सुप्रीम कोर्ट ने 2025 वक्फ कानून पर अंतरिम आदेश पर विचार किया, कुछ प्रावधानों को स्थगित करने की संभावना
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2025 वक्फ कानून के कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर अंतरिम आदेश देने पर विचार करने की बात कही। इनमें ‘वक्फ-बाय-यूजर’, वक्फ बोर्डों में गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व और विवादित वक्फ भूमि की स्थिति बदलने के लिए कलेक्टर को दिए गए अधिकार शामिल हैं।
मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना ने इस मामले पर मौखिक टिप्पणियाँ करते हुए कहा, “हम सामान्यत: इस प्रकार के मामले में कानून के क्रियान्वयन को स्थगित नहीं करते, जब तक कि कोई असाधारण परिस्थितियाँ न हों। यह एक अपवाद प्रतीत होता है। हमारी चिंता यह है कि अगर वक्फ-बाय-यूजर को हटा दिया जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच में न्यायमूर्ति पी.वी. संजय कुमार और के.वी. विश्वनाथन भी शामिल थे।
वक्फ-बाय-यूजर पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता
2025 वक्फ कानून वक्फ-बाय-यूजर की अवधारणा को समाप्त करता है, जिसके तहत मुस्लिम धार्मिक या चैरिटी के उद्देश्य से लम्बे समय से उपयोग की जा रही भूमि को वक्फ माना जाता था, भले ही उसे पंजीकृत नहीं किया गया हो। इस पर कोर्ट ने कहा कि वक्फ-बाय-यूजर को पंजीकृत करना बहुत कठिन होगा और इस पर अस्पष्टता हो सकती है।
मुख्य न्यायधीश खन्ना ने कहा, “आप यह तर्क कर सकते हैं कि वक्फ-बाय-यूजर का दुरुपयोग हो रहा है, लेकिन साथ ही कुछ वास्तविक वक्फ-बाय-यूजर भी हैं। आप यह नहीं कह सकते कि कोई वास्तविक वक्फ-बाय-यूजर नहीं हो सकता।”
सरकार का रुख
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार के रुख का बचाव करते हुए कहा कि अगर वक्फ-बाय-यूजर पंजीकृत किया जाता है, तो वह ऐसा ही रहेगा। उन्होंने कहा, “1923 से वक्फ की पंजीकरण अनिवार्य है। यदि वक्फ-बाय-यूजर पंजीकृत है, तो वह वैसे का वैसे रहेगा। यह पंजीकरण की अनिवार्यता वक्फ कानून 1954 और 1995 में भी रही है।”
विवादित वक्फ भूमि की स्थिति पर भी बहस
2025 कानून में यह प्रावधान है कि अगर जिला कलेक्टर किसी संपत्ति को सरकारी भूमि मानता है, तो उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा जब तक कि अदालत इसका निर्धारण न कर दे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर अपनी जांच कर सकता है, लेकिन उसकी निर्धारण की प्रभाविता को स्थगित किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगले दिन 17 अप्रैल को फिर से सुनवाई करने का निर्णय लिया और कहा कि वह यह तय करेगा कि क्या यह मामले एक उच्च न्यायालय को भेजे जाएं या नहीं।
वक्फ कानून को चुनौती
सिंहवी ने कोर्ट में कहा कि वर्तमान में लगभग 8 लाख वक्फ हैं, जिनमें से लगभग 4 लाख वक्फ-बाय-यूजर हैं, और नए प्रावधान ने इन्हें एक ही झटके में समाप्त कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कानून मुस्लिम नागरिकों के विश्वास को संसद द्वारा हड़पने जैसा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और इस पर अंतिम निर्णय के लिए आगे सुनवाई जारी रखने की बात कही है।