बारिश की कमी से बलौदा बाजार में धान की फसल पर संकट, किसान चिंतित
अर्जुनी बलौदाबाजार/ सावन माह समाप्त हो चुका है, लेकिन इस वर्ष इन्द्रदेव अब तक मेहरबान नहीं हुए हैं। जिले में बारिश की कमी का असर खरीफ धान की फसल पर साफ दिखाई देने लगा है। बीते वर्षों में सावन के दौरान खेत, खलिहान, नदी-नाले पानी से लबालब भरे रहते थे, जबकि इस बार तेज धूप और भीषण गर्मी से खेत सूखने लगे हैं और कई जगहों पर दरारें पड़ गई हैं।
बारिश की कमी से किसान न तो खाद का छिड़काव कर पा रहे हैं और न ही बयासी का कार्य पूरा हो पा रहा है। जिले में अब तक केवल 40–44 फीसदी बयासी ही हो पाई है, जबकि सामान्य दिनों में इस समय तक यह कार्य पूर्ण हो जाता है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार धान की फसल को बचाने के लिए अब जल्द भारी बारिश होना जरूरी है, अन्यथा इस वर्ष किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा।
20 लाख हेक्टेयर से अधिक में धान की खेती
बलौदा बाजार ब्लॉक में 40,458 हेक्टेयर, पलारी में 43,700 हेक्टेयर, भाटापारा में 31,644 हेक्टेयर, सिमगा में 39,150 हेक्टेयर और कसडोल में 45,611 हेक्टेयर समेत जिले में कुल 20 लाख 564 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ धान की खेती होती है। बारिश की कमी के कारण रोपाई कार्य पूरी तरह प्रभावित हुआ है। असिंचित क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां किसान पूरी तरह मानसूनी बारिश पर निर्भर हैं।
असिंचित फसलें सूखने के कगार पर
80 प्रतिशत धान की फसल बारिश पर निर्भर है। लगातार दो सप्ताह से बारिश न होने और तेज धूप पड़ने से खेतों की नमी खत्म हो रही है। कई स्थानों पर धान के पौधे पीले पड़ने लगे हैं और कुम्हला रहे हैं। नदी-नालों के किनारे बसे कुछ किसान पाइपलाइन से पानी खींचकर फसल बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन टेल एरिया और असिंचित गांवों में हालात गंभीर हैं।
बारिश का आंकड़ा चिंताजनक
1 जून से 10 अगस्त तक सिमगा में 508 मिमी, भाटापारा में 556 मिमी, बलौदा बाजार में 494 मिमी, पलारी में 614 मिमी, कसडोल में 448 मिमी, लवन में 503 मिमी, सुहेला में 707 मिमी, टुंड्रा में 629 मिमी और सोनाखान में 556 मिमी बारिश दर्ज की गई है। औसत से कम बारिश और तेज धूप के कारण खेतों में बची नमी भी खत्म होती जा रही है, जिससे फसल पर संकट और गहरा गया है।
किसानों का कहना है कि यदि इस सप्ताह अच्छी बारिश नहीं हुई, तो धान की पैदावार में भारी गिरावट तय है। वहीं कृषि विभाग ने भी किसानों को फसल बचाने के लिए सभी संभव उपाय अपनाने की सलाह दी है।
