपर्क साध रही हैं।

यह पूरा मामला दर्शाता है कि कैसे शिक्षा, सेवा और दया जैसे शब्दों की आड़ में एक गहरी साजिश को अंजाम दिया गया। यह केवल एक राज्य या जिले का मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भीतर से खोखला करने वाला षड्यंत्र है, जिसकी जड़ें सीमाओं के पार तक फैली हैं।

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निष्कर्षतः, बलरामपुर में सामने आया यह मामला धर्मांतरण के नाम पर चल रही अंतरराष्ट्रीय साजिशों को बेनकाब करता है। अब आवश्यकता है सख्त कानूनी कार्रवाई की, ताकि भविष्य में कोई ‘मिट्टी पलटने’ की हिम्मत न कर सके। साथ ही समाज को भी सजग और जागरूक होना पड़ेगा, क्योंकि परिवर्तन का पहला कदम ‘प्रोजेक्ट’ से नहीं, ‘प्रवंचना’ से शुरू होता है