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निफ्टेम टीम का जशपुर दौरा: खाद्य प्रसंस्करण, महुआ उत्पाद और ग्रामीण उद्यमिता को नई दिशा

रायपुर, 05 दिसंबर 2025। राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम), कुंडली हरियाणा से आए 18 यूजी–पीजी छात्र और 2 संकाय सदस्य 19 से 27 नवंबर 2025 तक लगातार तीसरे वर्ष जशपुर पहुंचे। यह दौरा उनके प्रतिष्ठित ग्राम अंगीकरण कार्यक्रम का हिस्सा है। निफ्टेम ने वर्ष 2023 में जशपुर जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में कृषि, बागवानी और वन आधारित उत्पादों, विशेषकर महुआ, के प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन पर काम शुरू किया था।

टीम ने अपने प्रवास के दौरान स्व सहायता समूहों, एफपीओ और खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े हितधारकों के साथ बैठकें कर गुणवत्ता, सुरक्षा, विनियमन और उद्यमिता से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा कीं।

मोटे अनाज से मूल्यवर्धित उत्पादों का व्यावहारिक प्रशिक्षण

इस वर्ष टीम ने कुशल स्थानीय मानव संसाधन तैयार करने पर विशेष जोर दिया। कुनकुरी स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन में एक आधुनिक फूड प्रोसेसिंग ट्रेनिंग और इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया गया है, जहां युवाओं को मोटे अनाज आधारित बेकरी उत्पादों के निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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वीएपी टीम ने स्व सहायता समूहों, एफपीओ सदस्यों और युवाओं के लिए मोटे अनाज से मूल्यवर्धित उत्पादों पर तीन व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए। इसमें बाजरा, कोदो, कुटकी और रागी से स्नैक्स, कुकीज और अन्य पोषणयुक्त उत्पाद बनाने के कौशल सिखाए गए। इसके साथ ही सुजी आधारित पास्ता निर्माण, पैकेजिंग, लेबलिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया गया।

कुल 96 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिनमें 65 प्रतिशत महिलाएँ शामिल थीं। यह संख्या बताती है कि जशपुर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाएँ तेजी से उद्यमी भूमिका निभा रही हैं।

जशपुर: फसलों और संभावनाओं का मजबूत आधार

जशपुर की जलवायु और भौगोलिक विविधता कई कृषि और वानिकी उत्पादों के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
यहां धान, कोदो-कुटकी, रागी जैसी परंपरागत फसलों के साथ सेब, नाशपाती, स्ट्रॉबेरी, काजू, कटहल, अदरक, हल्दी, नींबू, चाय और महुआ का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।

खाद्य प्रसंस्करण इन उत्पादों को लंबी शेल्फ लाइफ वाले, सुरक्षित और बाज़ार-अनुकूल मूल्यवर्धित खाद्य उत्पादों—जैसे स्नैक्स, रेडी-टू-ईट फूड, एनर्जी बार और नाश्ते के अनाज—में बदलकर किसानों की आय बढ़ाने की बड़ी क्षमता रखता है।

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जिला प्रशासन ने सभी ब्लॉकों में खाद्य प्रसंस्करण अवसंरचना को प्राथमिकता देकर तेजी से विकसित किया है। निफ्टेम का वीएपी कार्यक्रम ग्रामीण समुदायों को तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और उद्यमिता विकास प्रदान कर इन प्रयासों को गति दे रहा है।

महुआ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस: नवाचार का उभरता केंद्र

दौरे के दौरान निफ्टेम टीम ने महुआ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का निरीक्षण किया। यहां महुआ फूल से तैयार किए जा रहे नवाचारी उत्पाद—जैसे महुआ च्यवनप्राश, महुआ टी, महुआ स्नैक्स और विभिन्न प्रयोगात्मक खाद्य उत्पाद—का विस्तृत अवलोकन किया गया।

टीम ने उत्पादों की गुणवत्ता, स्वच्छ पैकेजिंग, वैज्ञानिक प्रसंस्करण पद्धति और महुआ के सुरक्षित आधुनिक उपयोग की विशेष सराहना की।
यह केंद्र जिला प्रशासन जशपुर द्वारा शुरू किया गया एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जिसे वर्तमान में जय जंगल द्वारा संचालित किया जा रहा है।
यह न केवल स्थानीय प्रजातियों के प्रसंस्करण को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि महिलाओं और युवाओं के लिए वास्तविक कौशल निर्माण और आय-वृद्धि का सशक्त माध्यम बन चुका है।

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विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

वीएपी कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे प्रो. प्रसन्ना कुमार ने जशपुर में हो रही प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।
उन्होंने जिला कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, एनआरएलएम मिशन मैनेजर और जय जंगल एफपीसी के निदेशक के योगदान को महत्वपूर्ण बताया।

निफ्टेम निदेशक डॉ. हरिंदर सिंह ओबेरॉय ने कहा कि वीएपी कार्यक्रम छत्तीसगढ़ में उभरते खाद्य प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र की मजबूत नींव बना रहा है और इसे और अधिक जिलों में विस्तार देने की आवश्यकता है।

दौरे के अंत में तैयार की गई विस्तृत “जशपुर खाद्य प्रसंस्करण विकास रिपोर्ट” आज जिला प्रशासन को औपचारिक रूप से सौंपी गई।