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बस्तर में नई शुरुआत का प्रतीक बना ‘पंडुम कैफे’, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया लोकार्पण

बस्तर में नक्सल प्रभावित परिवारों और समर्पण कर चुके पूर्व माओवादी सदस्यों के पुनर्वास को नई दिशा देते हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज जगदलपुर के पुलिस लाइन परिसर में ‘पंडुम कैफे’ का शुभारंभ किया। इस पहल को प्रदेश में नक्सल उन्मूलन की दिशा में आए सकारात्मक बदलाव का मजबूत संकेत माना जा रहा है।

कैफे में कार्यरत युवाओं—जो कभी हिंसा के चक्रव्यूह में थे—से मुख्यमंत्रियों ने आत्मीय भेंट की। नारायणपुर, सुकमा और बस्तर जिले से जुड़ी युवतियों ने अपनी नई जिंदगी की यात्रा मुख्यमंत्री के साथ साझा की। श्री साय ने उन्हें उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि “पंडुम कैफे न केवल आजीविका का माध्यम है, बल्कि यह उम्मीद, विश्वास और शांति का प्रतीक बनकर उभरा है।”

उन्होंने बताया कि कैफे में कार्यरत युवा जिला प्रशासन और पुलिस विभाग की ओर से कैफे प्रबंधन, आतिथ्य सेवाओं, स्वच्छता मानकों और उद्यमिता से संबंधित विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। इससे वे अब सम्मानजनक तरीके से अपनी नई राह बना पा रहे हैं।

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एक महिला कर्मचारी ने भावुक होकर कहा कि “जिस अंधेरे में हम थे, उसके बाद यह नई शुरुआत हमारे लिए जीवन का दूसरा अवसर है। बारूद छोड़कर कॉफी परोसने की खुशी शब्दों में नहीं बताई जा सकती।”
एक अन्य सदस्य ने कहा, “पहले भविष्य धुंधला दिखाई देता था। अब अपनी कमाई पर घर-परिवार संभाल पाने का विश्वास लौटा है।”

‘पंडुम’ नाम बस्तर की सांस्कृतिक पहचान से लिया गया है। इसकी टैगलाइन—“जहाँ हर कप एक कहानी कहता है”—संकेत देती है कि इस कैफे में परोसी जाने वाली कॉफी केवल पेय नहीं, बल्कि संघर्ष से सशक्तिकरण तक के सफर की कहानी भी समेटे हुए है।

उद्घाटन कार्यक्रम में वन मंत्री केदार कश्यप, शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव, सांसद महेश कश्यप, विभिन्न विधायक, बस्तर संभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने सभी से अपील की कि वे इन युवाओं को समाज में मजबूत स्थान दिलाने में सहयोग करें।

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