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मुकेश पाण्डेय: झोला उठाईए और निकल पड़िए दुनिया देखने

ओरछा मध्यप्रदेश यात्रा के दौरान हमारी भेंट मुकेश पाण्डेय से हुई, ये भी उन घुमक्कड़ों में से हैं कि जब भी थोड़ा सा समय मिला और घुमक्कड़ी कर ली। आज घुमक्कड़ जंक्शन पर आपकी भेंट मुकेश पाण्डेय से करवाते हैं, जो नौकरी की व्यस्तताओं के बीच घुमक्कड़ी सिद्ध कर रहे हैं…………
1- आपका जन्म और शिक्षा दीक्षा कहाँ हुई?
@ मेरा जन्म तो बिहार के बक्सर जिले के गोप भरौली गांव में हुआ था,लेकिन अपने नाना-नानी के पास सागर मध्य प्रदेश में पला-बढ़ा हूँ ।चूंकि नाना जी पुलिस में थे, तो उनके तबादले के साथ ही मेरी पढ़ाई भी सागर जिले के अलग अलग जगहों पर हुई । सागर के डॉ हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय से बॉटनी,जूलॉजी और एंथ्रोपोलॉजी में बी एससी किया, उसके बाद सिविल सर्विस की तैयारी के लिये इलाहाबाद चला गया । तैयारी के साथ ही इतिहास से एम ए किया , फिर घरवालों के दवाब में बी एड किया ।

2- वर्तमान में आप क्या करते हैं एवं परिवार में कौन-कौन हैं ?
@ वर्तमान में मैं मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित होकर आबकारी उपनिरिक्षक के पद पर ओरछा जिला टीकमगढ़ म0प्र0 में कार्यरत हूँ । परिवार में नाना जी, मम्मी-पापा , पिताजी रेलवे के सेवानिवृत्त कर्मचारी है ।दो छोटे भाई निकेश इंदौर में प्राइवेट जॉब कर रहा है ।अभिषेक सोनपुर में रेलवे में कार्यरत है , एक बहन अर्चना जिसकी शादी होने के बाद अपने परिवार के साथ दिल्ली में है । 3 साल पहले शादी हुई । अब पत्नी निभा और एक प्यारा सा बेटे अनिमेष के साथ खुशहाल परिवार है।

3 – घूमने की रुचि आपके भीतर कहाँ से जागृत हुई।
@ घूमने की रुचि -पिताजी रेलवे में थे, तो उनके साथ बिहार से मध्यप्रदेश बचपन में खूब आया गया । यूनिवर्सिटी में जब एनसीसी जॉइन किया तो कैम्प और ट्रेनिंग से घुमक्कड़ी ने जोर मारा । फिर तैयारी करते समय मजबूरन मन मार कर पढ़ाई की । हालांकि परीक्षाएं देने अलग अलग शहरों में जाते समय घुमक्कड़ी का शौक पूरा किया । और नौकरी के बाद तो बंधन टूट गए।
4-किस तरह की घुमक्कड़ी आप पसंद करते हैं, ट्रेकिंग एवं रोमांचक खेल भी क्या आपकी घुमक्कड़ी में सम्मिलित हैं ?
@ मुख्यतः मैं प्राकृतिक और ऐतिहासिक स्थलों पर जाना पसंद करता हूँ । मुझे कांक्रीट के जंगल पसंद नही है । प्रसिद्ध स्थलों की बजाय कम प्रसिद्ध स्थानों को प्राथमिकता देता हूँ । ट्रेकिंग का शौक तो नही है , परंतु रोमांचक खेलों के प्रति आकर्षण ओरछा पदस्थापना के बाद हुआ है । ओरछा में ही मैंने कई बार रिवर राफ्टिंग, वोटिंग, कयाकिंग, जंगल सफारी, साइकिलिंग आदि किया है ।

5-उस यात्रा के बारे में बताएं जहाँ आप पहली बार घूमने गए और क्या अनुभव रहा ?
@ चूंकि बचपन से घूम रहा हूँ , तो पहली बार के स्थान का याद करना मुश्किल है । परंतु जब मैं छठी क्लास में था, तो घर बिना बताए साईकल से 12 किमी दूर एक शिवमंदिर जहाँ मेला लगा हुआ था , चला गया । वही से एक दोस्त के साथ जंगल घूमने निकल गया। जंगल मे जब तक मोर, हिरण, सियार, बन्दर, लंगूर नीलगाय मिली तब बड़े खुश थे, लेकिन जब एक अजगर को बकरी के बच्चे का शिकार करते देखा तो हाथ पांव ही फूल गये और घर आने पर जो पिटाई हुई, वो आज तक याद है । हालांकि जंगल प्रेम अभी भी बना है ।

6-घुमक्कड़ी के दौरान आप परिवार एवं अपने शौक के बीच किस तरह सामंजस्य बिठाते हैं?
@ घुमक्कड़ी में परिवार से तो ज्यादा सामंजस्य नौकरी के साथ करना पड़ता है । वैसे पत्नी को घुमा लाओ सामंजस्य सफल हो जाता है । अभी बेटा छोटा है, इसलिए ज्यादा दिक्कत नही है ।
7-आपकी अन्य रुचियों के बारे में बताइए ?
@ अन्य रुचियों में ब्लॉगिंग, लेखन , बागवानी, चित्रकला के साथ पढ़ना है ।

8-घुमक्कड़ी (देशाटन, तीर्थाटन, पर्यटन) को जीवन के लिए आवश्यक क्यों माना जाता है?
@ घुमक्कड़ी करने वाले इंसान जिंदादिल होते है । घुमक्कड़ी से बहुत कुछ जानने , समझने, सीखने मिलता है । हर यात्रा हमें नया अनुभव देती है, और हमे और परिपक्व करती है । हमे कल्पनाओं के आकाश से यथार्थ के धरातल पर लाती है ।

