धमतरी ने खोया साहित्यिक सितारा, हास्य–व्यंग्य कवि सुरजीत नवदीप का निधन
धमतरी, 16 सितंबर। धमतरी के साहित्य जगत में गहरा शोक छा गया है। प्रसिद्ध हास्य–व्यंग्य कवि, अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों के लोकप्रिय मंच संचालक और धमतरी जिला हिंदी साहित्य समिति के संरक्षक सुरजीत नवदीप का कल रात्रि 9 बजे नगर के उपाध्याय नर्सिंग होम में निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे। अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए।
उनका अंतिम दर्शन सुबह 9 बजे से काल टैक्स पेट्रोल पंप के पीछे, डाक बंगला वार्ड स्थित निवास पर होगा। घर से गुरुद्वारा होते हुए दोपहर 2 बजे मुक्तिधाम के लिए अंतिम यात्रा निकलेगी।
साहित्य और मंच पर विशेष पहचान
1 जुलाई 1937 को मंडी भवलदीन, पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मे सुरजीत नवदीप ने एम.ए. (हिंदी), बी.एड. और सी.पी.एड. की उपाधियाँ अर्जित कीं। शिक्षा क्षेत्र में दीर्घ सेवा देने के बाद वे साहित्य और स्वतंत्र लेखन में सक्रिय रहे।
उनकी सहज हास्य शैली और व्यंग्यात्मक टिप्पणियों ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दी। उन्होंने रेडियो और दूरदर्शन पर अनेक बार काव्यपाठ और कार्यक्रमों का संचालन किया।
प्रमुख कृतियाँ
उनकी रचनाओं में लाजवंती का पौधा (उपन्यास), हवाओं में भटकते हाथ, कुर्सी के चक्कर में, शब्दों का अलाव, आंसू हंसते हैं, रावण कब मरेगा?, खाओ पीयो खिसको, बुढ़ापा जिन्दाबाद जैसी पुस्तकें शामिल हैं। इनमें समाज की विसंगतियों, राजनीतिक व्यंग्य और मानवीय संवेदनाओं को सहजता से प्रस्तुत किया गया है।
सम्मान और योगदान
सुरजीत नवदीप को विभिन्न संस्थाओं ने सम्मानित किया। इनमें राजभाषा स्वर्ण जयंती समारोह (भद्रावती, कर्नाटक), मेट्रो रेलवे (कलकत्ता), छत्तीसगढ़ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति (रायपुर), स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (कलकत्ता), एनटीपीसी (उड़ीसा) और अनेक साहित्यिक-सामाजिक संस्थाएं शामिल हैं। वे छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सदस्य भी रह चुके थे।
शोक की लहर
उनके निधन से धमतरी सहित पूरे प्रदेश का साहित्यिक समाज शोकाकुल है। धमतरी जिला हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष डुमन लाल ध्रुव ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “हास्य के साथ समाज की गंभीरताओं पर ध्यान आकर्षित करने वाला यह व्यक्तित्व हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।”