सामाजिक कुरितियों को चुनौती देता एक आंदोलन जिसने विवाह की परिभाषा बदल दी

भारत जैसे विविधतापूर्ण समाज में विवाह केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों, समुदायों और संस्कृतियों का मिलन होता है। किन्तु यह पवित्र संस्कार आज के समय में आर्थिक बोझ और दिखावे की होड़ में विकृत रूप ले चुका है। इसी पृष्ठभूमि में सामूहिक विवाह की परंपरा समाज में सादगी, समानता और सहयोग का उज्ज्वल उदाहरण प्रस्तुत करती है।
सामूहिक विवाह केवल एक सामाजिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह आर्थिक समरसता, सामाजिक न्याय और नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का अभियान है। इसमें जाति, वर्ग, धर्म और आर्थिक स्थिति के भेदभाव को भुलाकर समाज के सभी वर्गों की बेटियों के विवाह एक ही मंच पर संपन्न होते हैं, जो सामूहिक चेतना और सामाजिक एकता को मजबूती प्रदान करते हैं।
यह परंपरा न केवल बेटियों को सम्मान और अधिकार देती है, बल्कि गरीब परिवारों को आर्थिक राहत, समाज को नई दिशा, और युवाओं को समानता का भाव प्रदान करती है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में यह परंपरा एक सशक्त सामाजिक आंदोलन बन गई है।
इस आंदोलन के प्रणेता रहे स्वर्गीय जीवनलाल साव, जिन्होंने 15 मई 1975 को अक्ती तिहार के पावन अवसर पर रायपुर जिला साहू संघ के अध्यक्ष के रूप में आदर्श सामूहिक विवाह की नींव रखी। उनकी अनुपस्थिति में भी उनके साथियों ने 27 जोड़ों का विवाह संपन्न कराया। यही बीजवपन आज वटवृक्ष का रूप ले चुका है।
महासमुंद जिले की बागबाहरा तहसील में आदर्श सामूहिक विवाह कार्यक्रम की स्वर्ण जयंती 2025 में अत्यंत हर्षोल्लास और गरिमामय वातावरण में संपन्न हुई। यह कार्यक्रम दो चरणों में आयोजित किया गया, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों की बेटियों के विवाह एक साझा मंच पर कराए गए — सामाजिक समरसता और आर्थिक सहयोग की अनुपम मिसाल के रूप में।
प्रथम चरण: घोयनाबाहरा में भव्य आयोजन
दिनांक 11 मई 2025 को प्रथम चरण का आयोजन कोमाखान के समीप ग्राम घोयनाबाहरा में साहू समाज के तत्वावधान में संपन्न हुआ। इसमें विभिन्न जातियों की बेटियों के विवाह एक मंच पर विधिपूर्वक कराए गए।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख अतिथियों में छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव, सांसद श्रीमती रूप कुमारी चौधरी, पूर्व सांसद श्री चुन्नीलाल साहू, विधायक श्री द्वारकाधीश यादव, एवं समाज प्रमुख शामिल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ सामाजिक नेता श्री नारायण साहू ने की।
द्वितीय चरण: ग्राम मुनगासेर में समापन समारोह
दूसरे चरण का आयोजन 15 मई 2025 को ग्राम मुनगासेर में संपन्न हुआ, जिसमें 5 जोड़ों का विवाह सम्पन्न हुआ। वर-वधुओं को आशीर्वाद देने पहुंचे केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू, रायपुर विधायक श्री मोतीलाल साहू, भाटापारा विधायक श्री इंद्र साव, पूर्व सांसद श्री चुन्नीलाल साहू सहित अनेक गणमान्य अतिथियों एवं समाजसेवियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
सामाजिक नवाचार की शुरुआत
इस आदर्श सामूहिक विवाह कार्यक्रम की नींव 15 मई 1975 को अक्ती तिहार के दिन रखी गई थी। साहू समाज रायपुर द्वारा प्रारंभ किए गए इस आयोजन को भारत का पहला सामाजिक सामूहिक विवाह कार्यक्रम कहा जाता है।
इस ऐतिहासिक पहल के प्रेरणास्रोत थे स्वर्गीय जीवनलाल साव, जो उस समय जिला साहू संघ रायपुर के अध्यक्ष थे। किंतु, कार्यक्रम से पूर्व वे आरंग किसान आंदोलन में गिरफ्तार होकर मीसा (MISA) के तहत निरुद्ध किए गए थे और उन्हें पेरोल भी नहीं दिया गया। उनकी अनुपस्थिति में उनके साथियों ने 27 जोड़ों का विवाह संपन्न कराया, जिससे यह कार्यक्रम सामाजिक चेतना का प्रतीक बन गया।
पूरे प्रदेश में फैलता आंदोलन
1976 में बागबाहरा कृषि उपज मंडी में स्वर्गीय जीवनलाल साव के नेतृत्व में दूसरा भव्य आयोजन हुआ, जिसका प्रसारण दूरदर्शन और बीबीसी जैसे अंतरराष्ट्रीय माध्यमों से हुआ।
1982 तक यह कार्यक्रम पूरे मध्यप्रदेश (वर्तमान छत्तीसगढ़) में लोकप्रिय हो गया और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इसे अपनाया। तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह सहित अनेक मंत्रीगण इस आयोजन में उपस्थित हुए।
संत माता कर्मा आश्रम समिति की भूमिका
वर्ष 1993 में रायपुर स्थित संत माता कर्मा आश्रम समिति ने स्वर्गीय जीवनलाल साव के मार्गदर्शन में कर्मा जयंती के अवसर पर सामूहिक विवाह कार्यक्रम की श्रृंखला प्रारंभ की, जो आज तक अनवरत जारी है।
लगातार 28 वर्षों तक इस कार्यक्रम के आयोजन हेतु समिति को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड 2025 में स्थान मिला।
वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह इस कार्यक्रम में शामिल हुए और इससे प्रभावित होकर इसे राज्य सरकार की योजना के रूप में लागू करने की घोषणा की। इसके फलस्वरूप, वर्ष 2006 से मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की शुरुआत हुई।
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना: एक सामाजिक कल्याण नीति
यह योजना गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले अभिभावकों की पुत्रियों को विवाह के अवसर पर आर्थिक सहायता और गृहस्थी सामग्री प्रदान करती है। आयोजन का संपूर्ण व्यय राज्य सरकार वहन करती है।
इस योजना को मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों ने अपनाया है। वर्तमान नीति के अनुसार, 11 या अधिक जोड़ों के विधिवत पंजीयन के पश्चात सामूहिक विवाह आयोजित करने पर पात्र जोड़ों को योजना का लाभ प्रदान किया जाता है।
स्वर्ण जयंती समारोह के वर-वधु
इस वर्ष आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में कुल 33 जोड़ों का विवाह संपन्न हुआ। प्रत्येक जोड़े का विवरण पंजीकृत किया गया है, जिसमें उनकी जाति, ग्राम, तथा अभिभावकों के नाम का उल्लेख है। यह आयोजन न केवल पारिवारिक सहयोग बल्कि सामाजिक समरसता, समावेशिता और सांस्कृतिक सौहार्द्र का प्रतीक बन चुका है।
सामुहिक विवाह के 33 जोड़ो की सूची
क्रम | वधु का नाम | पिता का नाम | ग्राम | वर का नाम | पिता का नाम | ग्राम |
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1 | भारती | भूखन लाल साहू | कौंदकेरा | नील कमल | नेतराम साहू | कसहीबाहरा |
2 | खुशबू रानी | सुदर्शन साहू | घोघरा | हरीश कुमार | भेखलाल साहू | फरफौद |
3 | रोहिणी | भारत ध्रुव | चिरको | केदार प्रताप | ठाकुर | भलूचुआ |
4 | आस्था | अशोक कुमार भट्ट | मानपुर | जितेंद्र | सेत राम साहू | खैरट |
5 | गीतांजलि | लक्ष्मीनारायण साहू | घासीनगर | रविशंकर | याद राम साहू | कुम्हारीमुड़ा |
6 | केशर | नंदकुमार यादव | कसेकेरा | जीतू कुमार | थान सिंह यादव | सोरमसिंघी |
7 | उत्तरा | फूल सिंह यादव | कसेकेरा | वासुदेव | नोहर सिंह यादव | कंडीझर |
8 | लता | भुजबल मांझी यादव | पलसीपनी | दीपक | भीखम मांझी | अमनपुरी |
