भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास: ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा
मिशन का अवलोकन
एक्सियॉम-4 मिशन 25 जून 2025 को दोपहर 12:01 बजे IST पर नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से लॉन्च हुआ। यह मिशन स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा संचालित ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट पर आधारित है, जिसे “ग्रेस” नाम दिया गया है। शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट हैं, और उनके साथ तीन अन्य अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री हैं: मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन (पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री और एक्सियॉम स्पेस की मानव अंतरिक्ष उड़ान निदेशक), पोलैंड के स्लावोश उज़नांस्की-विस्निव्स्की, और हंगरी के तिबोर कपु। यह मिशन 14 दिनों तक चलेगा, जिसमें चालक दल वैज्ञानिक अनुसंधान, वाणिज्यिक गतिविधियों और आउटरीच कार्यक्रमों में भाग लेगा।
शुभांशु शुक्ला: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
शुभांशु शुक्ला, जो उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 10 अक्टूबर 1985 को जन्मे, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन हैं। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए), पुणे से स्नातक किया और जून 2006 में वायुसेना के फाइटर स्ट्रीम में कमीशन प्राप्त किया। उनके पास 2,000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है, जिसमें सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जैगुआर, हॉक, डोर्नियर, और एन-32 जैसे विमानों का संचालन शामिल है। 2019 में, उन्हें इसरो द्वारा अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण के लिए चुना गया, और वह गगनयान मिशन के लिए चार चयनित अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं।
लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के पूर्व छात्र, शुभांशु ने हमेशा सितारों को छूने का सपना देखा था। उनकी मां, आशा शुक्ला, ने लॉन्च के दौरान भावुक होकर कहा, “सब खुश हैं। ये खुशी के आंसू हैं।” उनके पिता, शंभू दयाल शुक्ला, ने इसे “ईश्वर की कृपा” बताया। शुभांशु की पत्नी, कामना, ने भी उनके इस मिशन को समर्थन दिया, और लॉन्च से पहले उनकी भावनात्मक विदाई ने देशवासियों का दिल छू लिया।
मिशन का महत्व
एक्सियॉम-4 मिशन भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह मिशन भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं को बढ़ाने और गगनयान मिशन (2027 में प्रस्तावित) की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। शुभांशु शुक्ला इस मिशन के दौरान सात भारतीय वैज्ञानिक प्रयोग और पांच नासा के सहयोग से संयुक्त प्रयोग करेंगे। इन प्रयोगों में शामिल हैं:
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मांसपेशियों का पुनर्जनन: माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों की मरम्मत और पुनर्जनन की प्रक्रिया का अध्ययन।
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माइक्रोएल्गी विकास: अंतरिक्ष में माइक्रोएल्गी की वृद्धि और व्यवहार का विश्लेषण।
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जलीय जीवों की सहनशक्ति: टार्डिग्रेड्स जैसे एक्स्ट्रीमोफाइल्स की अंतरिक्ष में जीवित रहने और प्रजनन की क्षमता का अध्ययन।
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डिजिटल व्यवहार: शून्य गुरुत्वाकर्षण में अंतरिक्ष यात्रियों के स्क्रीन उपयोग, नेत्र गति, और तनाव प्रबंधन का अध्ययन।
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एक्सियॉम के उन्नत AxEMU स्पेससूट का परीक्षण: नासा के चंद्र अन्वेषण लक्ष्यों के लिए उच्च प्रदर्शन गतिशीलता का समर्थन।
ये प्रयोग न केवल वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाएंगे, बल्कि मधुमेह जैसे रोगों के उपचार और भविष्य के लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास में भी योगदान देंगे।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
एक्सियॉम-4 मिशन नासा, इसरो, स्पेसएक्स, और ईएसए के बीच एक महत्वपूर्ण सहयोग का प्रतीक है। भारत ने इस मिशन में शुभांशु की सीट के लिए 550 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो भारत की पहली निजी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष उड़ान में भागीदारी को दर्शाता है। मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन, जो नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और अब एक्सियॉम स्पेस की मानव अंतरिक्ष उड़ान निदेशक हैं, ने इस मिशन को वैश्विक सहयोग का एक उदाहरण बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च के बाद ट्वीट किया, “ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 1.4 अ-billion भारतीयों की आकांक्षाओं और सपनों को लेकर अंतरिक्ष में जा रहे हैं।” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे “अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर” बताया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शुभांशु को बधाई दी और इसे “वसुधैव कुटुंबकम” (विश्व एक परिवार है) का प्रतीक बताया।
लॉन्च और यात्रा
एक्सियॉम-4 मिशन का लॉन्च कई बार स्थगित होने के बाद अंततः 25 जून 2025 को हुआ। मौसम और तकनीकी समस्याओं, जैसे कि विंड कंडीशन डेटा अपलोड में देरी, के कारण लॉन्च को पहले मई 2025 के लिए निर्धारित किया गया था। हालांकि, स्पेसएक्स और इसरो की सावधानीपूर्वक जांच के बाद, मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 26 जून 2025 को दोपहर 4:30 बजे IST पर आईएसएस के साथ डॉक करने की उम्मीद है।
लॉन्च के बाद, शुभांशु ने ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से एक वीडियो संदेश में कहा, “नमस्ते, मेरे प्यारे देशवासियों, क्या सवारी है! हम 41 वर्षों के बाद फिर से अंतरिक्ष में हैं। यह एक अद्भुत अनुभव है। हम पृथ्वी के चारों ओर 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से चक्कर लगा रहे हैं। मेरे कंधे पर तिरंगा मुझे बता रहा है कि मैं आप सभी के साथ हूं। जय हिंद!”
सांस्कृतिक गौरव
शुभांशु ने अपने साथ भारतीय संस्कृति को भी अंतरिक्ष में ले गए। उन्होंने लखनऊ के प्रसिद्ध मलिहाबादी आमों से बना “आमरस” और “गाजर का हलवा” अपने साथ ले जाकर अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ साझा करने की योजना बनाई है। यह भारतीय परंपराओं और पहचान को 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में ले जाने का एक प्रतीकात्मक कदम है।
गगनयान मिशन के लिए महत्व
शुभांशु का यह मिशन इसरो के गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा। गगनयान, भारत का पहला स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन, 2027 में लॉन्च होने की उम्मीद है। शुभांशु का अनुभव, जिसमें प्री-लॉन्च संगरोध, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, अंतरिक्ष में प्रवेश और निकास प्रक्रियाएं, चिकित्सा निदान, और स्वास्थ्य तत्परता प्रोटोकॉल शामिल हैं, गगनयान की तैयारी में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा भारत के लिए एक गर्व का क्षण है। यह न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारत के बढ़ते अंतरिक्ष अनुसंधान और वैश्विक सहयोग का प्रतीक है। लखनऊ से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक, शुभांशु ने नई पीढ़ी को प्रेरित किया है कि वे सितारों तक पहुंचने का सपना देखें। जैसा कि उन्होंने अपने एक यूट्यूब वीडियो में कहा, “यदि मेरी कहानी एक भी जीवन को बदल सकती है, तो यह मेरे लिए एक बड़ी सफलता होगी।”