\

हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट : बड़े मंदिरों से सरकार मांगेगी पैसा

हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। प्रदेश सरकार के पास अपनी योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए पर्याप्त धन नहीं बचा है, कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं है,  सरकार दीवालिया होने के कगार पर खड़ी है, जिसके चलते अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने प्रदेश के बड़े मंदिरों से वित्तीय सहायता की मांग की है। सरकार ने ‘मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना’ (Sukh Shiksha Yojana) और ‘सुखाश्रय योजना’ (Sukhashray Yojana) के लिए मंदिरों के कोष से धनराशि लेने का निर्णय लिया है।

सरकार की मंशा और योजनाओं की जरूरत

‘मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना’ प्रदेश के जरूरतमंद विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है, जबकि ‘सुखाश्रय योजना’ अनाथ और बेसहारा बच्चों की देखभाल और उनके भविष्य को संवारने के लिए चलाई जा रही है। सरकार का कहना है कि इन योजनाओं का लाभ समाज के कमजोर वर्गों को मिलेगा, और इसीलिए मंदिरों के पास उपलब्ध कोष का कुछ हिस्सा इन योजनाओं में उपयोग किया जाना उचित होगा।

भाजपा ने उठाए सवाल

सरकार के इस कदम पर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ी आपत्ति जताई है। भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार अपनी विफल आर्थिक नीतियों के कारण मंदिरों के चढ़ावे पर निर्भर हो रही है, जो न केवल अनुचित है बल्कि आस्था के साथ खिलवाड़ भी है। भाजपा ने इसे धार्मिक स्थलों के धन का राजनीतिक उपयोग करार दिया और सरकार से पूछा कि क्या इसी तरह अन्य धार्मिक संस्थानों से भी धन लिया जाएगा।

मंदिरों की प्रतिक्रिया और जनता की राय

हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर, जैसे कि श्री नैना देवी, श्री चामुंडा देवी, ज्वालामुखी मंदिर और बैजनाथ मंदिर, करोड़ों रुपये का वार्षिक चढ़ावा प्राप्त करते हैं। सरकार का मानना है कि इस धन का उपयोग सामाजिक कल्याण में किया जाना चाहिए, लेकिन मंदिर प्रबंधन समितियों ने अभी तक इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं, आम जनता की राय भी इस मामले पर बंटी हुई है—कुछ लोग इसे जरूरतमंदों के लिए सही कदम मानते हैं, जबकि कुछ इसे आस्था पर चोट मान रहे हैं।

आर्थिक संकट के कारण

हिमाचल प्रदेश की वर्तमान आर्थिक स्थिति कई कारणों से खराब हुई है। सरकार पर कर्ज का दबाव बढ़ रहा है और राजस्व संग्रहण में भी गिरावट आई है। बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं से प्रदेश को आर्थिक रूप से काफी नुकसान हुआ है, जिससे सरकार को अधिक ऋण लेना पड़ा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *