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नक्सलवाद से लोकतंत्र की ओर लौटता बस्तर: 24 घंटे में 45 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

रायपुर, 12 जुलाई 2025/ छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों, विशेष रूप से बस्तर में अब बंदूकों की धमक के बजाय लोकतंत्र की आवाज गूंज रही है। नक्सल हिंसा से त्रस्त क्षेत्रों में बदलाव की बयार बह रही है और यह बदलाव अब संख्याओं में भी दिखाई देने लगा है। इसी क्रम में आज सुकमा जिले में ₹1.18 करोड़ के इनामी 23 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिससे पिछले 24 घंटे में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या कुल 45 हो गई है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस ऐतिहासिक घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया मंच X पर साझा करते हुए कहा कि, “यह आत्मसमर्पण केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि विश्वास की उस जीत का प्रतीक है, जो हमारी सरकार ने ‘नियद नेल्ला नार’ जैसी जनहितकारी योजनाओं के माध्यम से गाँव-गाँव तक पहुँचाया है। अब यहाँ बंदूक की गोली नहीं, विकास की बोली सुनाई दे रही है।”

आत्मसमर्पण की रफ्तार और पुनर्वास नीति का असर

मुख्यमंत्री साय ने यह भी बताया कि पिछले 15 महीनों में कुल 1521 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जो यह दर्शाता है कि सरकार की योजनाएँ जमीनी स्तर तक असरकारक सिद्ध हो रही हैं। इस सफलता का एक बड़ा कारण राज्य सरकार की ‘नवीन आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025’ है।

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इस नीति के तहत हथियार छोड़ने वाले नक्सलियों को केवल कानूनी संरक्षण ही नहीं, बल्कि सामाजिक सम्मान, पुनर्वास सुविधाएँ और आजीविका के साधन भी प्रदान किए जा रहे हैं। इस पुनर्वास नीति ने नक्सल प्रभावित युवाओं को मुख्यधारा से जुड़ने की वास्तविक प्रेरणा दी है।

प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के नेतृत्व में परिवर्तन

मुख्यमंत्री साय ने इस परिवर्तन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में चल रही सुशासन की योजनाओं का प्रत्यक्ष परिणाम बताया। उन्होंने विश्वास जताया कि, “हमारा प्रदेश निश्चित समय-सीमा के भीतर नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त होगा और बस्तर का हर नागरिक विकास की मुख्यधारा में सशक्त भागीदारी निभाएगा।”

यह घटनाक्रम छत्तीसगढ़ सरकार की नीति, नीयत और निष्पादन के त्रिसूत्रीय दृष्टिकोण का प्रमाण है, जो हिंसा के स्थान पर संवाद, भय के स्थान पर भरोसा और अविश्वास के स्थान पर आत्मीयता को स्थापित कर रहा है।