9 | राजनंदनी | तान सिंह सेन यादव | बिड़ोरा | नरेंद्र | द्वारिका बारीक | बेलटुकरी |
10 | गंगा | भीम सिंह निषाद | अरंड | उजय राम | धनाजी निषाद | उखरा |
11 | खिलेश्वरी | पंचू राम पाली | फिंगेश्वर | पुरुषोत्तम | प्यारे लाल सागर | उखरा |
12 | गोदावरी | — | आमानारा | यूगेंद्र कुमार | शिव लाल पांड़े | उखरा |
13 | सौहाद्रा कुमारी | रामेश्वर साहू | समहर | पुरन लाल | कंवल राम साहू | नागडीह |
14 | लक्ष्मी | भंवर सिंह साहू | कलमीदादर | मनहरण | माखन लाल साहू | टेमरी |
15 | डिंपल | मोहन साहू | सालडबरी | पुरेंद्र कुमार | छबि लाल साहू | भोरिंग |
16 | भोज कुमारी | राम प्यारे निर्मलकर | गुडियारी रायपुर | रमन सिंह | घासी राम निर्मलकर | सालडबरी |
17 | हर्ष नंदनी | लेख राम साहू | तुपकबोरा | दुलेश | डेरहा राम साहू | धमनी |
18 | शैल्या | विनोद कुमार साहू | खोपली | खोमन लाल | हीरा लाल साहू | तुपकबोरा |
19 | मेघा रानी | जीवराखन यादव | बोड़रीदादर | एवन कुमार | दानी राम यादव | बोड़रीदादर |
20 | खुशी | योगेन्द्र ठाकुर | दइजबांधा | कुबेर नाथ | संतोष ठाकुर | गांजर |
21 | तनुजा | लक्ष्मी नारायण साहू | डोमा धमतरी | नरेंद्र कुमार | हेमू लाल साहू | केरामुड़ा |
22 | टिकेश | कैलाश यादव | बेलटुकरी | अतेश कुमार | माखन लाल यादव | सोनामुंदी |
23 | देवकी | रेशम लाल | गांजर | धर्मेंद्र कुमार | खूब चंद | उखरा |
24 | उपासना | पुराणिक साहू | सिवनी कला | ईश्वर कुमार | मेलारु साहू | धौंराभाटा |
25 | यमुना | भानु प्रताप साहू | खैरटकला | भानु आस कुमार | साहू | खैरटखुर्द |
26 | हेमलता | हेम सिंह ध्रुव | सिवनी | खेम सिंह | खिलावन ध्रुव | सिवनी कला |
27 | झरना | रिखी राम यादव | अमलोर | भुनेश्वर | गणेशु राम यादव | उखरा |
28 | जितेश्वरी | भारत साहू | समहर | सेवन | राजा राम साहू | देवरी |
29 | लीला | सीता राम साहू | भीखापाली | मनोरथ | शहतु राम साहू | सुखरीडबरी |
30 | उमेश्वरी | — | टूरीझर | शंकर लाल साहू | — | टूरीझर |
31 | परमेश्वरी | विक्रम बरिहा | रायतुम | लिखन बरिहा | — | बुंदेली |
32 | इंदु | चंदूलाल पटेल | अमोदी | हरि राम पटेल | — | बुंदेली |
33 | राजेश्वरी | सदा राम पटेल | टामीदादर | यशवंत | श्याम लाल पटेल | छिंदोली |
आदर्श सामूहिक विवाह कार्यक्रम न केवल एक सामाजिक क्रांति है, बल्कि यह समाज सुधार, आर्थिक न्याय और स्त्री सम्मान का प्रतीक है। यह आयोजन दहेज प्रथा, आर्थिक दिखावा, जातिगत भेदभाव और विवाह में होने वाली फिजूलखर्ची के विरुद्ध एक सशक्त सामाजिक उत्तर है।
घोयनाबाहरा और मुनगासेर में संपन्न स्वर्ण जयंती समारोह यह दर्शाता है कि जब समाज संगठित होकर समान उद्देश्य की ओर अग्रसर होता है, तो परिवर्तन संभव होता है। यह आयोजन न केवल बेटियों के जीवन को नवशक्ति प्रदान करता है, बल्कि सम्पूर्ण समाज को संवेदनशीलता, सहयोग और सादगी का पाठ पढ़ाता है।
स्वर्गीय जीवनलाल साव, संत माता कर्मा आश्रम समिति, और समाजसेवियों की समर्पित भावना के चलते आज यह आयोजन गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड तक पहुंचा है, और मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के माध्यम से यह मिशन पूरे प्रदेश और अन्य राज्यों में नीति के रूप में अपनाया गया है।
आज आवश्यकता है कि समाज के अन्य वर्ग भी इस आदर्श से प्रेरणा लेकर विवाह को आडंबर नहीं, एक सरल, गरिमामय संस्कार के रूप में देखें — ताकि हम एक न्यायपूर्ण, सशक्त और समरस समाज की स्थापना कर सकें।
घना राम साहू
सेवानिवृत सह प्राध्यापक रायपुर,