पाकिस्तान के ड्रोन हमलों पर भारतीय D4 प्रणाली की सटीक मार: ‘मेक इन इंडिया’ से बनी देश की अपनी ‘आयरन डोम’
भारत की पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान की ओर से लगातार बढ़ते ड्रोन हमलों के बीच, देश ने एक सशक्त और स्वदेशी रक्षा प्रणाली के जरिए इन खतरों का मुंहतोड़ जवाब देना शुरू कर दिया है। यह अत्याधुनिक प्रणाली – ड्रोन डिटेक्ट, डिटर एंड डेस्ट्रॉय (D4) – रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई है, और इसे भारत का अपना ‘आयरन डोम’ कहा जा रहा है।
इज़राइल की ‘आयरन डोम’ प्रणाली की तरह ही, D4 प्रणाली दुश्मन के ड्रोन को हवा में ही रोकने और निष्क्रिय करने में सक्षम है। यह प्रणाली खासतौर पर पाकिस्तान द्वारा तुर्की में बने ड्रोन से हो रहे हमलों को रोकने में काफी प्रभावी साबित हो रही है।
कैसे काम करती है D4 प्रणाली?
DRDO ने इस प्रणाली को विकसित करने के लिए अपने चार प्रमुख प्रयोगशालाओं – एलआरडीई (बेंगलुरु), डीएलआरएल, सीएचईएसएस (हैदराबाद) और आईआरडीई (देहरादून) – को एक साथ मिलाकर एक बहु-सेंसरी समाधान तैयार किया। इस प्रणाली में रडार, रेडियो फ्रीक्वेंसी डिटेक्टर, और इलेक्ट्रो-ऑप्टिक सिस्टम का समन्वय कर ड्रोन की पहचान की जाती है।
पहले चरण में ड्रोन को निष्क्रिय करने के लिए ‘सॉफ्ट किल’ तकनीकों जैसे RF जैमिंग, GNSS जैमिंग और GPS स्पूफिंग का प्रयोग किया जाता है, जिससे ड्रोन की दिशा भ्रमित हो जाती है। यदि इससे भी खतरा टलता नहीं है, तो ‘हार्ड किल’ के रूप में शक्तिशाली लेजर हथियारों का उपयोग कर ड्रोन को हवा में ही नष्ट कर दिया जाता है।
CDS ने बताया ड्रोन युद्ध का भविष्य
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में एक कार्यक्रम में बताया कि आज के युग में मानवरहित हवाई प्रणालियां (UAS) युद्ध के नियम बदल रही हैं। उन्होंने तेज गति, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों के इस्तेमाल से ड्रोन युद्ध को ‘कम लागत, ज्यादा प्रभाव’ वाला बताया।
पाकिस्तान की रणनीति यह है कि ड्रोन के झुंड भेजकर भारत की वायु रक्षा प्रणाली को थकाया जाए। लेकिन भारत की D4 प्रणाली ऊर्जा-आधारित हथियारों के कारण बार-बार उपयोग में लाई जा सकती है, बिना संसाधनों के खत्म होने के डर के।
सैन्य और राष्ट्रीय आयोजनों में तैनात
D4 प्रणाली को वाहन या स्थिर इकाइयों में तैनात किया जा सकता है। वाहन आधारित संस्करण युद्ध जैसी परिस्थितियों में उपयोग में लाया जा रहा है, जबकि स्थिर इकाइयों को सैन्य ठिकानों और राष्ट्रीय कार्यक्रमों की सुरक्षा में लगाया जा रहा है। इसकी 360-डिग्री कवरेज और छोटे ड्रोन को भी मार गिराने की क्षमता इसे और भी प्रभावशाली बनाती है।
‘मेक इन इंडिया’ का सशक्त उदाहरण
यह प्रणाली ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और अन्य घरेलू उद्योगों के सहयोग से निर्मित की जा रही है। इसकी प्रभावशीलता को गृह और रक्षा मंत्रालय की विभिन्न एजेंसियों ने मान्यता दी है और यह विदेशी सेनाओं को भी प्रदर्शित की जा चुकी है।
भारत की यह D4 प्रणाली न केवल दुश्मनों के ड्रोन हमलों को रोकने में सफल रही है, बल्कि यह देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता और सामरिक तैयारी का प्रमाण भी बन चुकी है।