ऑपरेशन कालनेमि: तीर्थ क्षेत्रों ठगने वाले फर्जी साधुओं पर सर्जिकल स्ट्राइक
देहरादून, 15 जुलाई 2025। उत्तराखंड सरकार ने देवभूमि की धार्मिक आस्था और सामाजिक सौहार्द की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और सख़्त कदम उठाते हुए ‘ऑपरेशन कालनेमि’ की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर 11 जुलाई 2025 से शुरू हुए इस विशेष अभियान का उद्देश्य उन असामाजिक तत्वों को चिन्हित कर कार्रवाई करना है जो धार्मिक वेशभूषा की आड़ लेकर ठगी, धोखाधड़ी और अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
यह नाम रामायण के एक राक्षस पात्र कालनेमि से प्रेरित है, जिसने हनुमान जी को भ्रमित करने का प्रयास किया था। उसी तरह, आज के समय में भी कुछ लोग साधु-संतों का भेष धारण कर भोले श्रद्धालुओं को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों के खिलाफ ऑपरेशन कालनेमि चलाया जा रहा है।
इस अभियान के अंतर्गत उत्तराखंड के तीर्थ क्षेत्रों जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग सहित कांवड़ यात्रा मार्ग पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस और खुफिया एजेंसियों द्वारा होटलों, धर्मशालाओं और ढाबों की नियमित जांच की जा रही है, जहां नकली पहचान पत्र या संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्त व्यक्तियों की तलाश की जा रही है।
शुरुआत के महज दो हफ्तों में ही 310 संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से कई लोग फर्जी साधु-संतों के वेश में पाए गए, जिनके पास से नकली गेरुए वस्त्र, जटाएं, फर्जी आधार कार्ड, अवैध मोबाइल फोन, वॉकी-टॉकी और डिजिटल उपकरण बरामद किए गए हैं। करीब 2,070 व्यक्तियों की जाँच की गई, जिनमें से 91 के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 21 होटल-ढाबों को नियमों के उल्लंघन के कारण सील किया गया है।
सरकार की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऑपरेशन कालनेमि केवल धोखाधड़ी या फर्जी साधुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रेम जिहाद, ज़मीन जिहाद और ज़बरन धर्मांतरण जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए भी सक्रिय है। इन गतिविधियों को राज्य की सामाजिक और धार्मिक संरचना के लिए खतरा माना गया है।
अभियान के दौरान अब तक मिले सबूतों के आधार पर तीन संदिग्ध खातों में करीब 28 लाख रुपये के लेनदेन को फ्रीज किया गया है, जो धर्मांतरण से जुड़े संगठनों की ओर इशारा करते हैं। इसके अलावा, राज्य के सभी ज़िलों में विशेष खुफिया दल गठित किए गए हैं और कांवड़ यात्रा के दौरान ड्रोन कैमरों व मोबाइल निगरानी वैनों से गतिविधियों पर 24×7 नजर रखी जा रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संदर्भ में स्पष्ट कहा है कि, “देवभूमि की आस्था से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। सरकार की प्राथमिकता तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और धार्मिक आयोजनों की शुचिता बनाए रखना है।”
सरकार की आगे की रणनीति के तहत साधु-संतों की पहचान के लिए स्मार्ट आई-कार्ड सिस्टम शुरू करने, होटल-धर्मशालाओं के लिए डिजिटल केवाईसी अनिवार्य करने और धार्मिक स्थलों पर पुलिस उपस्थिति और निगरानी बढ़ाने जैसे कदम भी प्रस्तावित हैं।
ऑपरेशन कालनेमि उत्तराखंड में सामाजिक और धार्मिक व्यवस्था को बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है, जो यह संदेश देता है कि धार्मिक आस्था की आड़ में षड्यंत्र रचने वालों के लिए देवभूमि में कोई स्थान नहीं है। यह अभियान राज्य में कानून व्यवस्था को मज़बूत करने और धार्मिक स्थलों की गरिमा को सुरक्षित रखने की एक मिसाल बनकर उभरा है।