ज्ञानेन्द्र पाण्डेय : कम से कम संसाधन में ज्यादा से ज्यादा घूमिए
घुमक्कड़ जंक्शन पर आज आपकी भेंट ज्ञानेन्द्र पाण्डे से करवा रहे हैं, मिलनसार एवं परले दर्जे के घुमक्कड़ होने साथ सर्वप्रिय हैं। फ़ोटोग्राफ़ी के शौक के चलते ये कैमरा लिए आपको अभयारण्य में घूमते हुए मिल जाएंगे। आइए इनसे चर्चा करते हैं घुमक्कड़ी की………
1- आप अपनी शिक्षा दीक्षा, अपने बचपन का शहर एवं बचपन के जीवन के विषय में पाठकों को बताएं कि वह समय कैसा था?
@-मेरी प्रारम्भिक शिक्षा मेरे जन्म स्थान सरसींवा (छत्तीसगढ़) में ही हुई माता-पिता दोनों ही शिक्षक थे। मिडिल और हाई स्कूल शिक्षा रायगढ़ में हुई कॉलेज के दौरान ही रायगढ़ से रायपुर आ गया जहाँ पढाई के साथ साथ मैंने कंप्यूटर इंजिनीरिंग का कोर्स किया 1993 – 1996 तक कंप्यूटर के सिलसिले में काफी घूमना हुआ वहीँ से घुम्मक्कड़ी का शौक लगा।
2– वर्तमान में आप क्या करते हैं एवं परिवार में कौन-कौन हैं?
@-पिछले २२ बरसों से स्किल ट्रेनिंग, उद्यमिता विकास कार्यक्रमों तथा विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य कर रहा हूँ। वर्तमान में पी एच डी चेम्बर में कार्यरत हूँ घर में मेरी माँ, पत्नी, और एक बेटी है जो लॉ कर रही है। दो छोटी बहनें है जिनकी शादी हो चुकी है।
3 – घूमने की रुचि आपके भीतर कहाँ से जागृत हुई?
@-घुमक्कड़ी का शौक बचपन से था क्योंकि हमारे गांव के आस-पास हरदी और गाताडीह के जंगल थे, जहाँ हम सायकिल से जाया करते थे, जब भी बस से रायपुर आते थे तो बीच में बारनवापारा का जंगल देखकर इसके रहसयमयी संसार को करीब से देखने की इच्छा होती थी। धीरे-धीरे संगी साथी भी घुमक्कड़ मिलते गए और ये सिलसिला आज भी चल रहा है।
4– किस तरह की घुमक्कड़ी आप पसंद करते हैं, ट्रेकिंग एवं रोमांचक खेलों भी क्या सम्मिलित हैं, कठिनाइयाँ भी बताएँ?
@-घुम्मक्कड़ी को वर्गीकृत कर पाना थोड़ा मुश्किल है पर मुझे बिना किसी खास तैयारी के, दुर्गम स्थानों में जाना, जंगलों और पहाड़ों पर जाना ज्यादा पसंद है। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के संग ट्रैकिंग का भी शौक है। खुद से गाड़ी चलाकर दोस्तों के संग घूमना बहुत पसंद है। मेरे जैसे घुम्मक्कड़ों की दो ही कठिनाइयां है एक तो समय का अभाव और कभी कभी बजट का.
5-उस यात्रा के बारे में बताएं जहाँ आप पहली बार घूमने गए और क्या अनुभव रहा?
@-वैसे पहली यात्रा का निर्धारण कर पाना मुश्किल है परन्तु परिवार सहित कश्मीर, पहलगाम की यात्रा पहली बड़ी यात्रा थी जहाँ कर्फ्यू, पत्थरबाज़ी, बर्फ़बारी, रोड ब्लॉक आदि से सामना हुआ। कश्मीर की वादियों में घूमते हुए खूबसूरती को महसूस करते हुए एक बात मन को बहुत सालती है की जन्नत को नर्क बना दिया गया है।
6– घुमक्कड़ी के दौरान आप परिवार एवं अपने शौक के बीच किस तरह सामंजस्य बिठाते हैं?
@-सामंजस्य तो शुरू से था माता पिता ने हमेशा सहयोग किया अब दोनों बहनें, पत्नी और बेटी को पता है इसलिए जब घुम्मक्कड़ी का कार्यक्रम बनता है तो सभी तैयारी करने में सहयोग देती हैं। साल में एक बार सपरिवार भी किसी लम्बी यात्रा पर जाता हूँ।
7– आपकी अन्य रुचियों के साथ बताइए?
