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सड़क किनारे सुनाया गया ऐतिहासिक फैसला, तेलंगाना के न्यायाधीश ने पेश की मिसाल

बोधन (तेलंगाना), 5 मई 2025 / भारत की न्याय व्यवस्था में मानवीयता का एक अनोखा उदाहरण तब देखने को मिला, जब तेलंगाना के निजामाबाद ज़िले के बोधन नगर में न्यायाधीश एस. साई शिवा ने सड़क किनारे बैठे वृद्ध दंपती को न्याय सुनाकर मिसाल पेश की।

यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (वैवाहिक क्रूरता) से जुड़ा था, जिसमें कांतापु सयम्मा और उनके पति कांतापु नडपी गंगाराम पर 2021 में उनकी बहू द्वारा मामला दर्ज किया गया था। तीन वर्षों में इस मामले की लगभग 30 सुनवाइयाँ हुईं, और अंतिम निर्णय 22 अप्रैल 2025 को सुरक्षित रखा गया था।

निर्णय वाले दिन वृद्ध दंपती एक दुर्घटना में घायल होने के कारण अदालत की सीढ़ियाँ चढ़ने में असमर्थ थे। वे ऑटो-रिक्शा से अदालत परिसर पहुँचे। उनकी मजबूरी को देखते हुए अतिरिक्त न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट (JFCM) एस. साई शिवा स्वयं अदालत कक्ष से बाहर आए और सड़क किनारे ही दंपती की उपस्थिति में फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने दोनों को दोषमुक्त करार दिया, जिससे वर्षों से चल रहा मामला समाप्त हो गया।

न्यायाधीश साई शिवा, जिन्होंने 2023 में सिविल जज परीक्षा उत्तीर्ण की और हैदराबाद के महात्मा गांधी लॉ कॉलेज से स्नातक हैं, ने कहा, “बचपन से ही मुझे कानून में रुचि रही है। मेरा उद्देश्य न्याय में संतुलन बनाए रखना और त्वरित न्याय सुनिश्चित करना है।”

उनके इस कदम की पूरे राज्य में सराहना हो रही है। अधिवक्ताओं और नागरिकों का मानना है कि इस तरह के संवेदनशील और मानवीय दृष्टिकोण से लोगों का न्यायपालिका में विश्वास और मजबूत होता है।

यह घटना भारतीय न्याय व्यवस्था में उस मानवीय चेहरे की याद दिलाती है, जो कानून की सख्ती के बीच भी करुणा और संवेदना के लिए जगह बनाता है।