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औद्योगिक पुनर्जागरण की ओर बस्तर : नई नीति से विकास को मिलेगी नई रफ्तार

रायपुर, 15 अप्रैल 2025/ मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर संभाग को औद्योगिक विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। नई औद्योगिक नीति 2024-30 के तहत बस्तर के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिससे यहां की आर्थिकी को गति मिलेगी और युवाओं को रोजगार के व्यापक अवसर सुलभ होंगे।

जगदलपुर में आयोजित ‘विकसित बस्तर की ओर’ परिचर्चा में मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (MSME) को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके साथ ही खनिज, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन आधारित उद्योगों की अपार संभावनाओं को साकार करने के लिए ठोस रोडमैप तैयार किया गया है।

वर्तमान में बस्तर संभाग में 690 MSME इकाइयाँ संचालित हो रही हैं। चावल मिल, ईंट निर्माण, और धातु निर्माण यहां के प्रमुख उद्योग क्षेत्र हैं। साथ ही एनएमडीसी, एस्सार, ब्रज इस्पात और एएमएनएस इंडिया जैसी बड़ी कंपनियाँ भी यहां मौजूद हैं। संभाग से प्रतिवर्ष लगभग 102 करोड़ रुपये का निर्यात होता है, जिसमें लौह अयस्क की प्रमुख हिस्सेदारी है।

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औद्योगिक नीति 2024-30 के अंतर्गत बस्तर के 32 में से 28 विकासखंडों को ‘समूह-3’ श्रेणी में रखा गया है, जिससे अधिकतम प्रोत्साहन मिल सके। इस्पात उद्योगों को 15 वर्षों तक रॉयल्टी प्रतिपूर्ति, जबकि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए रोजगार में 5 वर्षों तक वेतन का 40% सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। SC/ST और नक्सल प्रभावित क्षेत्र के उद्यमियों के लिए 10% अतिरिक्त सब्सिडी, प्रशिक्षण व्यय प्रतिपूर्ति और 25% तक मार्जिन मनी सब्सिडी जैसी सुविधाएँ नीति में शामिल की गई हैं।

नीति के तहत स्थानीय युवाओं और महिलाओं को ध्यान में रखते हुए वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, हस्तशिल्प, और हर्बल उत्पादों पर आधारित क्लस्टर की स्थापना की जा रही है। जनजातीय युवाओं और महिला उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना, भौगोलिक संपर्क, और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नेटवर्क से एकीकरण पर विशेष बल दिया गया है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा, “हमारा लक्ष्य बस्तर को विकसित बनाना है। उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण है, और हमने नीति में विशेष प्रावधान कर यह सुनिश्चित किया है कि स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक रोजगार मिले।” उन्होंने आश्वस्त किया कि जल्द ही बस्तर में पूर्ण शांति स्थापित होगी और नक्सलवाद समाप्त होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बस्तर के वन संसाधनों, विशेषकर महुआ आधारित उद्योगों का उपयोग कर स्थानीय समृद्धि की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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इस परिचर्चा में उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, सांसद श्री महेश कश्यप, विधायक श्री किरण सिंह देव, प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत सहित बस्तर संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर, विभागीय सचिव, चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि और स्थानीय उद्योगों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।