राष्ट्रीय बाल साहित्य समागम’ 16 अगस्त से राजसमंद में
25 जुलाई/ आगरा/ राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित मासिक बाल पत्रिका ‘बच्चों का देश’ का रजत जयन्ती समारोह 16 से 18 अगस्त 2024 तक अंतरराष्ट्रीय संस्थान अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी (अणुविभा) के राजसमंद (राजस्थान) स्थित मुख्यालय ‘चिल्ड्रन‘स पीस पैलेस’ में मनाया जायेगा। उल्लेखनीय है कि अणुविभा द्वारा प्रकाशित नई पीढ़ी के नव-निर्माण को समर्पित इस बाल पत्रिका को देशभर में प्रतिष्ठा प्राप्त है और 25 राज्यों में इसका पाठक वर्ग फैला है। देश की महान विभूतियों ने इसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की है और एक जागरूक, जिम्मेदार और मानवीय मूल्यों को समर्पित श्रेष्ठ व्यक्तित्व के निर्माण में इसकी रचनात्मक भूमिका को रेखांकित किया है।
अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश नाहर ने बताया कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के वैश्विक संवाद विभाग से सम्बद्ध अणुविभा गत 75 वर्षों से संचालित अणुव्रत आंदोलन की केंद्रीय संस्था है जिसके अंतर्गत भारत में 200 केंद्र संचालित हैं और इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 5000 संस्थाओं व शांतिकर्मियों से नेटवर्क है। नई पीढ़ी के संस्कार निर्माण की दृष्टि से यह संस्था ‘बच्चों का देश’ के साथ ही जीवन-विज्ञान, बालोदय कार्यक्रम, अणुव्रत क्रिएटिविटी कॉन्टेस्ट, नशामुक्ति अभियान – एलिवेट, डिजिटल डेटॉक्स अभियान, पर्यावरण जागरूकता अभियान जैसे रचनात्मक प्रकल्प संचालित करती है।
अणुविभा के पूर्व अध्यक्ष व ‘बच्चों का देश‘ के सम्पादक संचय जैन ने बताया कि पत्रिका की रजत जयन्ती के अवसर पर आयोजित हो रहे ‘राष्ट्रीय बाल साहित्य समागम‘ में 15 राज्यों के लगभग 100 बाल साहित्य रचनाकार भाग लेंगे। इस तीन दिवसीय आयोजन में बाल साहित्य विषयक सात सत्र एवं समूह चर्चाएँ आयोजित होंगी जिनमें बाल पत्रिका : भविष्य की अपेक्षायें और समाधान, एक सफल बाल साहित्य रचनाकार होने के मायने, राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में हिन्दी बाल साहित्य की दशा और दिशा, आदर्श व्यक्तित्व निर्माण में बाल साहित्य का योगदान, बाल साहित्य का पठन-पाठन : समाज व परिवार का दायित्व, बाल साहित्य रचनाधर्मिता : चुनौतियाँ और समाधान जैसे विषयों पर राष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त साहित्यकार अपने विचार व्यक्त करेंगे।
रजत जयन्ती समारोह के अन्तर्गत एक नवाचार किया जा रहा है जिसमें देशभर से समागत बाल साहित्य रचनाकार 17 अगस्त को राजसमन्द क्षेत्र की 25 से अधिक अलग-अलग स्कूलों में जाएँगे और बच्चों के सीधा संवाद करेंगे। यह संवाद जहाँ कहानी, कविता, नाटिका, गीत आदि विविध विधाओं में साहित्य लेखन की बारीकियों से बच्चों को परिचित कराएगा वहीं साहित्यकार बच्चों की भावनाओं व अपेक्षाओं को जान पाएँगे। अपनी तरह का यह एक अनूठा प्रयोग होगा जिसमें पांच हजार से अधिक बच्चों की सहभागिता होगी।
‘बच्चों का देश’ में नियमित लिखने वाले वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ शुभदा पांडेय, आगरा ने बताया कि ‘राष्ट्रीय बाल साहित्य समागम‘ के आयोजन स्थल ‘चिल्ड्रन‘स पीस पैलेस’ का अपना विशेष महत्व है क्योंकि प्रसिद्ध राजसमंद झील के किनारे पहाड़ी पर विकसित यह कलात्मक भवन बच्चों के सर्वांगीण विकास को समर्पित एक अनूठा केंद्र है जहाँ प्रतिमाह आयोजित होने वाले आवासीय बालोदय शिविरों में बच्चे जीवन निर्माण की वह दिशा प्राप्त करते हैं जो सामान्यतः परिवार या विद्यालयों में भी संभव नहीं हो पाती है। यहाँ विकसित 25 से अधिक बालोदय दीर्घाएँ व कक्ष तथा यहाँ उपलब्ध संसाधन विभिन्न मानवीय मूल्यों से बच्चों को जोड़ते हैं और यहाँ संचालित बाल मनोविज्ञान आधारित प्रवृत्तियाँ बच्चों को स्व से परिचित करा एक सफल जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
रजत जयंती के इस अवसर पर ‘बच्चों का देश’ का रजत जयन्ती विशेषांक भी प्रकाशित किया जाएगा जिसमें पिछले 25 वर्षों में प्रकाशित चयनित रचनाओं के साथ ही इस गौरवशाली यात्रा की झलकियाँ भी सम्मिलित होंगी। उल्लेखनीय है कि बाल मनोविज्ञान की कसौटी पर कसी श्रेष्ठ रचनाओं और बहुरंगी चित्रों के साथ प्रकाशित यह पत्रिका बच्चों के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती है। यह एक गैर-व्यावसायिक सेवा-प्रकल्प है जिसका प्रारम्भ 1999 में भागीरथी सेवा प्रन्यास के तत्वावधान में जयपुर से हुआ था। देश के विभिन्न भागों से लगभग 400 साहित्यकार इससे जुड़े हैं।