अबूझमाड़ के जंगलों में 27 माओवादी ढेर : मारा गया माओवादी संगठन का शीर्ष नेता बसवराजु
रायपुर, 21 मई 2025। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय माओवादी नेटवर्क को एक बड़ा झटका देते हुए राज्य पुलिस की विशेष फोर्स जिला रिजर्व गार्ड (DRG) ने अबूझमाड़ के घने जंगलों में 27 माओवादियों को ढेर कर ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। इस मुठभेड़ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का महासचिव और सैन्य प्रमुख नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजु मारा गया। बसवराजु माओवादी संगठन की रणनीति और नेटवर्क का सबसे बड़ा मास्टरमाइंड माना जाता था और उस पर पांच राज्यों में कुल 5 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।
ऑपरेशन की पृष्ठभूमि
19 मई 2025 को माओवादी नेतृत्व के एक बड़े समूह की मौजूदगी की गुप्त सूचना प्राप्त होने पर, राज्य पुलिस के DRG बलों को नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव जिलों से रवाना किया गया। सुरक्षा बलों की टीमें अबूझमाड़ क्षेत्र के दुर्गम और घने जंगलों में सघन सर्च अभियान में जुटीं। 21 मई की सुबह माओवादियों ने सुरक्षा बलों पर अचानक हमला कर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
इस पर DRG जवानों ने रणनीतिक तरीके से मोर्चा संभालते हुए कड़ा जवाब दिया और 27 माओवादियों को मार गिराया। इस मुठभेड़ के बाद चले तलाशी अभियान में मारे गए माओवादियों के शव बरामद किए गए। साथ ही, AK-47, INSAS, SLR, कार्बाइन जैसे आधुनिक हथियार, भारी मात्रा में गोला-बारूद, विस्फोटक सामग्री और अन्य नक्सली दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं।
बसवराजु: नक्सल आंदोलन का खूंखार चेहरा
मारे गए माओवादी नेताओं में सबसे बड़ा नाम बसवराजु उर्फ गगन्ना, बीआर दादा और प्रकाश का है। 75 वर्षीय बसवराजु मूल रूप से आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले का निवासी था और बीटेक इंजीनियर था। उसने 1970 में घर छोड़कर नक्सल आंदोलन से जुड़ाव किया।
बसवराजु को बम निर्माण और गुरिल्ला युद्ध में माहिर माना जाता था। वर्ष 1987 में उसने लिट्टे (LTTE) से बम और एम्बुश ट्रेनिंग ली थी। उसे 2018 में माओवादी संगठन का शीर्ष नेतृत्व सौंपा गया। वह छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्रप्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय था।
बसवराजु पर 2010 में दंतेवाड़ा में हुए हमले का मास्टरमाइंड होने का आरोप था, जिसमें 75 CRPF जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा, उसने आंध्रप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर हमले की साजिश भी रची थी। वह खनन कंपनियों से वसूली, नागरिकों की हत्या और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों में संलिप्त रहा है।
शहीद जवान को श्रद्धांजलि, अन्य घायल सुरक्षित
इस ऑपरेशन में DRG का एक जवान शहीद हुआ, जिनका पार्थिव शरीर नारायणपुर लाया गया। कुछ अन्य जवान घायल भी हुए हैं, जिन्हें तत्परता से इलाज मुहैया कराया गया और वे सभी अब खतरे से बाहर हैं। राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन ने शहीद जवान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिजनों को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।
DRG की भूमिका और महत्व
जिला रिजर्व गार्ड (DRG) छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गठित एक विशेष फोर्स है, जो नक्सल प्रभावित इलाकों में इंटेलिजेंस आधारित सर्जिकल ऑपरेशन, एंबुश, गश्त, और सर्च मिशन को अंजाम देती है। DRG की विशेषता यह है कि इसके अधिकांश जवान स्थानीय युवाओं से लिए जाते हैं, जो इलाके की भौगोलिक परिस्थितियों से भलीभांति परिचित होते हैं। अबूझमाड़ ऑपरेशन ने साबित कर दिया है कि DRG अब माओवादियों के गढ़ में घुसकर निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम हो चुकी है।
नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक चरण की शुरुआत
अबूझमाड़ में माओवादियों को मिली यह करारी शिकस्त राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त नक्सल विरोधी प्रयासों की बड़ी उपलब्धि है। विशेषज्ञों के अनुसार, बसवराजु जैसे वरिष्ठ नेता की मौत माओवादी संगठन के लिए गंभीर नेतृत्व संकट पैदा कर सकती है और यह घटना नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक चरण की शुरुआत हो सकती है।
निर्णायक मोड़ पर नक्सलवाद के खिलाफ जंग : मुख्यमंत्री साय
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस ऑपरेशन में शामिल डीआरजी जवानों के साहस की सराहना करते हुए उन्हें देश और प्रदेश की स्थायी शांति के सच्चे नायक बताया। उन्होंने कहा, “यह केवल एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि शांति की स्थापना की दिशा में एक निर्णायक कदम है।”
मुख्यमंत्री ने इस दौरान ऑपरेशन में एक जवान के शहीद होने की सूचना पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि “प्रदेश उनकी शहादत को कभी नहीं भूलेगा। सरकार उनके परिवार के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है।” उन्होंने घायल जवानों के सर्वोत्तम इलाज के निर्देश भी अधिकारियों को दिए हैं।