भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की ओर, ट्रंप बोले – ‘अब प्रतिस्पर्धा संभव होगी’
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि भारत और अमेरिका के बीच एक नया व्यापार समझौता जल्द ही अंतिम रूप ले सकता है, जिसमें “बहुत कम टैरिफ” होंगे। यह समझौता दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा को अधिक न्यायसंगत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
ट्रंप ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत के साथ हमारा एक अलग तरह का समझौता होगा। अभी की स्थिति यह है कि भारत किसी को बाजार में प्रवेश नहीं करने देता। लेकिन अगर यह बदला, तो हम एक ऐसा समझौता करेंगे जिसमें टैरिफ बहुत कम होंगे। इससे अमेरिकी कंपनियों को दक्षिण एशियाई बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।”
टैरिफ बढ़ोतरी को रोकने की समयसीमा नजदीक
वहीं, अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने फॉक्स न्यूज़ को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा कि भारत और अमेरिका एक ऐसे समझौते के करीब हैं, जिससे अमेरिकी सामानों पर भारत में लगने वाले आयात शुल्क को कम किया जा सकेगा और आगामी 26 प्रतिशत टैरिफ वृद्धि को टाला जा सकेगा, जिसकी समयसीमा 9 जुलाई को समाप्त हो रही है।
उन्होंने कहा, “हम भारत के साथ बहुत करीब हैं।” यह संकेत देता है कि दोनों देश 90 दिनों की टैरिफ रोक अवधि के समाप्त होने से पहले किसी समझौते पर पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं।
बिलेट्रल ट्रेड एग्रीमेंट की दिशा में तेज़ी से कदम
भारत और अमेरिका इस समय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) को अंतिम रूप देने की दिशा में गहन चर्चा में जुटे हैं। भारतीय दल, जिसकी अगुवाई मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल कर रहे हैं, ने अपनी वॉशिंगटन यात्रा को बढ़ा दिया है। वार्ताएं पहले गुरुवार और शुक्रवार को निर्धारित थीं, लेकिन अब उन्हें तब तक जारी रखने का निर्णय लिया गया है जब तक कि एक अंतरिम समझौता नहीं हो जाता।
यदि यह वार्ता विफल होती है, तो अप्रैल 2025 से निलंबित 26 प्रतिशत टैरिफ स्वतः लागू हो सकते हैं, जिससे दोनों देशों के व्यापार संबंधों में तनाव आ सकता है।
कृषि क्षेत्र बना सबसे बड़ा अवरोध
समझौते की राह में सबसे बड़ी चुनौती कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है। भारत, जो मुख्यतः लघु और मध्यम किसान आधारित कृषि प्रणाली पर निर्भर है, अमेरिका की ओर से आयात शुल्क कम करने के दबाव का मुकाबला कर रहा है। विशेष रूप से डेयरी सेक्टर को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए भारत कोई रियायत देने के मूड में नहीं है।
वहीं, अमेरिका सेब, ड्राई फ्रूट्स और जैविक रूप से संशोधित फसलों (Genetically Modified Crops) पर कम शुल्क की मांग कर रहा है। बदले में भारत वस्त्र, रत्न-आभूषण, चमड़ा उत्पाद और कृषि-आधारित निर्यातों जैसे झींगा, अंगूर, केले और तिलहन के लिए अधिक बाजार पहुंच चाहता है।