छत्तीसगढ़ में रेबीज़ नियंत्रण: सतर्कता और समय पर उपचार ही सुरक्षा की कुंजी
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा है कि रेबीज़ कोई सामान्य रोग नहीं, बल्कि लापरवाही की स्थिति में जानलेवा बीमारी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि समय पर उपचार और टीकाकरण से इस घातक बीमारी को पूरी तरह रोका जा सकता है। राज्य सरकार की प्रतिबद्धता है कि रेबीज़ से होने वाली हर एक मृत्यु को रोका जाए।
स्वास्थ्य मंत्री ने मीडिया से बातचीत में बताया कि राज्य के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी-रेबीज़ वैक्सीन निःशुल्क और सतत उपलब्ध कराई गई है। इसका उद्देश्य यह है कि किसी भी नागरिक को उपचार के लिए भटकना न पड़े। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पशु काटने या खरोंचने जैसी घटनाओं को हल्के में लेना बेहद खतरनाक हो सकता है।
जनवरी से नवंबर 2025 के बीच छत्तीसगढ़ में कुल 1,60,540 डॉग और अन्य एनिमल बाइट प्रकरणों का उपचार किया गया। इनमें से 86,849 लोगों को इंट्रा-मस्कुलर (IM) और 73,691 लोगों को इंट्रा-डर्मल (ID) पद्धति से एंटी-रेबीज़ वैक्सीन दी गई।
मंत्री ने बताया कि रेबीज़ नियंत्रण को और प्रभावी बनाने के लिए सभी जिलों में आवारा पशुओं और कुत्तों पर नजर रखने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि यदि किसी जानवर द्वारा काटा या खरोंचा जाए, तो घाव को तुरंत साबुन और बहते पानी से कम से कम 10–15 मिनट तक धोएँ और बिना देरी नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर एंटी-रेबीज़ टीकाकरण कराएँ। झाड़-फूँक, घरेलू नुस्खे या अन्य अप्रमाणित उपायों से पूरी तरह बचें।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि सभी पालतू जानवरों—विशेषकर कुत्तों और बिल्लियों—का नियमित टीकाकरण कराना आवश्यक है। यह न केवल परिवार बल्कि पूरे समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। उन्होंने अंत में कहा कि सतर्कता, सही जानकारी और समय पर उपचार—ये तीन प्रमुख उपाय रेबीज़ से सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं।

