विश्व की सबसे प्राचीन एवं बड़ी सेना
भारत की थल सेना दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी सेनाओं में से एक है। यह भारतीय सशस्त्र बलों की सबसे बड़ी शाखा है और देश की भूमि सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। भारतीय थल सेना न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा का जिम्मा संभालती है, बल्कि आपदा प्रबंधन, शांति स्थापना और मानवीय सहायता में भी अहम भूमिका निभाती है। इसका आदर्श वाक्य है: “सेवा परमो धर्म” अर्थात् सेवा सर्वोपरि है।
भारतीय थल सेना का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है, जब महाभारत और रामायण काल में संगठित सैन्य संरचनाओं का उल्लेख मिलता है। आधुनिक भारतीय सेना की नींव 1776 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने रखी थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, 15 जनवरी 1949 को भारतीय सेना का पूर्ण रूप से भारतीयकरण हुआ, जब जनरल के.एम. करिअप्पा भारतीय थल सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ बने। इसी दिन को हर साल “सेना दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
भारतीय थल सेना को मुख्य रूप से उत्तरी कमान (जम्मू-कश्मीर), पश्चिमी कमान (चंडीगढ़), पूर्वी कमान (कोलकाता), मध्य कमान (लखनऊ), दक्षिणी कमान (पुणे), दक्षिण-पश्चिमी कमान (जयपुर) छह कमांडों में विभाजित किया गया है। इसके अतिरिक्त, भारतीय सेना को विभिन्न कोर (Corps), ब्रिगेड और बटालियनों में विभाजित किया गया है, जो युद्धक, सहायक और सेवाप्रद इकाइयों में संगठित होती हैं।
भूमिका और कार्य
राष्ट्रीय सुरक्षा: भारत की थल सेना देश की सीमा पर सुरक्षा प्रदान करती है। युद्ध और संघर्ष: सेना ने 1947, 1962, 1965, 1971 और 1999 के युद्धों में भाग लिया और अपनी बहादुरी का प्रदर्शन किया। आंतरिक सुरक्षा: उग्रवाद, आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी चुनौतियों से निपटने में सेना की भूमिका महत्वपूर्ण है। आपदा प्रबंधन: भूकंप, बाढ़, और सुनामी जैसे प्राकृतिक आपदाओं के समय सेना राहत और बचाव कार्य करती है। शांति स्थापना: भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्र के कई शांति अभियानों में भाग लिया है।
प्रमुख युद्ध और अभियान
भारतीय थल सेना ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक अनगिनत मौकों पर अद्वितीय साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया है। चाहे वह युद्ध का मैदान हो, आतंकवाद के खिलाफ अभियान हो, या प्राकृतिक आपदा के दौरान राहत कार्य, भारतीय सेना ने हर बार अपने कर्तव्य और बलिदान का परिचय दिया है।
भारत की थल सेना ने 1971 का भारत-पाक युद्ध (बांग्लादेश मुक्ति संग्राम) में पाकिस्तान को निर्णायक रूप से हराया और एक नए राष्ट्र, बांग्लादेश, के निर्माण में योगदान दिया। जनरल सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में भारतीय सेना ने केवल 13 दिनों में युद्ध समाप्त कर दिया। 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया, जो इतिहास में सबसे बड़ी सैन्य आत्मसमर्पण में से एक है।
कारगिल युद्ध (1999): भारतीय थल सेना ने कठोर परिस्थितियों और दुश्मन की मजबूत स्थिति के बावजूद दुश्मन को सियाचिन और कारगिल क्षेत्र से बाहर खदेड़ दिया। कैप्टन विक्रम बत्रा, परमवीर चक्र से सम्मानित, ने अपने प्रसिद्ध कथन “ये दिल मांगे मोर” के साथ दुश्मनों को ध्वस्त किया। ऑपरेशन विजय के तहत भारतीय सेना ने दुश्मनों की घुसपैठ को विफल कर दिया और पूरे क्षेत्र पर कब्जा किया।
सियाचिन पर शौर्य (ऑपरेशन मेघदूत): सियाचिन ग्लेशियर, जिसे दुनिया का सबसे ऊँचा युद्धक्षेत्र कहा जाता है, पर भारतीय सेना ने 1984 में पाकिस्तान को हराकर नियंत्रण स्थापित किया। कठिन जलवायु और -50°C तापमान में भी सेना के जवान सतर्कता से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।
रेजांगला के युद्ध का शौर्य : रेजांगला का युद्ध भारतीय सैन्य इतिहास में अद्वितीय शौर्य और बलिदान का प्रतीक है। 18 नवंबर 1962 को भारत-चीन युद्ध के दौरान लद्दाख के चुशुल सेक्टर में 13 कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी ने अपने कमांडर मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में असंभव परिस्थितियों में अदम्य साहस दिखाया। अत्यधिक ठंड, सीमित संसाधन, और भारी संख्या में चीनी सैनिकों के बावजूद भारतीय जवानों ने 3000 से अधिक चीनी सैनिकों का सामना किया और उनमें से लगभग 1000 को मार गिराया। इस युद्ध में 120 में से 114 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन उन्होंने दुश्मन को अपनी पवित्र भूमि पर आगे बढ़ने से रोक दिया। मेजर शैतान सिंह को उनकी वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। रेजांगला का युद्ध न केवल भारतीय सेना के साहस की मिसाल है, बल्कि यह बलिदान और देशभक्ति की अद्वितीय गाथा है।