9- आपकी सबसे रोमांचक यात्रा कौन सी थी, अभी तक कहाँ कहाँ की यात्राएँ की और उन यात्राओं से क्या सीखने मिला ?@ मेरी सबसे रोमांचक यात्रा बिहार के रोहतास (सासाराम) जिले में स्थित गुप्तेश्वर धाम की रही । इसमें पहली बार ट्रैकिंग किया, और रात से शुरू होकर अगले पूरे दिन चलते रहे । बारिश से भीगते हुए आसपास के प्राकृतिक नजारे अलग ही रोमांच पैदा कर रहे थे । अभी तक मैंने बिहार, झारखंड, प. बंगाल, म.प्र., उ.प्र. , राजस्थान, दिल्ली और आंध्र प्रदेश के कई स्थानों की यात्राएं की , जिनमे कुछ प्रसिद्ध तो कुछ कम प्रसिद्ध स्थान शामिल रहे। हर यात्रा अपने आप में एक नया अनुभव और सीख देकर जाती है ।

10. नये घुमक्कड़ों के लिए आपका क्या संदेश हैं?

@ नए घुमक्कड़ों के लिए यही कहना चाहूंगा कि घर से निकलने के बाद ही ज्ञान मिल पाता है। कहाँ कोई बुद्ध, महावीर राजमहलों में बन पाता है। तो झोला उठाईये और निकल पड़िए दुनिया देखने, इस दुनिया को इंतजार है एक नए घुमक्कड़ का।

30 thoughts on “मुकेश पाण्डेय: झोला उठाईए और निकल पड़िए दुनिया देखने

  • July 16, 2017 at 20:14
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    बहुत बहुत बधाई मुकेश जी, और अभिननदन है ललित सर का जिनके प्रयास से ऐसे शुभ काम हो रहे है, घुमक्क्ड़ी इंसान को पूरे तरह से बदल देती है।

  • July 16, 2017 at 21:26
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    मुकेश जी एक अच्छे घुमक्कड़ हैं। शुभकामनाएं।

  • July 16, 2017 at 21:45
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    समय और रुचि इंसान को घुमक्कड़ बनाती है । जंजीरे पैरों को जकड़ती है लेकिन वो जंजीर ही क्या जो तोड़ न सको ।बस फिर क्या मन किया और निकलो

    • July 18, 2017 at 13:48
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      आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा है..

  • July 16, 2017 at 21:53
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    बहुत बहुत बधाई,मुकेश जी,ललित भैया के स्तम्भ में आपको स्थान मिला।

  • July 16, 2017 at 22:11
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    wah Achha interview Sir

  • July 16, 2017 at 22:45
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    प्रकृति को महसूस करना, उसे जीना ही जीवन का सच्चा सुख है। अभिनन्दन, स्वागत घुमक्कडी का व आभार अनुभव बाँटने के इस अनूठे प्रयास का…

    • July 18, 2017 at 13:50
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      यही तो एक घुमक्कड़ की प्रकृति है ! आभार

  • July 16, 2017 at 23:02
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    बहुत बढ़िया पांडेय जी ! अनेक अनेक शुभकामनाएं और ललित जी के इस प्रयास को साधुवाद

  • July 16, 2017 at 23:44
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    छा गए दारोगा बाबू बिल्कुल “दिल से” । ललित जी का आभार जो घुमक्कड़ी को एक नया मँच दिया । आशा है घुमक्कड़ी अब नई ऊँचाइयाँ छूएगी और पहचान बनायेगी ।

  • July 17, 2017 at 00:11
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    मुकेश जी, बहुत बहुत बधाई .आपके बारे में जानकार अच्छा लगा .एक नया मँच उपलब्ध कराने के लिये ललित शर्मा जी का भी बहुत बहुत धन्यवाद .

  • July 17, 2017 at 02:30
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    बहुत बढिया पांडेय जी। आपके बारे में जानकर व आपके विचारो को जानकर अच्छा लगा।

  • July 17, 2017 at 06:30
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    वाह , हिंदी भाषी जगत के घुम्मकड़ों के साक्षात्कार की इस शानदार श्रृंखला के द्वारा इतने छुपे हिरे सामने लाने के लिए ललित जी को हृदय से धन्यवाद !!! मुकेश जी काफी अच्छे से परिचित होने के बावजूद भी उनके दो छोटे भाइयो और दिल्ली वाली बहन के बारे में जानने को मिला … मुकेश जी बड़े ही बढ़िया इंसान है यही दुआ है की आपका घुमक्कड़ी वाला झोला कभी भरे नही ….

  • July 17, 2017 at 11:15
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    Bahut badhiya mukesh bhai

  • July 18, 2017 at 12:42
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    बहुत बढ़िया साक्षत्कार पांडेय जी का, आपके जीवन के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला । आगे के लिए आपको शुभकामनाएं ।

  • July 25, 2017 at 11:11
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    बहुत बढ़िया साक्षात्कार पांडे जी, आगामी वर्ष में घुमककड़ी के लिए शुभकामनाएँ !

  • July 26, 2017 at 08:41
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    सही कहा घुमक्कड़ी वो ही है जिसमे झोला उठाएं और चल पडे

  • August 3, 2017 at 06:01
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    अच्छे ढंग से किये गये साक्षात्कार की यही खूबी है कि वह हमारे जीवन के बहुत सारे अनछुए, अनदेखे पहलुओं को सामने ले आता है। आपके परिवार से मिल चुका हूं। अब आपके बचपन से, आपकी आशाओं – आकांक्षाओं से भी मिलने का सुअवसर मिला ! ललित जी का आभार !

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