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औरंगजेब की मजार पर महाराष्ट्र में तैनात की गई भारी सुरक्षा, हिंदू संगठनों की “बाबरी मस्जिद जैसे परिणाम” की धमकी

महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब की मजार के पास सोमवार को भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया। यह कदम उस समय उठाया गया जब हिंदू संगठनों, विशेषकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के सदस्यों ने औरंगजेब की मजार को हटाने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांग नहीं मानेगी तो इसे बाबरी मस्जिद जैसा हश्र भुगतना पड़ेगा।

बजरंग दल के नेता नितिन महाजन ने रविवार को औरंगजेब की मजार को हटाने की मांग करते हुए कहा कि अगर सरकार इस पर कार्रवाई नहीं करती, तो मजार को बाबरी मस्जिद की तरह नष्ट कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जब हिंदू समुदाय अपनी पहचान और अस्तित्व के लिए आंदोलन करता है तो वह क्या कर सकता है, यह हमने अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ध्वस्त होने के बाद देखा है।

महाजन ने एक साक्षात्कार में कहा, “हमारे समाज में जब ऐसी मजारों की पूजा की जाती है, तो समाज भी उसी दिशा में बढ़ता है। पहले हम मजबूर थे, लेकिन अब विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने इसे हटाने की मांग की है। 17 मार्च को हम सरकार से मांग करेंगे कि इसे हटाया जाए। यदि ऐसा होता है, तो हम सरकार का स्वागत करेंगे, लेकिन अगर नहीं हुआ, तो हम सड़कों पर उतरेंगे और बड़ा आंदोलन करेंगे।”

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और गोशामहल विधायक टी राजा सिंह ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर यह जानकारी मांगी है कि औरंगजेब की मजार की देखरेख पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कितने पैसे खर्च किए हैं। उन्होंने 15 मार्च को लिखे गए पत्र में औरंगजेब की मजार की देखभाल, सुरक्षा और अन्य संबंधित खर्चों का विस्तृत विवरण देने का अनुरोध किया है।

कांग्रेस ने वीएचपी और बजरंग दल की आलोचना की

कांग्रेस नेता विजय वडेटीवार ने सोमवार को कहा कि बजरंग दल और वीएचपी महाराष्ट्र के लोगों को शांति से रहने नहीं देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “यह लोग सिर्फ विवाद पैदा करना चाहते हैं। ये लोग महाराष्ट्र के विकास को धीमा करना चाहते हैं और हिंदू-मुस्लिम मुद्दों को उभारकर राज्य के असल मुद्दों से ध्यान भटका रहे हैं।”

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अतुल लोंढे पटेल ने कहा कि महाराष्ट्र की स्थिति तनावपूर्ण हो गई है, और राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से गिर चुकी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार किसानों के आत्महत्या, बेरोजगारी और अन्य समस्याओं से निपटने की बजाय सांप्रदायिक मुद्दों पर ध्यान दे रही है, ताकि असल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटके।

क्या है मामला?

यह विवाद उस समय बढ़ा जब बजरंग दल और वीएचपी ने 27 साल तक राज्य पर शासन करने वाले औरंगजेब की मजार को हटाने की मांग की। इन संगठनों का आरोप है कि औरंगजेब ने सम्राट संभाजी महाराज की हत्या की थी, और उसकी मजार को पूजा जाने से समाज में गलत संदेश जाता है।

यह मामला अब राज्य में कानून और व्यवस्था के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है, और सुरक्षा बलों ने औरंगजेब की मजार के आसपास अतिरिक्त सुरक्षा तैनात कर दी है।

आगे की स्थिति

राज्य सरकार और अन्य राजनीतिक दलों के लिए यह एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है, क्योंकि इस मुद्दे को लेकर राज्य में तनाव और विरोध प्रदर्शन बढ़ सकते हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मामले को धार्मिक विवाद के रूप में देखने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि हिंदू संगठनों का कहना है कि यह एक ऐतिहासिक गलतफहमी को सुधारने की दिशा में कदम है।

राजनीतिक संगठनों और सुरक्षा बलों के बीच यह संघर्ष राज्य में एक नई दिशा को जन्म दे सकता है, जहां असल मुद्दों की बजाय धार्मिक और सांप्रदायिक विषयों पर ज्यादा चर्चा हो रही है।

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