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मुख्यधारा में लौटे माओवादी कैडर, बस्तर में शांति, विश्वास और विकास की नई सुबह : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर, 17 अक्टूबर 2025/ आज का दिन न केवल बस्तर, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और भारत के लिए ऐतिहासिक बन गया। दशकों तक हिंसा और भय की छाया में जी रहे 210 माओवादी कैडरों ने “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” कार्यक्रम के तहत हथियार डालकर संविधान और लोकतंत्र की राह अपनाई। यह छत्तीसगढ़ में शांति, विश्वास और विकास के नए युग की शुरुआत है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जगदलपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जो युवा कभी माओवाद की झूठी विचारधारा में उलझे हुए थे, वे आज लोकतंत्र की शक्ति और राज्य सरकार की संवेदनशील नीतियों पर भरोसा करते हुए मुख्यधारा में लौट रहे हैं।

कुल 210 आत्मसमर्पित कैडरों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य, एक रीजनल कमेटी सदस्य, 22 डिविजनल कमेटी सदस्य, 61 एरिया कमेटी सदस्य और 98 पार्टी सदस्य शामिल हैं। इन पर 9 करोड़ 18 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

कार्यक्रम में आत्मसमर्पित माओवादियों ने 153 हथियार सौंपे — जिनमें 19 AK-47, 17 SLR, 23 INSAS राइफलें, 1 INSAS LMG, 36 .303 राइफलें, 4 कार्बाइन, 11 BGL लॉन्चर, 41 शॉटगन और 1 पिस्तौल शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने इस क्षण को अपने जीवन का सबसे भावनात्मक और संतोषजनक पल बताया। उन्होंने कहा — “जिन युवाओं ने बंदूकें नीचे रखकर संविधान थामा, उन्होंने छत्तीसगढ़ के भविष्य में शांति और एकता के बीज बोए हैं। बदलाव नीतियों और विश्वास से आता है, भय और हिंसा से नहीं।”

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025”, “नियद नेल्ला नार योजना” और “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी पहल अब न केवल बस्तर बल्कि पूरे राज्य में परिवर्तन की ठोस आधारशिला बन चुकी हैं। इन योजनाओं ने बारूद की जगह संवाद और संवेदना को स्थापित किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा — “यह अभूतपूर्व आत्मसमर्पण राज्य और केंद्र सरकार के समन्वित प्रयासों का परिणाम है। पुलिस, सुरक्षा बल, प्रशासन, सामाजिक संगठन और नागरिक समाज — सभी ने मिलकर इस ऐतिहासिक परिवर्तन को संभव बनाया है। यह बस्तर के इतिहास का मील का पत्थर है।”

उन्होंने कहा कि यह दृश्य पूरे भारत के लिए प्रेरणा है — “यदि नीयत साफ हो और नीतियाँ जनकेंद्रित हों, तो हिंसा का अंत और शांति की शुरुआत संभव है।” यह सामूहिक आत्मसमर्पण बस्तर में नक्सल उन्मूलन अभियान की सबसे बड़ी सफलता है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कदम हिंसा की जड़ समाप्त करने की दिशा में निर्णायक मोड़ है। “अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर, जहाँ कभी भय का शासन था, वहाँ आज विश्वास का शासन है। जो कल जंगलों में छिपे थे, आज वे समाज के निर्माण में सहभागी बन रहे हैं।”

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उन्होंने कहा — “डबल इंजन सरकार की दृढ़ प्रतिज्ञा है कि छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से पूर्णतः मुक्त किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में यह परिवर्तन गति पकड़ चुका है। बस्तर का यह परिवर्तन उसी संकल्प का प्रमाण है।”

राज्य सरकार ने आत्मसमर्पित कैडरों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। प्रत्येक व्यक्ति को स्वरोजगार, प्रशिक्षण, आवास, शिक्षा और आजीविका के अवसर प्रदान किए जाएंगे, ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें और समाज के विकास में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा — “‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ केवल कार्यक्रम नहीं, बल्कि विश्वास का प्रतीक है। यह हिंसा नहीं, संवाद का मार्ग है। यह पहल बस्तर में शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका सुधार के नए द्वार खोलेगी।”

उन्होंने आगे कहा — “जब सरकार की नीतियाँ संवेदनशील और जनकेंद्रित होती हैं, तब सबसे कठिन समस्याएँ भी हल हो सकती हैं। हमारा लक्ष्य केवल नक्सलवाद का अंत नहीं, बल्कि एक नए बस्तर का निर्माण है — जहाँ हर घर में विश्वास और हर मन में विकास का उजाला हो।”

मुख्यमंत्री ने क्षेत्र की जनता, जनप्रतिनिधियों, मीडिया, सुरक्षा बलों और नागरिक समाज को धन्यवाद देते हुए कहा कि शांति, विकास और समृद्धि की यात्रा तभी स्थायी होगी जब हर वर्ग इस परिवर्तन की भावना को अपनाएगा।

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सरकार ने बस्तर को आत्मनिर्भर क्षेत्र के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है — नए उद्योगों, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और सशक्त कनेक्टिविटी के माध्यम से। उन्होंने कहा — “जंगलों की हरियाली के साथ अब यहाँ के युवाओं के जीवन में भी उजाला फैलेगा।”

मुख्यमंत्री ने कहा — “यह वह क्षण है जब बस्तर में ‘बंदूक की गूंज’ की जगह ‘विकास की गूंज’ सुनाई दे रही है। यह भय से विश्वास और हिंसा से शांति की यात्रा का प्रतीक है।”

अंत में उन्होंने कहा — “यह केवल आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि आत्मजागरण की यात्रा है। यह छत्तीसगढ़ की नई पहचान है — शांति, विश्वास और विकास की। आने वाले समय में बस्तर न केवल नक्सल मुक्त होगा, बल्कि पूरे देश के लिए शांति और परिवर्तन का मॉडल बनेगा।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा, सांसद महेश कश्यप, विधायक किरण सिंह देव, पुलिस महानिदेशक अरुणदेव गौतम, एडीजी (सीआरपीएफ) अमित कुमार, एडीजी (बीएसएफ) नामग्याल, एडीजी (एएनओ) विवेकानंद झा, बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी, तथा बस्तर के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक एवं केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।