प्रधानमंत्री ने कहा – ब्रह्मकुमारीज़ विश्व शांति के सार्थक प्रयासों का प्रमुख केंद्र बनेंगी
रायपुर, 1 नवम्बर 2025/ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर राजधानी रायपुर में आयोजित “शांति शिखर – अकैडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड” के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर रहे हैं, जो भारत के संघीय विकास की भावना का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने तीनों राज्यों सहित उन सभी राज्यों को भी शुभकामनाएँ दीं जो अपना स्थापना दिवस मना रहे हैं।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री रमन डेका, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, ब्रह्मकुमारीज की वरिष्ठ राजयोगिनी बहन जयंती, राजयोगी मृत्युंजय तथा देशभर से आए संतों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के अभियान में ब्रह्मकुमारीज जैसी संस्थाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “मैं अतिथि नहीं, आप ही का हूँ। मैंने इस आध्यात्मिक आंदोलन को वटवृक्ष की तरह बढ़ते देखा है। यहां शब्द कम, सेवा ज्यादा है।”
उन्होंने संस्थान के प्रति अपने विशेष जुड़ाव को स्मरण करते हुए बताया कि बीते दशकों में उन्होंने अहमदाबाद, प्रयागराज और माउंट आबू जैसे स्थानों पर ब्रह्मकुमारीज के अनेक कार्यक्रमों में भाग लिया है। प्रधानमंत्री ने जानकी दादी और दादी हृदय मोहिनी जी के स्नेह और मार्गदर्शन को अपने जीवन की अमूल्य स्मृतियाँ बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि “शांति शिखर – अकैडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड” आने वाले समय में विश्व शांति के प्रयासों का प्रमुख केंद्र बनेगी। उन्होंने कहा, “आपका पहला संबोधन ही ‘ॐ शांति’ है। ‘ॐ’ ब्रह्म और सम्पूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक है, और ‘शांति’ विश्व में शांति की कामना। यही इस संस्थान की आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत है।”
उन्होंने शास्त्रों के उद्धरण “आचारः परमो धर्मः” को दोहराते हुए कहा कि आचरण ही सबसे बड़ा धर्म, तप और ज्ञान है। परिवर्तन तभी आता है जब कथन को आचरण में उतारा जाए।
पर्यावरण संरक्षण का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत प्रकृति को माँ के समान पूजता है और उसका दोहन नहीं, संवर्धन करता है। उन्होंने बताया कि भारत “One Earth, One Family, One Future” और “Mission LiFE” जैसे अभियानों के माध्यम से विश्व को सुरक्षित भविष्य देने का प्रयास कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत जहां भी कोई संकट आता है, सबसे पहले सहायता के लिए पहुंचता है। यह हमारी संवेदना और मानवता का परिचायक है।”
अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि शांति शिखर अकैडमी भारत की शांति, आध्यात्मिकता और सेवा की भावना को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ब्रह्मकुमारीज का यह संस्थान विश्व कल्याण की दिशा में नया अध्याय जोड़ेगा।
प्रधानमंत्री ने सभी ब्रह्मकुमारीज बहनों, साधकों और उपस्थित श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए अपने संबोधन का समापन पावन मंत्र “ॐ शांति” से किया।

