ईरान पर इज़राइल का बड़ा हमला: परमाणु ठिकानों पर ‘प्रिवेंटिव स्ट्राइक’, युद्ध का खतरा गहराया
ईरान और इज़राइल के बीच तनाव एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर पहुँच गया है। शुक्रवार सुबह इज़राइल ने ईरान पर पूर्व-निर्धारित हमले करते हुए उसके परमाणु संयंत्र और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। इस कार्रवाई के बाद मध्य पूर्व में एक बड़े टकराव की आशंका गहरा गई है।
ईरानी सरकारी टेलीविजन के अनुसार, तेहरान और आसपास के इलाकों में जोरदार विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं। ईरान ने दावा किया कि उसकी वायु रक्षा प्रणाली पूरी तरह सतर्क और सक्रिय है। वहीं, इज़राइल के रक्षा मंत्री इज़राइल काट्ज़ ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि ईरान की ओर से जवाबी हमले की आशंका बनी हुई है और देश में आपात स्थिति लागू कर दी गई है।
इज़राइल की इस सैन्य कार्रवाई से वैश्विक बाजार भी प्रभावित हुआ है। तेल की कीमतों में लगभग 6 प्रतिशत की तेजी आई है। इस बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में क्षेत्र में बड़े संघर्ष की संभावना जताई थी। उन्होंने कहा था कि वह नहीं चाहते कि इज़राइल ईरान पर हमला करे, क्योंकि इससे परमाणु समझौते की संभावनाएं समाप्त हो सकती हैं, हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा, “शायद इससे मदद भी मिले, लेकिन यह बिगाड़ भी सकता है।”
हालांकि, एक अमेरिकी अधिकारी ने स्पष्ट किया कि ईरान पर हुए इज़राइली हमले में अमेरिका की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी।
ईरान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और जवाबी रणनीति
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर हाल ही में अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा है। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु एजेंसी IAEA ने ईरान पर परमाणु समझौते के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। इसके जवाब में ईरान ने अपनी नई रणनीति की घोषणा की है, जिसके तहत वह एक नई यूरेनियम संवर्धन इकाई की स्थापना करेगा और फोर्डो संयंत्र में आधुनिक छठी पीढ़ी की मशीनें लगाएगा।
ईरान पहले ही 60 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्धन कर रहा है, जो 2015 के परमाणु समझौते में तय 3.67 प्रतिशत सीमा से काफी अधिक है। हालांकि यह अभी भी उस स्तर से कम है जो परमाणु हथियार निर्माण के लिए आवश्यक होता है (90 प्रतिशत)।
पृष्ठभूमि में बढ़ता तनाव
इज़राइल और ईरान के बीच यह टकराव ऐसे समय में हुआ है जब इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अक्टूबर 2023 के हमास हमले के बाद से ईरान समर्थित संगठनों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने की घोषणा की थी। अमेरिका ने भी हाल ही में इराक स्थित अपने दूतावास स्टाफ की संख्या घटा दी है, जो इस क्षेत्र में ईरानी प्रभाव का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है।
अब दुनिया की निगाहें इस बात पर हैं कि ईरान इज़राइली हमले का क्या जवाब देता है, और क्या यह टकराव एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध में तब्दील होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ दिन अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए बेहद निर्णायक होंगे।