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जशपुर जम्बूरी से जिले के पर्यटन को मिल रही नयी पहचान, नए सीजन का आयोजन 06 से 09 नवंबर तक

रायपुर, 14 सितम्बर 2025। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रविवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय बगिया में पर्यटन एवं कृषि क्रांति का शुभारंभ किया। इस पहल के माध्यम से जशपुर पर्यटन और कृषि क्रांति को इको-टूरिज्म तथा होमस्टे से आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इसका प्रत्यक्ष लाभ स्व सहायता समूहों और किसानों को मिलेगा।

इस अवसर पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, सरगुजा आदिवासी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष और पत्थलगांव विधायक गोमती साय, जशपुर विधायक रायमुनि भगत, जिला पंचायत अध्यक्ष सालिक साय, कलेक्टर रोहित व्यास, एसएसपी शशि मोहन सिंह, जिला पंचायत सीईओ अभिषेक कुमार सहित जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।

पर्यटन और विकास की दिशा में नई पहचान

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ विकास की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर सबका साथ, सबका विकास को सार्थक किया जा रहा है। उन्होंने जशपुर जिले में पर्यटन के क्षेत्र में कार्य करने वाले स्व सहायता समूहों और युवाओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नए दायित्वों के चलते उन्हें जशपुर से बाहर रहना पड़ता है, लेकिन वे निरंतर जशपुर आते रहेंगे और विकास की गति बनाए रखेंगे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री बनने के बाद जशपुर जम्बूरी के जरिए जिले को पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान दिलाने की शुरुआत की गई थी। वर्ष 2024 में हुए पहले जशपुर जम्बूरी में पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस आयोजन ने न केवल इको-टूरिज्म और एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा दिया, बल्कि जनजातीय परंपराओं से भी परिचय कराया।

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सांस्कृतिक धरोहर और स्थानीय रोजगार

जशपुर जम्बूरी 2024 में सांस्कृतिक प्रदर्शन, स्थानीय व्यंजनों का मेला और जनजातीय नृत्यों ने पर्यटकों को आकर्षित किया। इससे स्थानीय कारीगरों और गाइड्स को रोजगार के अवसर मिले। मुख्यमंत्री ने बताया कि एक बार फिर जशपुर जम्बूरी का नया संस्करण 6 से 9 नवम्बर 2025 तक आयोजित होगा। इस दौरान कर्मा और सरहुल जैसे जनजातीय नृत्य, गोदना कला, काष्ठ शिल्प और लौह शिल्प की प्रदर्शनी तथा लोकनाट्य पर आधारित सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय कला और हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान दिलाने का माध्यम बनेगा।

पर्यटन को उद्योग का रूप

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वदेश दर्शन योजना के तहत मयाली नेचर कैंप में बोटिंग, कैक्टस गार्डन और टेंट की सुविधाएँ जोड़ी गई हैं। मधेश्वर पहाड़ के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है, जिससे जशपुर को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में पहचान मिली है।

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उन्होंने बताया कि राज्य में होमस्टे नीति लागू की गई है, जिससे पर्यटक आदिवासी संस्कृति और जीवनशैली से परिचित हो सकें। होमस्टे से स्थानीय समुदायों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। जशपुर जम्बूरी जैसे उत्सव स्थानीय गाइड्स, शिल्पकारों और होमस्टे संचालकों को सीधा लाभ पहुँचाएंगे। लक्ष्य है कि इसे एक वार्षिक महोत्सव के रूप में स्थापित किया जाए, जिससे अंतरराष्ट्रीय पर्यटक भी आकर्षित हों।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जीआईएस मैपिंग और डिजिटल मार्केटिंग से जशपुर की वैश्विक पहुँच बढ़ाई जाएगी। युवाओं और पर्यटन से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतर सकें।

जशपुर जम्बूरी 2024: एक झलक

पहली बार 2024 में आयोजित जशपुर जम्बूरी ने रोमांच, संस्कृति और समुदाय का अनोखा संगम प्रस्तुत किया। झारखंड, ओडिशा, रायपुर और छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया। रानी दाह, टी-गार्डन और जशपुर संग्रहालय की सैर, स्थानीय व्यंजनों का आधुनिक स्वरूप और सरहुल-कर्मा नृत्य की प्रस्तुतियों ने सभी को प्रभावित किया। चार दिन तक यह आयोजन रोमांचक गतिविधियों, सांस्कृतिक रंग और सामुदायिक मेलजोल से भरा रहा। इसने जशपुर को इको-टूरिज्म और एडवेंचर स्पोर्ट्स का नया गंतव्य बना दिया।

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जशपुर जम्बूरी 2025: और भी भव्य रूप

अब 6 से 9 नवम्बर 2025 तक आयोजित होने वाला जशपुर जम्बूरी और बड़े स्वरूप में लौट रहा है। इसमें रॉक क्लाइम्बिंग, रैपलिंग, ज़िपलाइन, ट्रेकिंग, मयाली डैम पर वॉटर स्पोर्ट्स, पैरामोटर और हॉट एयर बलून जैसी गतिविधियाँ होंगी। जनजातीय नृत्य, लोक संगीत, हस्तशिल्प कार्यशालाएँ, लोकनाट्य और स्थानीय व्यंजन पर्यटकों को विशेष अनुभव देंगे।

पारंपरिक खेल, टीम-बिल्डिंग गतिविधियाँ और तारों भरे आसमान के नीचे अलाव की गर्माहट इस उत्सव को यादगार बनाएगी। इसका उद्देश्य प्रतिभागियों को प्रकृति, परंपरा और समुदाय की उस धारा से जोड़ना है, जहाँ हर पल एक नई कहानी बनती है। कार्यक्रम में गोमती साय, रायमुनि भगत और सालिक साय ने भी संबोधन किया और जशपुर के विकास, पर्यटन तथा कृषि क्रांति की जानकारी दी। अंत में आभार डिप्टी कलेक्टर समीर बड़ा ने व्यक्त किया।