उत्तराखंड हिमस्खलन: 14 और श्रमिकों को बचाया गया, 8 अब भी फंसे हुए
उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में शुक्रवार तड़के हुए एक भयंकर हिमस्खलन के बाद बचाव अभियान में राहत की खबरें सामने आई हैं। 1 मार्च 2025, शनिवार को, बचावकर्मियों ने मलबे से 14 और श्रमिकों को सुरक्षित निकाला, जिससे अब तक कुल 47 श्रमिकों को मलबे से बाहर निकाला जा चुका है। हालांकि, आठ श्रमिक अब भी फंसे हुए हैं, जिनकी तलाश जारी है।
यह हिमस्खलन माणा और बद्रीनाथ के बीच स्थित बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) के एक कैंप में हुआ था, जहां 55 श्रमिकों का दल काम कर रहा था। शुक्रवार को खराब मौसम और बर्फबारी के कारण बचाव कार्य में रुकावट आई, लेकिन शनिवार को मौसम साफ होते ही बचाव अभियान को फिर से तेज कर दिया गया और हेलीकॉप्टरों को भी इसमें शामिल किया गया।
चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन.के. जोशी के अनुसार, भारतीय सेना और इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) के जवानों ने सुबह से ही मलबे में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए पूरी तरह से काम शुरू कर दिया है।
इस बीच, जिन तीन श्रमिकों को शुक्रवार को गंभीर हालत में बचाया गया था, उन्हें इलाज के लिए ITBP अस्पताल, माणा में भर्ती किया गया था और बाद में एयरलिफ्ट कर उन्हें ज्योतिरमठ आर्मी अस्पताल भेजा गया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी स्थिति का जायजा लेने के लिए हिमस्खलन स्थल पर जाने की योजना बनाई है।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी की गई सूची के अनुसार, फंसे हुए श्रमिक विभिन्न राज्यों से हैं, जिनमें बिहार, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के श्रमिक शामिल हैं। हालांकि, सूची में सभी राज्यों के नाम नहीं दिए गए हैं।
बचाव अभियान में 65 से अधिक जवानों और अधिकारियों की टीम लगी हुई है, और स्थानीय प्रशासन ने बेहतर मौसम की उम्मीद जताई है, जिससे फंसे हुए श्रमिकों को जल्दी ही सुरक्षित निकाला जा सके।
माणा, जो बद्रीनाथ से केवल तीन किलोमीटर दूर है और 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, भारत-तिब्बत सीमा का आखिरी गांव है। यह क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है और इसका सामरिक महत्व भी है।
हालांकि चुनौतीपूर्ण स्थिति के बावजूद, अधिकारियों और बचावकर्मियों का मानना है कि जल्द ही सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा।