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बरसात में सांपों का खतरा और जानिए नागलोक को

आचार्य ललित मुनि

सावन का मौसम आ गया है और आषाढ माह से बरसात का प्रारंभ होना माना जाता है, बरसात होते धरती पर हरियाली दिखाई देने लगती है  बरसात का मौसम न केवल प्रकृति को हरा-भरा बनाता है, बल्कि यह सांपों के लिए भी सक्रिय होने का समय होता है। यह समय जुलाई से सितम्बर तक माना जाता है। इस दौरान सांप अपने बिलों से बाहर निकलकर सूखी और सुरक्षित जगहों की तलाश में मानव बस्तियों के करीब आ जाते हैं। छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्रों में, जहां घने जंगल और ग्रामीण इलाके हैं, सांपों का मानव संपर्क बढ़ जाता है, जिससे सर्पदंश की घटनाएं बढ़ती हैं। भारत में सांपों को प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक, धार्मिक और औषधीय महत्व प्राप्त है, लेकिन सर्पदंश से होने वाली मौतें भी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हैं।

बरसात में सांपों से बचाव के उपाय

बरसात के मौसम में सांपों के बिलों में पानी भरने के कारण वे बाहर निकलते हैं और अक्सर मानव बस्तियों में प्रवेश कर जाते हैं। सांपों से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  • घर और आसपास की सफाई: घर के आसपास घास, कचरा और लकड़ी के ढेर को हटाएं, क्योंकि ये सांपों के छिपने की जगह हो सकते हैं। दरवाजों और खिड़कियों में जाली लगाएं ताकि सांप अंदर न आ सकें।
  • रोशनी का प्रबंध: रात में घर के बाहर पर्याप्त रोशनी रखें, क्योंकि कई जहरीले सांप रात में सक्रिय होते हैं।
  • सतर्कता: बरसात में खेतों, जंगलों या नम जगहों पर जाते समय जूते और लंबी पैंट पहनें। अंधेरे में सावधानी बरतें और टॉर्च का उपयोग करें।
  • पौधों का उपयोग: लेमनग्रास, गेंदा, तुलसी और स्नैक प्लांट जैसे पौधे लगाएं, जिनकी गंध सांपों को दूर रखती है।
  • सांप को न छेड़ें: यदि सांप दिखे, तो उसे मारने या पकड़ने की कोशिश न करें। तुरंत वन विभाग या स्नैक हेल्पलाइन को सूचित करें।
  • जागरूकता: सांपों की प्रजातियों और उनके व्यवहार की जानकारी रखें। यह समझने की कोशिश करें कि सांप जहरीला है या नहीं।
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सर्पदंश के बाद प्राथमिक उपचार

यदि सांप काट ले, तो निम्नलिखित कदम उठाएं:

  • शांत रहें: घबराहट से हृदय गति बढ़ती है, जिससे जहर तेजी से फैल सकता है।
  • अंग को स्थिर रखें: काटे गए अंग को हृदय के स्तर से नीचे रखें और हिलाने-डुलाने से बचें।
  • हल्का दबाव: काटे गए स्थान के ऊपर हल्के से कपड़ा बांधें, लेकिन इतना कसकर नहीं कि रक्त प्रवाह रुक जाए।
  • तुरंत अस्पताल जाएं: सर्पदंश के चार घंटे के भीतर एंटीवेनम लेना महत्वपूर्ण है। झाड़-फूंक या देसी नुस्खों पर भरोसा न करें।
  • गलत उपायों से बचें: काटे गए स्थान को चूसने, चीरा लगाने या शराब देने जैसे उपाय न अपनाएं।

छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले सांप

छत्तीसगढ़ में सांपों की 44 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से लगभग 20% जहरीले और 80% गैर-जहरीले हैं। निम्नलिखित तालिका में कुछ प्रमुख सांपों की सूची दी गई है:

सांप का नाम वैज्ञानिक नाम जहरीला/गैर-जहरीला
स्पेक्टिकल कोबरा (नाग) Naja naja जहरीला
कॉमन करैत Bungarus caeruleus जहरीला
रसल्स वाइपर Daboia russelii जहरीला
सॉ-स्केल्ड वाइपर Echis carinatus जहरीला
बैंडेड क्रेट Bungarus fasciatus जहरीला
किंग कोबरा Ophiophagus hannah जहरीला
इंडियन पायथन Python molurus गैर-जहरीला
रेड सैंड बोआ Eryx johnii गैर-जहरीला
रैट स्नेक Ptyas mucosa गैर-जहरीला
तेलिया गैर-जहरीला

छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले जहरीले सांप जैसे कोबरा, करैत, और वाइपर मानव के लिए खतरनाक हैं, जबकि गैर-जहरीले सांप जैसे पायथन और रैट स्नेक हानिरहित हैं।

छत्तीसगढ़ का नागलोक जशपुर

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में तपकरा एवं फ़रसाबहार ऐसे इलाके हैं, जिन्हें “नागलोक” के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र अपनी अनूठी जैविक विविधता, विशेष रूप से सांपों की बहुतायत के लिए प्रसिद्ध है। नागलोक, जिसका अर्थ है “सांपों का संसार,” छत्तीसगढ़ के उत्तर-पूर्वी भाग में झारखंड की सीमा के पास स्थित है। इस क्षेत्र में 70 से अधिक सांप प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से कई जहरीली हैं, जैसे कोबरा, करैत, वाइपर, और यहां तक कि किंग कोबरा। बरसात के मौसम में सांपों की सक्रियता बढ़ जाती है, क्योंकि उनके बिलों में पानी भर जाता है, जिससे वे मानव बस्तियों के करीब आते हैं।

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यह क्षेत्र अपनी घनी वनस्पति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र सांपों के लिए अनुकूल पर्यावरण प्रदान करता है, क्योंकि यहां का आर्द्र और उष्णकटिबंधीय जलवायु सांपों के प्रजनन और अस्तित्व के लिए आदर्श है। विशेषज्ञों के अनुसार, जशपुर का पर्यावरण सांपों की विविध प्रजातियों के लिए उपयुक्त है, जिसके कारण इसे “नागलोक” कहा जाता है। गर्मियों में गर्म जमीन और बरसात में बिलों में पानी भरने के कारण सांप अधिक सक्रिय हो जाते हैं। यह क्षेत्र पर्यावरणविदों और सर्प विशेषज्ञों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है, जो यहां सांपों की प्रजातियों का अध्ययन करने आते हैं।

प्राचीन ग्रंथों में सांपों के नाम

हिंदू धर्म और प्राचीन ग्रंथों में सांपों (नागों) को विशेष महत्व दिया गया है। इन्हें भगवान शिव और विष्णु से जोड़ा जाता है। निम्नलिखित तालिका में कुछ प्रमुख नागों के नाम और उनके महत्व का उल्लेख है:

नाग का नाम वर्णन
शेषनाग (अनंत) भगवान विष्णु की शय्या, अनंत शक्ति का प्रतीक
वासुकी समुद्र मंथन में रस्सी, भगवान शिव से संबंधित
तक्षक महाभारत में राजा परीक्षित की मृत्यु का कारण
कर्कोटक नल-दमयंती कथा में उल्लिखित, श्राप देने वाला
कालिया यमुना नदी में रहने वाला, भगवान कृष्ण द्वारा पराजित
पिंगल पुराणों में उल्लिखित प्रमुख नाग
धनंजय नागों के अष्टकुल में शामिल
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इसके अतिरिक्त, पुराणों में नागों के आठ कुल (अष्टकुल) का उल्लेख है: वासुकी, तक्षक, कुलिक, कर्कोटक, पद्म, शंख, चूड़, महापद्म, और धनंजय।

भारत में सर्पदंश से होने वाली मृत्यु

भारत में सर्पदंश एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है। विभिन्न अध्ययनों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में हर वर्ष लगभग 58,000 लोग सर्पदंश से मरते हैं। यह आंकड़ा विश्व में सबसे अधिक है।

मुख्य कारण

  • बरसात का मौसम: इस दौरान सांप बिलों से निकलकर घरों और खेतों में आते हैं, जिससे सर्पदंश की घटनाएं बढ़ती हैं।
  • जागरूकता की कमी: लोग अक्सर झाड़-फूंक या देरी से चिकित्सा लेने पर भरोसा करते हैं।
  • चिकित्सा सुविधाओं की कमी: ग्रामीण इलाकों में एंटीवेनम उपलब्ध नहीं होता।
  • भय और गलत इलाज: भय से हृदयाघात या गलत एंटीवेनम के उपयोग से मौतें होती हैं।

सर्पदंश के लक्षण

  • न्यूरोटॉक्सिक जहर (जैसे कोबरा, करैत): तंत्रिका तंत्र पर असर, पक्षाघात, सांस लेने में तकलीफ।
  • हेमोटॉक्सिक जहर (जैसे वाइपर): रक्तस्राव, ऊतक क्षति।

उपचार

  • तुरंत सरकारी अस्पताल जाना चाहिए एवं एंटीवेनम तुरंत लेना चाहिए। इससे जहर का असर रोका जा सकता है।

बरसात के मौसम में सांपों से बचाव के लिए सतर्कता, स्वच्छता और जागरूकता आवश्यक है। छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले सांपों में 20% जहरीले और 80% गैर-जहरीले हैं। प्राचीन ग्रंथों में सांपों को शक्ति और रहस्य का प्रतीक माना गया है, और नाग पंचमी जैसे त्योहार उनकी पूजा को दर्शाते हैं। भारत में सर्पदंश से होने वाली मौतों को जागरूकता, त्वरित चिकित्सा और बेहतर चिकित्सा सुविधाओं से कम किया जा सकता है।