गीत-संगीत और साहित्य से सजी एक अविस्मरणीय संध्या: डॉ. चित्तरंजन कर के 78वें जन्मदिवस पर हुआ भव्य सम्मान समारोह
रायपुर 18 जुलाई/ वृंदावन हॉल में 16 जुलाई को हिंदी साहित्य भारती छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में आयोजित “एक शाम डॉ. चित्तरंजन कर के नाम” कार्यक्रम ने साहित्य, संगीत और संस्कृति के अद्वितीय संगम का साक्षात्कार कराया। यह अवसर डॉ. कर के 78वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में समर्पित था, जिसमें प्रदेश भर से साहित्यकारों, विद्वानों और कला प्रेमियों ने भागीदारी की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व आईएएस अधिकारी और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुशील त्रिवेदी थे, जबकि अध्यक्षता प्रख्यात नवगीतकार डॉ. अजय पाठक ने की। विशिष्ट अतिथियों में हिंदी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश पंकज, डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ एवं डॉ. देवधर महंत उपस्थित थे।
इस भावभीने आयोजन में हिंदी साहित्य भारती, समन्वय परिवार छत्तीसगढ़, संकेत साहित्य समिति, छत्तीसगढ़ साहित्य एवं संस्कृति संस्थान, जय जोहार संस्थान सहित अन्य संस्थाओं और अनेक साहित्यप्रेमियों द्वारा डॉ. कर का शाल और श्रीफल से सम्मान किया गया।
आत्मीयता से भरा आयोजन
हिंदी साहित्य भारती के अध्यक्ष बलदाऊराम साहू ने स्वागत भाषण देकर आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात डॉ. कर की सुपुत्री डॉ. विभाषा मिश्र ने उनके बहुआयामी साहित्यिक जीवन की झलकियाँ प्रस्तुत कीं। मंच पर अनेक विद्वजनों ने अपने विचार रखे और डॉ. कर के साहित्यिक योगदान को यादगार बताया।
गीत, ग़ज़ल और स्मृतियों से जुड़ा भावपूर्ण स्वरूप
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा डॉ. चित्तरंजन कर की गीत, ग़ज़ल और भजनों की सजीव प्रस्तुति, जिसमें उन्होंने अपनी जन्मभूमि ग्राम पैकिन (सरायपाली) की यादों को जीवंत कर दिया:
“जब से छूटा गांव, गांव को भूला कभी नहीं।
पीपल की वो छांव, छांव को भूला कभी नहीं।”
उनके साथ सोनू विश्वकर्मा (तबला) और रूपेन्द्र श्रीवास्तव (हारमोनियम) की संगत ने माहौल को संगीतमय बना दिया।
राज्यभर से जुटे साहित्यकार
इस अवसर पर डॉ. कर को बधाई देने और उनके सम्मान में सहभागिता हेतु राज्य के कोने-कोने से साहित्यकार, प्रोफेसर एवं कलाजगत के प्रतिनिधि पहुंचे। उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्वों में सुरेंद्र रावल, अरविंद मिश्र, संजीव तिवारी, डॉ. सुधीर शर्मा, स्वराज्य करुण, डॉ. नरसिंह यादव, रामेश्वर शर्मा, अरुण निगम, शशांक खरे, बंधु राजेश्वर खरे, मोहलाल निर्दोष, सुमन शर्मा बाजपेई, डॉ. शैल शर्मा, अजय साहू, ऋतुराज साहू, मुन्नालाल देवदास, राजकुमार मसंद आदि उल्लेखनीय रहे।
समन्वय साहित्य परिवार बिलासपुर की ओर से डॉ. गंगाधर पटेल, सनत तिवारी, राजीव नयन शर्मा और आनंदप्रकाश गुप्ता ने विशेष रूप से भाग लिया और डॉ. कर को सम्मानित किया।
पारिवारिक सहभागिता
इस कार्यक्रम में डॉ. कर की पत्नी माधुरी कर, पुत्र विवेक कर, मुंबई से आई बेटी विभूति तथा अंतरराष्ट्रीय ओडिसी नृत्यांगना दौहित्री आर्या नंदे ने उपस्थिति दर्ज कराई। यह पारिवारिक सहभागिता पूरे समारोह को और भी आत्मीय बना गई।
संचालन एवं समापन
कार्यक्रम का सफल संचालन और आभार प्रदर्शन दिनेश गौतम ने अत्यंत सुगठित एवं संवेदनशील रूप में किया।