@-मेरी रूचि हर तरह की घुम्मकड़ी में, फोटोग्राफी में है। जितना हो सके घूमना, लोगों के रिवाज, संस्कृति, परंपरा, तीज-त्यौहार और खान-पान को करीब से देखना चाहता हूँ।
8– घुमक्कड़ी (देशाटन, तीर्थाटन, पर्यटन) को जीवन के लिए आवश्यक क्यों माना जाता है?
@-जैसा की मैंने बताया घुमक्कड़ी हमे अलग अलग लोगों और जगहों को जानने का मौका देती है, जीवन में एक नयी ऊर्जा का संचार होता है, जितनी नकारात्मकता होती है निकल जाती है। जिंदगी का असली महत्व तब ही पता चलता है जब हम लोगों के संघर्ष और उनकी जीवन के प्रति ललक को देखते हैं।
9– आपकी सबसे रोमांचक यात्रा कौन सी थी, अभी तक कहाँ-कहाँ की यात्राएँ की और उन यात्राओं से क्या सीखने मिला?
@-सच कहें तो हर यात्रा में रोमांचक होती है, वैसे कश्मीर, पहलगाम, सुंदरबन में कुछ अनुभव ऐसे हुए कि उसको भूलना मुश्किल है। वैसे भारत के अनेक नेशनल पार्क और रिज़र्व फारेस्ट घूम चूका हूँ पर बहुत कुछ बाकी है।
10– नये घुमक्कड़ों के लिए आपका क्या संदेश हैं?
@-ज्यादा से ज्यादा घूमिये और कम से कम संसाधन में रहिये, और कैंपिंग की आदत डालें। प्रकृति के रंग को देखिये और अनेक संस्कृति, सभ्यता, खान पान का आनंद लीजिये। जो नए घुमक्कड़ हैं उन्हें कहना चाहूंगा की पहले अपने प्रदेश और देश को पूरी तरह देखें और घुम्मक्कड़ी का सफर जारी रखें, शुभकामनाएँ।
1- आप अपनी शिक्षा दीक्षा, अपने बचपन का शहर एवं बचपन के जीवन के विषय में पाठकों को बताएं कि वह समय कैसा था?
@-मेरी प्रारम्भिक शिक्षा मेरे जन्म स्थान सरसींवा (छत्तीसगढ़) में ही हुई माता-पिता दोनों ही शिक्षक थे। मिडिल और हाई स्कूल शिक्षा रायगढ़ में हुई कॉलेज के दौरान ही रायगढ़ से रायपुर आ गया जहाँ पढाई के साथ साथ मैंने कंप्यूटर इंजिनीरिंग का कोर्स किया 1993 – 1996 तक कंप्यूटर के सिलसिले में काफी घूमना हुआ वहीँ से घुम्मक्कड़ी का शौक लगा।
2– वर्तमान में आप क्या करते हैं एवं परिवार में कौन-कौन हैं?
@-पिछले २२ बरसों से स्किल ट्रेनिंग, उद्यमिता विकास कार्यक्रमों तथा विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य कर रहा हूँ। वर्तमान में पी एच डी चेम्बर में कार्यरत हूँ घर में मेरी माँ, पत्नी, और एक बेटी है जो लॉ कर रही है। दो छोटी बहनें है जिनकी शादी हो चुकी है।
3 – घूमने की रुचि आपके भीतर कहाँ से जागृत हुई?
@-घुमक्कड़ी का शौक बचपन से था क्योंकि हमारे गांव के आस-पास हरदी और गाताडीह के जंगल थे, जहाँ हम सायकिल से जाया करते थे, जब भी बस से रायपुर आते थे तो बीच में बारनवापारा का जंगल देखकर इसके रहसयमयी संसार को करीब से देखने की इच्छा होती थी। धीरे-धीरे संगी साथी भी घुमक्कड़ मिलते गए और ये सिलसिला आज भी चल रहा है।
4– किस तरह की घुमक्कड़ी आप पसंद करते हैं, ट्रेकिंग एवं रोमांचक खेलों भी क्या सम्मिलित हैं, कठिनाइयाँ भी बताएँ?
@-घुम्मक्कड़ी को वर्गीकृत कर पाना थोड़ा मुश्किल है पर मुझे बिना किसी खास तैयारी के, दुर्गम स्थानों में जाना, जंगलों और पहाड़ों पर जाना ज्यादा पसंद है। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के संग ट्रैकिंग का भी शौक है। खुद से गाड़ी चलाकर दोस्तों के संग घूमना बहुत पसंद है। मेरे जैसे घुम्मक्कड़ों की दो ही कठिनाइयां है एक तो समय का अभाव और कभी कभी बजट का.
