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‘वोटर अधिकार यात्रा’ से राहुल गांधी का एलान: लोकतंत्र और चुनाव आयोग की निष्पक्षता की रक्षा का संकल्प

संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 15 जून 1949 को संविधान सभा में कहा था कि “मताधिकार लोकतंत्र का सबसे मूल तत्व है। यदि किसी नागरिक को केवल प्रशासनिक पूर्वग्रह या किसी अधिकारी की मनमानी के कारण मतदाता सूची से बाहर कर दिया जाए, तो यह लोकतंत्र की जड़ें हिला देगा।” यह बात उन्होंने उस समय कही थी जब संविधान का अनुच्छेद 324 (तत्कालीन अनुच्छेद 289) पेश किया गया था — जो भारत के चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से संपन्न कराने के लिए एक केंद्रीय चुनाव आयोग की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करता है।

आज, वही चुनाव आयोग सवालों के घेरे में है। कांग्रेस और INDIA गठबंधन का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस संस्था को पार्टी कार्यालय की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इसी के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए राहुल गांधी ने बिहार से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत की है।

क्या है ‘वोटर अधिकार यात्रा’?

यह यात्रा 16 दिनों में 20 से अधिक जिलों को कवर करेगी और लोगों को इस बात के लिए जागरूक करेगी कि किस तरह उनके मताधिकार को छीनने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव आयोग बिहार में जो विशेष पुनरीक्षण (SIR) अभियान चला रहा है, वह एक “पायलट प्रोजेक्ट” है जिसे पूरे देश में लागू करने की योजना है।

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कांग्रेस का दावा है कि इस प्रक्रिया में लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम बिना पारदर्शिता के सूची से हटा दिए गए, जबकि सत्ता पक्ष के हित में आने वाले नामों को जोड़ा या बरकरार रखा गया। यह काम बाढ़ जैसी आपात परिस्थितियों में, बेहद कम समय में और बिना पर्याप्त जानकारी दिए किया गया — जिससे पूरे मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं।

भाजपा की रणनीति: “सरकार चुन रही है अपने मतदाता”

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा एक ऐसा तंत्र तैयार कर रही है जिसमें मतदाता सरकार नहीं, बल्कि सरकार अपने मतदाता तय कर रही है। चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा गया कि वह सरकार की इच्छा के अनुसार कार्य कर रहा है, ना कि संविधान के मुताबिक।

2023 में केंद्र सरकार ने एक नया कानून पारित किया, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनी समिति में से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटाकर एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष चयन समिति की वकालत की थी।

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इस कानून के तहत CEC और EC को अभूतपूर्व कानूनी संरक्षण भी दिया गया है, जो अब उन्हें किसी भी आपराधिक या सिविल कार्यवाही से बचाता है — यहां तक कि उनके रिटायर होने के बाद भी। कांग्रेस ने इसे “निष्पक्षता नहीं, बल्कि दण्डमुक्ति” का कवच बताया।

राहुल गांधी के आरोपों पर ECI की प्रतिक्रिया

हाल ही में राहुल गांधी ने मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर चुनाव आयोग से सवाल पूछे थे। लेकिन आयोग की प्रतिक्रिया असहयोगात्मक रही। न केवल राहुल से स्पष्टीकरण माँगा गया, बल्कि भाजपा नेताओं द्वारा लगाई गई झूठी और अप्रमाणित शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

यह भी सवाल उठा कि:

  • बिहार में SIR क्यों इतनी जल्दी कराई गई, जब चुनाव में सिर्फ तीन महीने बचे थे?

  • महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच 70 लाख नए मतदाता कैसे जुड़ गए?

  • मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज 45 दिन में क्यों हटा दी गई?

  • ECI ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ क्यों विरोध दर्ज कराया?

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लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई

INDIA गठबंधन का कहना है कि अब यह सिर्फ एक राजनीतिक संघर्ष नहीं, बल्कि लोकतंत्र को बचाने की एक जीवित लड़ाई है। राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का उद्देश्य न केवल जनता को जागरूक करना है, बल्कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और जवाबदेही बहाल करने के लिए जनदबाव बनाना भी है।

कांग्रेस का यह भी कहना है कि अगर चुनाव आयोग वास्तव में निष्पक्ष रूप से काम करता, तो भाजपा उसके खिलाफ खड़ी होती — न कि उसका बचाव करती।

जब मतदाता सूची की वैधता पर ही प्रश्नचिह्न लगे हों, तो लोकतंत्र की नींव हिल जाती है। संविधान की रक्षा अब सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि सड़कों पर हो रही है — और इस लड़ाई में हर जागरूक नागरिक की भागीदारी अनिवार्य है।