futuredविश्व वार्ता

चीन पहुंचे पीएम मोदी: मोदी-जिनपिंग मुलाकात पर वैश्विक निगाहें

ट्रंप के टैरिफ के साए में भारत-चीन संबंधों पर मंथन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होने पहुंच गए हैं। इस दौरे पर वैश्विक निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% आयात शुल्क लगा दिया है। माना जा रहा है कि सम्मेलन में टैरिफ विवाद पर गंभीर चर्चा हो सकती है और सदस्य देश सामूहिक रणनीति का भी ऐलान कर सकते हैं। विशेषज्ञ इस दौरे को भारत की मल्टी-अलाइनमेंट नीति की बड़ी परीक्षा मान रहे हैं, क्योंकि मोदी सरकार चीन से रिश्ते खराब नहीं करना चाहती, वहीं रूस से रियायती तेल खरीदने पर रोक लगाने से भी इनकार कर चुकी है।

विवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी रविवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। यह मुलाकात अहम मानी जा रही है, क्योंकि भारत और चीन, ट्रंप की व्यापार नीति से उपजे तनाव के बीच आपसी आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने पर विचार कर सकते हैं। इसके साथ ही, पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद से उपजे तनाव को कम करने के उपायों पर भी चर्चा संभव है। मोदी की यह यात्रा चीनी विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौरे के कुछ ही दिनों बाद हो रही है।

See also  जनजातीय संस्कृति और स्वत्व के प्रहरी कार्तिक उरांव

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की बहुस्तरीय कूटनीति (Multi-Alignment Diplomacy) दबाव में है। अमेरिका, जो पहले भारत का समर्थक दिखता था, अब उसकी नीतियों का आलोचक बन गया है। ट्रंप प्रशासन भारत पर रूस से रियायती तेल खरीदकर मास्को के सैन्य खर्च को वित्तपोषित करने का आरोप लगा रहा है। ऐसे में भारत को अमेरिकी बयानबाजी और भारी टैरिफ दोनों का सामना करना पड़ रहा है।

अमेरिका-चीन-रूस के बीच भारत की कूटनीतिक कठिनाईयां

भारत की स्थिति जटिल है। एक ओर वह अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ इंडो-पैसिफिक क्वाड का हिस्सा है, तो दूसरी ओर रूस और चीन के नेतृत्व वाले एससीओ का सदस्य भी है। अमेरिका लंबे समय से एससीओ को अपने हितों के विपरीत मानता रहा है, जैसे चीन क्वाड को देखता है। भारत एक साथ ईरान और इजरायल दोनों के साथ रिश्ते मजबूत कर रहा है। यूक्रेन का समर्थन कर रहा है, तो रूस से भी दोस्ती निभा रहा है। साथ ही भारत I2U2 समूह (भारत, अमेरिका, यूएई और इजरायल) और फ्रांस-यूएई-भारत त्रिपक्षीय पहल का भी हिस्सा है।

See also  राज्य स्थापना दिवस 2025 पर छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में भव्य राज्योत्सव, मंत्रीगण, सांसद और विधायक होंगे मुख्य अतिथि

रणनीतिक स्वायत्तता पर जोर

विश्लेषकों के अनुसार, भारत का यह संतुलनकारी रुख किसी मजबूरी से नहीं बल्कि रणनीतिक स्वायत्तता के दृष्टिकोण से है। भारत का मानना है कि विभिन्न खेमों के साथ जुड़ने से उसे ज्यादा अवसर मिलते हैं, भले ही जोखिम भी हों। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि भारत इस कारण अक्सर निशाने पर आ जाता है, क्योंकि वह न तो अमेरिका और न ही चीन जैसे देशों की तरह तत्काल और कड़ा पलटवार करने की स्थिति में है।

भारत की चुनौतियाँ

भारत इस समय दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसका आकार 4 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर है। हालांकि यह चीन की 18 ट्रिलियन डॉलर और अमेरिका की 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी छोटा है। इसके अलावा, भारत का सैन्य-औद्योगिक ढांचा अभी उनसे कमतर है। वह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक है, लेकिन प्रमुख हथियार निर्यातकों में शामिल नहीं है। सरकार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयासरत है, लेकिन हाई-टेक सैन्य तकनीक के लिए अभी भी विदेशों पर निर्भरता बनी हुई है।

See also  समाज के हर वर्ग तक पहुंचेगा संगठन का संदेश : संघ का शताब्दी संकल्प