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धार्मिक और सामाजिक पुनर्जागरण के अग्रदूत : स्वामी दयानंद सरस्वती

स्वामी दयानंद सरस्वती भारतीय समाज में धार्मिक और सामाजिक पुनर्जागरण के अग्रदूत थे। वे एक महान सुधारक, विचारक और आर्य समाज के संस्थापक थे। बोध दिवस वह महत्वपूर्ण दिन है, जब स्वामी दयानंद को अपने आध्यात्मिक लक्ष्य और सत्य की वास्तविकता का साक्षात्कार हुआ। यह दिन उनके जीवन में एक निर्णायक मोड़ था, जिसने उन्हें वेदों के शुद्ध ज्ञान के प्रचार और सामाजिक सुधार की ओर प्रेरित किया।

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पैरी भी वरदान साबित होगी महासमुन्द जिले के लिए ;चुन्नीलाल साहू

छत्तीसगढ़ की जीवन रेखाओं में से एक पैरी नदी भी महासमुन्द जिले की जनता के लिए वरदान साबित हो सकती है, बशर्ते इस नदी पर गरियाबंद जिले में निर्मित सिकासेर बाँध का ओवर फ्लो होकर व्यर्थ बह जाने वाला अतिरिक्त पानी नहरों के जरिए महासमुन्द जिले में स्थित शहीद वीर नारायण सिंह बाँध (कोडार बाँध )में लाया जाए

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वसंत के संदेशवाहक महुआ के फ़ूल

महुआ और पलाश के खिलते हुए फूल वसंत के संदेशवाहक हैं, जो हमें ऋतुराज के आगमन की सूचना देते हैं. महुए के पेड़ों के नीचे बहुत जल्द उनके सुनहरे ,पीले फूलों की बारिश होगी। वसंत के इस मौसम में अभी महुए की कलियां धीरे -धीरे कुचिया रही हैं। जैसे ही फूल बनकर धरती पर उनका टपकना शुरू होगा , वनवासियों के लिए मौसमी रोजगार के भी दिन आ जाएंगे ।

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क्या है USAID फ़ंडिग विवाद?

हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आरोप लगाया है कि USAID ने भारत में 2024 के आम चुनावों के दौरान मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 182 करोड़ रुपये) की फंडिंग प्रदान की, जिसे उन्होंने “किकबैक स्कीम” यानी रिश्वत योजना कहा है। ट्रम्प का दावा है कि यह फंडिंग पिछले बाइडेन प्रशासन द्वारा भारतीय चुनावों में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से दी गई थी, ताकि मौजूदा मोदी सरकार को सत्ता से हटाया जा सके।

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जब दिल्ली की जामा मस्जिद में गूंजे थे वेद मंत्र

स्वामी श्रद्धानंद हिंदू-मुस्लिम एकता के भी प्रबल समर्थक थे। उन्होंने वर्ष 1919 में दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में एक प्रेरणादायक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने वेद मंत्रों का उच्चारण किया। यह घटना अपने आप में अभूतपूर्व थी और यह दर्शाती थी कि वे सच्चे अर्थों में धार्मिक एकता के पक्षधर थे। उन्होंने सदैव सभी धर्मों की समानता पर बल दिया और उनके विचारों ने समाज को नई दिशा दी।

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क्यों देखनी चाहिए “छावा” मुवी, जानिए

इतिहास के छिपाए हुए पहलुओं को उजागर करते दर्शकों को आक्रांताओं की क्रूरता से परिचित कराती हैं। ऐसी ही एक फ़िल्म ‘छावा’ मराठी साहित्यकार शिवाजी सावंत द्वारा लिखित प्रसिद्ध उपन्यास छावा पर आधारित है, जो छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर केंद्रित है। यह फ़िल्म दर्शकों को मराठा साम्राज्य के वीर योद्धा संभाजी महाराज की बहादुरी, नेतृत्व और संघर्षों से परिचित कराती है।

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