गाँव से ग्लोबल तक पहुंचेगा छत्तीसगढ़ के विकास का अंजोर

छत्तीसगढ़ राज्य के गठन को अब लगभग 25 वर्ष पूरे होने को हैं। यह वह समय है जब किसी भी राज्य को आत्मविश्लेषण करते हुए अपनी उपलब्धियों, चुनौतियों और भावी दिशा की पुनर्समीक्षा करनी चाहिए। इन वर्षों में छत्तीसगढ़ ने विकास की कई मंजिलें जरूर तय कीं, किंतु यह भी सत्य है कि अधिकांश समय यह विकास बिखरा हुआ और अनियोजित रहा। पूर्ववर्ती सरकारों ने योजनाओं की घोषणा तो की, परन्तु कोई दीर्घकालिक और समग्र दृष्टिकोण विकसित नहीं किया।
वर्तमान में जब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में नई सरकार ने कार्यभार संभाला है, तो उन्होंने अपने प्रारंभिक वक्तव्यों से ही यह स्पष्ट कर दिया कि यह सरकार केवल घोषणाओं की नहीं, ठोस कार्ययोजना पर आधारित शासन की पक्षधर है। इसी दिशा में एक निर्णायक पहल है – “छत्तीसगढ़ अंजोर विज़न @2047″। यह दस्तावेज़ केवल एक रणनीतिक रोडमैप नहीं, बल्कि एक वैचारिक दिशा है, जो गाँवों की शक्ति को केंद्र में रखकर राज्य को आत्मनिर्भर, समृद्ध और वैश्विक पहचान दिलाने की ओर अग्रसर है।
छत्तीसगढ़ की आत्मा उसके गाँवों में बसती है। यहाँ की 80% से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। ये गाँव केवल भौगोलिक इकाइयाँ नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत, कृषि परंपरा और सामाजिक संरचना के जीवंत केंद्र हैं। अंजोर विज़न का मूल संदेश भी यही है – जब गाँव सशक्त होंगे, तभी छत्तीसगढ़ समृद्ध होगा।
इस सोच को जमीन पर उतारने के लिए राज्य सरकार ने “स्मार्ट विलेज मिशन” की शुरुआत की है। 5000 से अधिक गाँवों को आधुनिक सुविधाओं – बिजली, स्वच्छ जल, इंटरनेट कनेक्टिविटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, और स्वरोजगार – से सुसज्जित किया जा रहा है। अटल सेवा केंद्रों के माध्यम से डिजिटल सेवाएं गाँव तक पहुँच रही हैं, जिससे प्रशासनिक पारदर्शिता और सेवा की दक्षता में बढ़ोतरी हो रही है।
कृषि को केवल परंपरा न मानकर नवाचार और उद्यमिता का केंद्र बनाया जा रहा है। “कृषि उन्नति मिशन” के तहत वैज्ञानिक खेती, ड्रिप सिंचाई, जैविक उर्वरक और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से जुड़ाव जैसी पहलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य है – 2047 तक किसानों की आय को दस गुना बढ़ाना, जो ग्रामीण समृद्धि का सीधा संकेत है।
वहीं औद्योगिक क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अब केवल कोयला, इस्पात और सीमेंट का केंद्र नहीं रहा। “सिंगल विंडो सिस्टम 2.0” जैसी नीतियों के चलते राज्य को डेढ़ वर्षों में 6.75 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। यह निवेश अब गाँवों तक पहुँचेगा, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। लिथियम खनिज की सफल नीलामी से राज्य हरित ऊर्जा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में देश का अग्रणी केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है।
शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य हो रहा है। नई शिक्षक भर्तियाँ, पीएमश्री स्कूल, आदर्श कॉलेज और ग्लोबल स्किल यूनिवर्सिटी जैसी योजनाएँ ग्रामीण युवाओं को न केवल शिक्षित, बल्कि प्रतिस्पर्धी भी बना रही हैं।
इस विकास की यात्रा में पर्यावरण और संस्कृति को भी समान महत्व दिया गया है। बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्र पर्यटन और जैविक उत्पादों के माध्यम से राज्य को वैश्विक नक्शे पर ला रहे हैं। “गाँव से ग्लोबल तक” का यह सफर केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और मानवीय जुड़ाव का भी प्रतीक बनता जा रहा है।
छत्तीसगढ़ अंजोर विज़न @2047 एक स्पष्ट संदेश देता है – समावेशी विकास का केंद्र गाँव ही होंगे। यदि गाँव समृद्ध, आत्मनिर्भर और आधुनिक होंगे तो शेष विकास स्वतः सुनिश्चित हो जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का यह कथन – “जब रास्ता स्पष्ट हो, संकल्प दृढ़ हो और मेहनत हो तब कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता”, केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि पूरे अंजोर विज़न की बुनियाद है।
आज आवश्यकता है कि इस विकास यात्रा में जनसहभागिता को केंद्र में रखा जाए। क्योंकि यह विकास किसी एक सरकार या योजनाकार का नहीं, बल्कि समूचे राज्य की साझी आकांक्षा है। “गाँव से ग्लोबल तक” की यह यात्रा तभी सफल होगी जब प्रत्येक नागरिक “छत्तीसगढ़ अंजोर विज़न @2047” के महत्व को समझे एवं प्रदेश के विकास में हिस्सेदारी को अपनी जिम्मेदारी माने।