छत्तीसगढ़ में दृष्टिहीनता की रोकथाम हेतु स्वास्थ्य विभाग की बड़ी पहल
रायपुर, 17 जुलाई 2025/ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व एवं स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग दृष्टिहीनता की रोकथाम के लिए वृहद स्तर पर कार्य कर रहा है। दृष्टिहीनता के प्रमुख कारणों में से एक मोतियाबिंद है, जो सामान्यतः एक आयुजन्य नेत्र रोग है। एक निश्चित आयु के बाद इसका होना सामान्य है, लेकिन इसका ऑपरेशन कर दृष्टि पुनः प्राप्त की जा सकती है।
राज्य के 25 जिला चिकित्सालयों और 10 चिकित्सा महाविद्यालयों सहित कुल 43 स्वास्थ्य संस्थानों में मोतियाबिंद के गुणवत्तापूर्ण निःशुल्क ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध है, जहाँ नियमित रूप से नेत्र ऑपरेशन किए जा रहे हैं।
अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक राज्य में 1,45,580 तथा अप्रैल 2025 से जून 2025 तक 27,245 मोतियाबिंद ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए गए हैं। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी “राष्ट्रीय नेत्र ज्योति योजना” राज्य में संचालित है, जिसके तहत सभी जिलों को ‘‘कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलॉग फ्री स्टेटस’’ (सीबीबीएफएस) प्रदान किया जाना है। इस योजना के अंतर्गत दोनों आंखों में मोतियाबिंद से ग्रसित दृष्टिहीन रोगियों की पहचान कर प्राथमिकता के आधार पर ऑपरेशन कर उन्हें दृष्टिहीनता से मुक्त किया जाता है।
अब तक राज्य के 11 जिलों — कबीरधाम, रायपुर, धमतरी, बलौदाबाजार, बालोद, दुर्ग, राजनांदगांव, खैरागढ़, रायगढ़, कोरबा एवं बस्तर — को दृष्टिहीनता मुक्त घोषित किए जाने हेतु दावा भारत सरकार को भेजा गया है। कांकेर और बेमेतरा जिलों के दावों का सत्यापन कार्य प्रगति पर है, जिसके उपरांत प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाएगा।
दृष्टिहीनता का एक अन्य प्रमुख कारण “ग्लॉकोमा” है, जो आंख की एक जटिल बीमारी है। इसकी प्रारंभिक अवस्था में रोगी को जानकारी नहीं होती और जब तक वह पहचान में आती है, तब तक दृष्टि का ह्रास हो चुका होता है, जो पुनः नहीं लौटता। इसकी पहचान केवल नियमित नेत्र परीक्षण से ही संभव है। इसलिए 40 वर्ष की आयु के बाद प्रत्येक 6 माह में नेत्र परीक्षण कराने की सलाह दी जाती है। राज्य के सभी विकासखंड केंद्रों में इसकी जांच की सुविधा उपलब्ध है।
कॉर्नियल दृष्टिहीनता की रोकथाम हेतु “कॉर्नियल दृष्टिहीनता मुक्त राज्य योजना” भी संचालित की जा रही है। इसके अंतर्गत सभी जिलों में कॉर्नियल दृष्टिहीन रोगियों की पहचान कर, नेत्र प्रत्यारोपण केंद्रों से सत्यापन कराते हुए नेत्र बैंक में पंजीयन कराया गया है। नेत्रदान प्राप्त होते ही प्राथमिकता के आधार पर प्रत्यारोपण किया जाता है। जनजागरूकता के माध्यम से नेत्रदान को प्रोत्साहित किया जा रहा है। परिणामस्वरूप अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक 263 और अप्रैल 2025 से जून 2025 तक 88 नेत्रदान संपन्न हुए हैं।
राज्य के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में सामान्य नेत्र रोगों का उपचार निःशुल्क उपलब्ध है। सभी जिला चिकित्सालयों में निर्धारित दिवसों पर स्पेशल क्लीनिक आयोजित किए जाते हैं, जिनमें ग्लॉकोमा, रेटिना, डायबिटिक रेटिनोपैथी, पीडियाट्रिक ऑप्थैल्मोलॉजी सहित अन्य नेत्र रोगों का इलाज किया जाता है। अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक ऐसे 81,000 से अधिक तथा अप्रैल 2025 से जून 2025 तक 25,000 से अधिक रोगियों का उपचार किया गया है।
गुणवत्तापूर्ण नेत्र स्वास्थ्य सेवाओं, नियमित स्क्रीनिंग शिविरों, आधुनिक उपकरणों से जांच और तत्काल सर्जरी की सुविधा के माध्यम से प्रदेशवासी लाभान्वित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ का स्वास्थ्य विभाग राज्य की जनता को बेहतर, प्रभावी और सुलभ नेत्र चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।