बस्तर के गाँवों में गूंज रहा विकास का स्वर: ‘नियद नेल्लानार’ योजना बनी बदलाव की मिसाल
रायपुर, 25 जुलाई 2025/ छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के वे सुदूरवर्ती गाँव, जो वर्षों तक विकास की मुख्यधारा से कटे रहे, आज प्रगति की राह पर अग्रसर हैं। जहाँ पहले बिजली, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और संचार जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था, वहाँ अब बदलाव की बयार चल पड़ी है। इस परिवर्तन की नींव मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी नेतृत्व में 15 फरवरी 2024 को शुरू हुई ‘नियद नेल्लानार – आपका आदर्श ग्राम योजना’ के रूप में रखी गई।
मुख्यमंत्री साय का स्पष्ट मानना रहा है कि केवल सुरक्षा शिविर स्थापित करना पर्याप्त नहीं, जब तक शासन की संवेदनशील उपस्थिति और विकास की रोशनी अंतिम छोर तक न पहुँचे। इसी सोच के तहत बस्तर के पाँच नक्सल प्रभावित जिलों—सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कांकेर—में 54 नए सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए, जिनके 10 किमी के दायरे में आने वाले 327 गाँवों को समग्र विकास के मॉडल से जोड़ने का निर्णय लिया गया।
शिक्षा के क्षेत्र में अब तक 31 प्राथमिक विद्यालयों को मंजूरी दी गई, जिनमें से 13 में कक्षाएँ शुरू हो चुकी हैं। 185 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 107 चालू हो गए हैं। 20 उप-स्वास्थ्य केंद्रों में से 16 कार्यशील हैं, जो पहले दवा के लिए मीलों चलने वाले ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं।
संचार क्रांति भी इस योजना का हिस्सा है: 119 मोबाइल टावरों में से 43 चालू हो चुके हैं; 144 हाई मास्ट लाइटों में से 92 गाँवों को रोशन कर रहे हैं। 173 सड़कों और पुलों में से 116 स्वीकृत, जबकि 26 कार्य पूर्ण हैं।
आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है:
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70,954 आधार कार्ड, 46,172 वृद्ध आयु प्रमाण पत्र, 11,133 मतदाता पंजीकरण
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46,172 आयुष्मान कार्ड, 5,984 प्रधानमंत्री आवास, 4,677 किसानों को सम्मान निधि
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6,460 शौचालय, 18,983 महिलाओं को गैस कनेक्शन, 30 गाँवों को DTH सुविधा
सबसे अहम बदलाव यह है कि अब गाँव के लोग स्वयं योजनाओं की निगरानी में सक्रिय भागीदार बन रहे हैं—चाहे वह आंगनबाड़ी हो, राशन दुकान हो या शौचालय निर्माण।
‘नियद नेल्लानार’ अब केवल एक योजना नहीं, बल्कि बस्तर के पुनर्जागरण का प्रतीक बन गई है—जहाँ भय से विश्वास, उपेक्षा से भागीदारी और बंदूक से किताब तक की यात्रा हो रही है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ शासन ने यह सिद्ध किया है कि सुशासन केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि जमीनी बदलाव से आता है।