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पहलगाम आतंकवादी हमले पर तालिबान सरकार का बयान एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। इस हमले की निंदा विभिन्न देशों और संगठनों द्वारा की गई है, जिसमें अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का बयान भी शामिल है। यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण  हो जाता है कि जब तालिबानी सरकार अफ़गानिस्तान में बनी थी तब पाकिस्तान खुशी देखने लायक थी, क्योंकि एक समय तालिबान कश्मीर को जेहाद का मैदान मानता था और वह इसलिए कि कश्मीर मामले पाकिस्तान की मदद करेगा। लेकिन पाकिस्तान का दांव उल्टा पड़ गया और तालिबान, पाकिस्तान के विरोध में जा रहा है, जिससे पाकिस्तान की हवाईयाँ उड़ रही हैं। यह मोदी सरकार की कुटनीतिक सफ़लता है।

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हाफिज जिया अहमद ने एक प्रेस रिलीज जारी कर इस हमले में जान गंवाने वालों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। बयान में तालिबान सरकार ने आतंकवाद को मानवता के खिलाफ अपराध करार देते हुए इसे किसी भी रूप में अस्वीकार्य बताया। प्रवक्ता ने यह भी जोड़ा कि अफगानिस्तान आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।

यह बयान तालिबान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि यह उनकी ओर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद विरोधी रुख को स्पष्ट करने का प्रयास है। तालिबान, जो स्वयं अतीत में आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा रहा है, अब अपनी छवि को एक जिम्मेदार शासन के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। यह बयान उनकी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक समुदाय से मान्यता और सहयोग प्राप्त करना है।

तालिबान का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पहला, यह भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने की दिशा में एक संकेत है। भारत ने हाल के वर्षों में तालिबान के साथ सतर्क लेकिन सकारात्मक संपर्क बनाए हैं, जैसा कि विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री और तालिबान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की दुबई में मुलाकात से स्पष्ट होता है। तालिबान का यह बयान भारत के प्रति एक मित्रवत रुख को दर्शाता है, विशेष रूप से तब, जब भारत ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता प्रदान करने में सक्रिय भूमिका निभाई है।

दूसरा, यह बयान तालिबान की उस कोशिश को रेखांकित करता है, जिसमें वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपनी वैधता को स्वीकार करवाना चाहता है। रूस, चीन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों ने तालिबान को मान्यता देने की दिशा में कदम उठाए हैं, और इस तरह के बयान तालिबान की कूटनीतिक स्वीकार्यता को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं।

पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद विश्व समुदाय ने एकजुट होकर इसकी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, और कई अन्य देशों ने इस हमले को मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी कर आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सदस्य देशों से सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।

भारत के पड़ोसी देशों, जैसे भूटान और बांग्लादेश, ने भी इस हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की। विशेष रूप से, पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पर वैश्विक समुदाय की नजर थी, क्योंकि पाकिस्तान पर अतीत में आतंकवादी समूहों को समर्थन देने के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, पाकिस्तान ने भी इस हमले की निंदा की, लेकिन कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान औपचारिकता मात्र हो सकता है, क्योंकि पाकिस्तान और तालिबान के बीच तनावपूर्ण संबंध हैं, विशेष रूप से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कारण।

विश्व समुदाय का रुख इस बात पर भी केंद्रित है कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग को और मजबूत करने की आवश्यकता है। कई देशों ने आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने, आतंकवादी संगठनों के सुरक्षित पनाहगाहों को नष्ट करने, और खुफिया जानकारी साझा करने पर जोर दिया है। इसके अलावा, कुछ पश्चिमी देशों ने तालिबान सरकार की इस निंदा को सतर्कता के साथ देखा है, क्योंकि तालिबान पर अभी भी अल-कायदा और अन्य आतंकवादी समूहों को शरण देने के आरोप हैं।

भारत ने इस हमले को अपनी संप्रभुता पर हमला करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया है। भारत ने तालिबान के बयान का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि अफगानिस्तान की धरती का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए।

क्षेत्रीय स्तर पर, यह हमला भारत-पाकिस्तान और भारत-अफगानिस्तान संबंधों को प्रभावित कर सकता है। पाकिस्तान पर भारत ने हमेशा से आतंकवादी समूहों को समर्थन देने का आरोप लगाया है, और इस हमले के बाद भारत ने एक बार फिर इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया है। दूसरी ओर, तालिबान के बयान ने भारत और अफगानिस्तान के बीच मानवीय और कूटनीतिक सहयोग को और मजबूत करने की संभावना को बढ़ाया है।

पहलगाम आतंकवादी हमले पर तालिबान सरकार का बयान एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम है, जो उनकी वैश्विक छवि को सुधारने और भारत जैसे देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने की दिशा में इंगित करता है। विश्व समुदाय ने इस हमले की एकजुट होकर निंदा की है, लेकिन तालिबान के बयान को लेकर कुछ देशों में सतर्कता भी बनी हुई है। इस घटना ने एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया है। भविष्य में, तालिबान के इस रुख का क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, बशर्ते उनकी नीतियां और कार्य उनके बयानों के अनुरूप हों।

न्यूज डेस्क