विशेष अभियानों में शौर्य
ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984): भारतीय सेना ने पंजाब में स्वर्ण मंदिर परिसर से आतंकवादियों को निकालने के लिए साहसिक और जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस अभियान ने आतंकवाद पर लगाम लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सर्जिकल स्ट्राइक (2016): भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी शिविरों को नष्ट किया। यह अभियान भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता और साहस का प्रतीक बना।
बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019): पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तानी क्षेत्र में आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया और उन्हें नष्ट कर दिया। इस मिशन ने सेना की त्वरित प्रतिक्रिया और असाधारण योजना को उजागर किया।
गुरिल्ला युद्ध और आतंकवाद विरोधी अभियानों में शौर्य
जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना ऑपरेशन रक्षक के तहत आतंकवाद के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। 2018 में मेजर रोहित सूरी के नेतृत्व में सेना ने एक जटिल ऑपरेशन में कई आतंकवादियों को निष्क्रिय किया। नॉर्थ ईस्ट में उग्रवाद के खिलाफ भी भारतीय सेना ने सफल अभियानों को अंजाम दिया है।
संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में शौर्य
भारतीय थल सेना ने 50 से अधिक देशों में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में भाग लिया है। कांगो, लेबनान, और दक्षिण सूडान: भारतीय जवानों ने शांति स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सेना ने न केवल सैनिक बल्कि चिकित्सा और मानवीय सहायता प्रदान करके अपनी बहुमुखी क्षमता को सिद्ध किया।
ऑपरेशन कैक्टस (1988): मालदीव में विद्रोह को दबाने के लिए भारतीय सेना ने त्वरित और साहसी कदम उठाया। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने विद्रोहियों को हराकर मालदीव सरकार की रक्षा की। बाढ़ और आपदा राहत कार्य:
केदारनाथ बाढ़ (2013), गुजरात भूकंप (2001), और सुनामी (2004) जैसे आपदाओं में भारतीय सेना ने अद्वितीय साहस और मानवता का परिचय दिया।
भारतीय थल सेना के प्रमुख वीरता पुरस्कार
अब तक 21 जवानों को परमवीर चक्र पुरस्कार प्राप्त हुआ है। 218 वीरों को महावीर चक्र सम्मानित किया गया तथा युद्ध में साहस दिखाने वाले 1322 सैनिकों को वीर चक्र दिया गया है।
भारतीय सेना ने अपने उपकरणों और हथियारों को आधुनिक बनाने के लिए कई पहल की हैं। इसमें मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन, मिसाइल सिस्टम ब्रह्मोस और एडवांस्ड राइफल्स शामिल हैं। स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए “मेक इन इंडिया” अभियान के तहत नई तकनीकों को अपनाया जा रहा है।
सेना में महिला भागीदारी
भारतीय थल सेना में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। 2019 में, महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का निर्णय लिया गया। अब महिलाएँ सेना के विभिन्न विभागों जैसे लॉजिस्टिक्स, मेडिकल और लीगल शाखा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
थल सेना का सामाजिक योगदान
भारतीय थल सेना न केवल देश की सुरक्षा करती है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास में भी योगदान देती है। सेना शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूल चलाती है। सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करती है। रोजगार के अवसर पैदा करती है।
भारतीय थल सेना ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक अनगिनत मौकों पर अद्वितीय साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया है। चाहे वह युद्ध का मैदान हो, आतंकवाद के खिलाफ अभियान हो, या प्राकृतिक आपदा के दौरान राहत कार्य हो, भारतीय सेना का हर जवान अपने कर्तव्य को सर्वोपरि मानते हुए, देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति देने को तैयार रहता है। उनका शौर्य हर भारतीय को गर्व और प्रेरणा प्रदान करता है। हमे अपनी सेना पर गर्व है।
जय हिंद जय हिंद की सेना
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