5-उस यात्रा के बारे में बताएं जहाँ आप पहली बार घूमने गए और क्या अनुभव रहा?
@-वैसे पहली यात्रा का निर्धारण कर पाना मुश्किल है परन्तु परिवार सहित कश्मीर, पहलगाम की यात्रा पहली बड़ी यात्रा थी जहाँ कर्फ्यू, पत्थरबाज़ी, बर्फ़बारी, रोड ब्लॉक आदि से सामना हुआ। कश्मीर की वादियों में घूमते हुए खूबसूरती को महसूस करते हुए एक बात मन को बहुत सालती है की जन्नत को नर्क बना दिया गया है।
6– घुमक्कड़ी के दौरान आप परिवार एवं अपने शौक के बीच किस तरह सामंजस्य बिठाते हैं?
@-सामंजस्य तो शुरू से था माता पिता ने हमेशा सहयोग किया अब दोनों बहनें, पत्नी और बेटी को पता है इसलिए जब घुम्मक्कड़ी का कार्यक्रम बनता है तो सभी तैयारी करने में सहयोग देती हैं। साल में एक बार सपरिवार भी किसी लम्बी यात्रा पर जाता हूँ।
7– आपकी अन्य रुचियों के साथ बताइए?
@-मेरी रूचि हर तरह की घुम्मकड़ी में, फोटोग्राफी में है। जितना हो सके घूमना, लोगों के रिवाज, संस्कृति, परंपरा, तीज-त्यौहार और खान-पान को करीब से देखना चाहता हूँ।
8– घुमक्कड़ी (देशाटन, तीर्थाटन, पर्यटन) को जीवन के लिए आवश्यक क्यों माना जाता है?
@-जैसा की मैंने बताया घुमक्कड़ी हमे अलग अलग लोगों और जगहों को जानने का मौका देती है, जीवन में एक नयी ऊर्जा का संचार होता है, जितनी नकारात्मकता होती है निकल जाती है। जिंदगी का असली महत्व तब ही पता चलता है जब हम लोगों के संघर्ष और उनकी जीवन के प्रति ललक को देखते हैं।
9– आपकी सबसे रोमांचक यात्रा कौन सी थी, अभी तक कहाँ-कहाँ की यात्राएँ की और उन यात्राओं से क्या सीखने मिला?
@-सच कहें तो हर यात्रा में रोमांचक होती है, वैसे कश्मीर, पहलगाम, सुंदरबन में कुछ अनुभव ऐसे हुए कि उसको भूलना मुश्किल है। वैसे भारत के अनेक नेशनल पार्क और रिज़र्व फारेस्ट घूम चूका हूँ पर बहुत कुछ बाकी है।
10– नये घुमक्कड़ों के लिए आपका क्या संदेश हैं?
@-ज्यादा से ज्यादा घूमिये और कम से कम संसाधन में रहिये, और कैंपिंग की आदत डालें। प्रकृति के रंग को देखिये और अनेक संस्कृति, सभ्यता, खान पान का आनंद लीजिये। जो नए घुमक्कड़ हैं उन्हें कहना चाहूंगा की पहले अपने प्रदेश और देश को पूरी तरह देखें और घुम्मक्कड़ी का सफर जारी रखें, शुभकामनाएँ।
Ache lga gyanendra ji bare me jankar….Thank u lalit ji
एक नये घुमक्कड़ से परिचय कराया।
ये बात बढ़िया कही आपने “पहले अपने प्रदेश और देश को देखो और जानो” क्योंकि इतना कुछ है हमारे देश की संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थानों में जिसको बिन जाने हमारा ज्ञान ही नही जीवन भी अधूरा है। जारी रहे घुमक्कड़ी। शुभकामनाएं…
Gyanendra bhai
बहुत सरल शब्दों में आपने जवाब दिये ।
आपके बारे में जानकर खुशी हुई आप भी जंगलो के शौकीन हैं।
एक और घुमक्कड़ “पाण्डेय” जी से मुलाकात ।
बहुत अच्छा लगा आपसे मिलकर ।
आभार ललित जी का जो ऐसे ऐसे घुमक्कड़ों से परिचय हो पा रहा है ।
बहुत बढ़िया ।
बहुत बढ़िया !
पांडेय जी आपके बारे मे जान कर खुशी हुई। बढ़िया इंटरव्यू
बहुत बढिया गुरुदेव