सुलभ सहकारी ॠण से खेती करना हुआ आसान
सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को मिल रही सुविधाओं से खेती करना अब आसान हो गया है। इन समितियों से किसानों को कृषि के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण मिलता है। खाद और बीज भी रियायती दरों पर किसानों को दिया जाता है। शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण मिलने से किसानों को बड़ी राहत मिली है। अब उन्हें भारी ब्याज पर साहूकारों और महाजनों से कर्ज नहीं लेना पड़ता। सहकारी समितियों के माध्यम से सरकार समर्थन मूल्य पर किसानों की उपज खरीदती है। इससे किसानों को फसलों के अच्छे दाम मिल रहे हैं और वे खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
हमर छत्तीसगढ़ योजना में अध्ययन भ्रमण पर रायपुर आए कोरबा जिले के आदिवासी सेवा सहकारी समिति कोरकोमा के उपाध्यक्ष श्री उमाशंकर सोनी कहते हैं कि सरकार किसानों की हर तरह से मदद कर रही है। फसल के नुकसान पर मुआवजा भी दिया है। वे बताते हैं कि पिछले वर्ष उनके इलाके में कई किसानों की फसल सूख गई थी, जिसका मुआवजा प्रति एकड़ छह हजार रूपए के हिसाब से किसानों को मिला है। उनके क्षेत्र में करीब 14 लाख रूपए फसल मुआवजे के रूप में किसानों को वितरित किए गए हैं।
आदिवासी सेवा सहकारी समिति कोरकोमा के उपाध्यक्ष श्री उमाशंकर सोनी ने बिजनेस मैनेजमेंट कोर्स किया है। बी.एड. करने के बाद 11 साल सरस्वती शिशु मन्दिर में पढ़ाया भी है। वे पिछले 11 वर्षों से सहकारिता क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इस दौरान वे अपने गाँव कोरकोमा के सरपंच भी चुने गए। श्री सोनी बताते हैं कि उनकी सहकारी समिति में 32 गांव के किसान जुड़े हुए हैं। क्षेत्र के 1,100 किसान उनकी सहकारी समिति में हैं। कृषि विभाग की शाकम्भरी योजना के तहत उनकी समिति ने 14 सिचाई पंपो, दो ट्रैक्टरों एवं सात डेयरियों के लिए किसानों को ऋण दिया है। इससे किसानों और पशुपालकों ने अपने व्यवसाय को मजबूत किया है और अब उन्हें बेहतर आमदनी हो रही है।