हथियारबंद आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा से पूछताछ शुरू, एनआईए की निगाहें पाकिस्तान कनेक्शन पर
वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा से शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और अन्य खुफिया एजेंसियों ने औपचारिक पूछताछ शुरू की। इस पूछताछ में अधिकारियों का फोकस राणा के पाकिस्तान में मौजूद सह-साजिशकर्ताओं, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और ISI से संबंधों, तथा भारत में उसकी गतिविधियों पर है।
गौरतलब है कि दिल्ली की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार तड़के राणा को 18 दिन की एनआईए हिरासत में भेजा था। अदालत के आदेश के तुरंत बाद उसे एनआईए मुख्यालय लाया गया, जहां कुछ समय विश्राम देने के बाद पूछताछ शुरू की गई।
‘प्रोटेक्टेड विटनेस’ से कराया जाएगा सामना
जांच एजेंसियों की नजर राणा से जुड़े एक ‘संरक्षित गवाह’ (Protected Witness) पर भी है, जिसने 2006 में डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई में रिसीव किया था और उसकी ठहरने और घूमने की व्यवस्थाएं की थीं। बताया जा रहा है कि यही गवाह राणा के बेहद करीबी था और जल्द ही उसका राणा से आमना-सामना कराया जा सकता है।
विडियो रिकॉर्डिंग और अमेरिका से लाए गए सबूतों पर निर्भरता
एनआईए राणा की पूछताछ की वीडियोग्राफी कर रही है और अमेरिकी एफबीआई द्वारा दर्ज किए गए कुछ कॉल रिकॉर्डिंग्स पर भी निर्भर कर रही है। इन कॉल्स में राणा और हेडली के बीच पाकिस्तान स्थित आर्मी व ISI के हैंडलर्स के साथ बातचीत की जानकारी है।
राणा की भारत यात्राएं और संभावित साजिशें
एनआईए अधिकारियों के अनुसार, राणा ने 2005 में लश्कर के निर्देश पर भारत में संभावित हमलों की साजिश के तहत हेडली को भेजा था। हेडली ने देश के कई शहरों — मुंबई, गोवा, आगरा, दिल्ली, कोच्चि — में संभावित टारगेट्स की रेक्की की थी। इसी के आधार पर मुंबई हमला संभव हुआ।
एनआईए अब यह पता लगाने में जुटी है कि क्या राणा और हेडली की योजनाएं सिर्फ मुंबई तक सीमित थीं या अन्य शहरों में भी हमलों की योजना थी। राणा को इन शहरों में ले जाकर उसकी पहचान भी कराई जा सकती है।
झूठे दस्तावेजों के जरिए वीज़ा और बैंक खाता खुलवाने का आरोप
जांच में यह भी सामने आया है कि हेडली के लिए राणा ने भारत सरकार को फर्जी दस्तावेजों के जरिए वीजा आवेदन दिया था और भारतीय रिजर्व बैंक में खाता खोलने के लिए जाली दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। इन तथ्यों की भी पुष्टि की जा रही है।
देश की सुरक्षा व्यवस्था पर पड़े गहरे प्रभाव
मुंबई हमलों के बाद भारत की खुफिया और सुरक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव किया गया, और एनआईए जैसी एजेंसियों का गठन इसी के बाद हुआ। अब 16 साल बाद राणा की भारत में मौजूदगी और पूछताछ, न केवल सच्चाई उजागर करने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में ऐसे हमलों की रोकथाम के लिए भी अहम सबूत जुटा सकती है।