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भारतीय जवाबी कार्रवाई: सीमा पार आतंकवाद पर नई सैन्य-सियासी लकीर

9 मई की रात अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “गंभीर खुफिया जानकारी” साझा किए जाने के कुछ ही घंटों बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। यह कार्रवाई पाकिस्तान द्वारा उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर 26 स्थानों को निशाना बनाने के प्रयासों के बाद हुई।

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने वेंस को स्पष्ट कर दिया था कि यदि पाकिस्तान कोई दुस्साहस करता है, तो भारत की प्रतिक्रिया “और गहरी, और बड़ी” होगी। पीएम मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा, “वहाँ से गोली चलेगी, तो यहाँ से गोला चलेगा।” इसके बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी वायुसेना के रफीकी, मुरिद, चकला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनीयन के एयरबेस पर हमले किए, साथ ही पासरूर और सियालकोट के रडार स्टेशनों को भी निशाना बनाया।

यह जवाबी कार्रवाई 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के बाद की अगली कड़ी थी। भारत सरकार ने साफ कर दिया था कि अब आतंकवाद की कोई भी घटना भारी कीमत चुकवाएगी। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद दिल्ली ने “तीन स्तरीय रणनीति” — राजनीतिक, सैन्य और मनोवैज्ञानिक — को अपनाने का फैसला किया।

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राजनीतिक स्तर पर भारत ने सिंधु जल संधि को प्रभावी रूप से ठंडे बस्ते में डालने का निर्णय लिया, यह कहते हुए कि “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते”। सैन्य स्तर पर, भारत ने उरी और बालाकोट जैसी पिछली कार्रवाइयों की रणनीति को दोहराने की बजाय नई तकनीकों और लक्ष्यों को चुना। इस बार हमले सीधे आतंकवादी संगठनों के मुख्यालयों पर किए गए, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने शामिल थे।

इस पूरी कार्रवाई की मनोवैज्ञानिक भूमिका यह संदेश देने की रही कि अब भारत आतंकवादियों को कहीं भी सुरक्षित नहीं रहने देगा। भारतीय सैन्य बलों ने जवाबी कार्रवाई में जिस तकनीकी श्रेष्ठता का प्रदर्शन किया, उसने पाकिस्तान को अमेरिकी मध्यस्थता की ओर झुकने पर मजबूर कर दिया।

10 मई को दोपहर 3:30 बजे भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) के बीच हुई बातचीत के बाद दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई। हालांकि भारत ने इसे “सीज़फायर” की बजाय “फायरिंग रोकना” बताया है। सूत्रों के अनुसार, “ऑपरेशन सिंदूर” अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है और भारत भविष्य की किसी भी चुनौती के लिए तैयार है।

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भारत की स्पष्ट नीति इस पूरे प्रकरण में यही रही — “यदि हमला हुआ, तो जवाब मिलेगा। यदि वे रुकते हैं, तो हम भी रुकेंगे।” भारत ने यह संदेश न केवल पाकिस्तान को, बल्कि पूरी दुनिया को स्पष्ट रूप से दे दिया है।