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UPI को लेकर निखिल कामथ का बड़ा बयान, कहा – भारत की डिजिटल पेमेंट सिस्टम बन सकती है वैश्विक सॉफ्ट पावर

ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ ने भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स सिस्टम (UPI) की तारीफ करते हुए इसे वैश्विक सॉफ्ट पावर के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया है। कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “अगर तेल ने भू-राजनीति को आकार दिया है, तो क्या पेमेंट प्रोटोकॉल भी ऐसा कर सकते हैं? भारत-निर्मित स्टैंडर्ड जिसे अन्य देश अपनाते हैं, वह डिज़ाइन से ही सॉफ्ट पावर है। क्या UPI सिर्फ सफलता नहीं, बल्कि निर्यात भी होना चाहिए?”

कामथ ने UPI की बढ़ती महत्ता को दर्शाते हुए इसके उपयोग, वैश्विक पहुंच और अन्य कारकों का हवाला दिया।

UPI ने Visa को पीछे छोड़ा
UPI ने हाल ही में दैनिक लेन-देन की संख्या में Visa को पीछे छोड़ दिया है। एक दिन में 65 करोड़ लेन-देन UPI के माध्यम से किए गए। यह उपलब्धि UPI ने केवल 9 साल में हासिल की।

UPI का फैलाव
कामथ के अनुसार, UPI का उपयोग डिजिटल रूप से जुड़े शहरों और पर्यटन आधारित क्षेत्रों में सबसे अधिक है। सितंबर 2025 में दिल्ली, चंडीगढ़, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, लद्दाख और सिक्किम में प्रति व्यक्ति लेन-देन की संख्या सबसे ज्यादा रही।

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वैश्विक स्वीकार्यता
भारत के अलावा भूटान, फ्रांस, मॉरीशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका, UAE और कतर जैसे देशों में UPI के माध्यम से भुगतान स्वीकार किए जाते हैं।

COVID-19 महामारी के बाद तेजी
महामारी के दौरान डिजिटल भुगतान का रुझान बढ़ा और UPI का उपयोग ₹25 करोड़ से बढ़कर ₹1,840 करोड़ हो गया।

भारत बना विश्व का सबसे बड़ा भुगतान बाजार
UPI की सफलता के चलते भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा पेमेंट्स मार्केट बन चुका है, जहां 129.3 बिलियन लेन-देन दर्ज हुए, जो सालाना 44% की वृद्धि दर्शाता है। ब्राजील इस सूची में दूसरे स्थान पर है।

डिजिटल लेन-देन में UPI का दबदबा
भारत में डिजिटल लेन-देन में UPI का हिस्सा लगभग 83% है, जबकि अन्य माध्यम जैसे NEFT, RTGS, डेबिट/क्रेडिट कार्ड आदि के हिस्से कम हैं।

सामाजिक मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
कामथ के पोस्ट पर नेटिज़न्स ने UPI की तुलना तेल से करना सही माना और इसे भारत की टेक्नोलॉजी शक्ति और सॉफ्ट पावर का प्रतीक बताया। कई यूजर्स ने सुझाव दिया कि इसे वैश्विक रूप से अपनाकर भारत अपने डिजिटल प्रभाव को और बढ़ा सकता है।

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कामथ के अनुसार, UPI केवल तकनीकी सफलता नहीं है, बल्कि यह आर्थिक सहयोग और डिजिटल संप्रभुता के माध्यम से भारत की वैश्विक पहुंच बढ़ाने का अवसर भी है।