भारत-जर्मनी की उच्चस्तरीय बैठक वैश्विक संघर्षों पर चर्चा और रक्षा सहयोग के विस्तार के लिए आयोजित हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ के बीच शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण उच्चस्तरीय बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में दोनों नेताओं ने यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्षों पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा कि भारत का मानना है कि समस्याओं का समाधान युद्ध से नहीं किया जा सकता। उन्होंने चांसलर शोल्ज़ से कहा कि भारत विश्व शांति के लिए हर संभव योगदान देने के लिए तैयार है।
रक्षा सहयोग में विस्तार
बैठक के दौरान मोदी और शोल्ज़ ने भारत-जर्मनी के बढ़ते रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर भी चर्चा की। इस संदर्भ में, दोनों देशों के बीच गोपनीय जानकारी के आदान-प्रदान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। मोदी ने इसे आपसी विश्वास का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह समझौता आतंकवाद और अलगाववादी तत्वों के खिलाफ संयुक्त प्रयासों को मजबूत करेगा।
वैश्विक सुरक्षा पर शोल्ज़ का बयान
बैठक से पूर्व, चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने दिल्ली में आयोजित एशिया-पैसिफिक कॉन्फ्रेंस ऑफ जर्मन बिजनेस 2024 में कहा कि वर्तमान बहुपक्षीय विश्व में कोई भी देश अकेले वैश्विक सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं ले सकता। उन्होंने यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए चेताया कि यदि रूस इस संघर्ष में सफल होता है, तो इसका असर विश्व की सुरक्षा पर पड़ेगा। शोल्ज़ ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार राजनीतिक समाधान की आवश्यकता की बात की।
भारत-रूस संवाद पर चर्चा
इससे पहले, ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की थी, जहां उन्होंने यूक्रेन युद्ध पर चर्चा की थी। मोदी ने शांति स्थापना के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि विवादों का समाधान मानवीय दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए। उन्होंने इस प्रक्रिया में सहयोग देने की बात कही।
आर्थिक साझेदारी में बढ़ती भूमिका
जर्मन चांसलर शोल्ज़ का भारत दौरा, यहां के विशाल बाजार में संभावनाओं को देखते हुए महत्वपूर्ण है। जर्मनी अपनी अर्थव्यवस्था को चीन पर निर्भरता से मुक्त करने के प्रयास में भारत के साथ मजबूत आर्थिक संबंध स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। मोदी ने व्यापार और निवेश के अवसरों पर जोर देते हुए कहा कि यह साझेदारी दोनों देशों के लिए लाभकारी होगी।
शांति की दिशा में भारत की पहल
भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और स्थिरता की दिशा में अपनी भूमिका को मजबूत किया है। यूक्रेन और पश्चिम एशिया के संघर्षों के बीच मोदी का संदेश स्पष्ट है कि भारत युद्ध का समर्थन नहीं करता। शांति और समृद्धि के पक्ष में खड़े रहकर भारत वैश्विक समुदाय में अपनी सशक्त छवि प्रस्तुत कर रहा है।