एक और नई पहल…
यह समय सूचनाओं का, विमर्शों का समय है. चीज़ें तेज़ी के साथ बदल रही है. घटनाएं द्रुत गति से घटित हो रही है. एक हादसे से उबर नहीं पाते कि दूसरा सामने आजाता है.सोच में बदलाव आ रहा है.हम सब लोग अच्छे और बुरे विचार दोनों से रू-ब-रू हो रहे है. ऐसे वक्त में इन तमाम पहलुओं को देखने-समझने वाला और इन सब पहलुओं पर चिंता-चर्चा करने वाला बौद्धिक समाज भी सामने आना चाहिए. पत्रकारिता के माध्यम से यह काम आसान हो जाता है.
इस वक़्त अंतरजाल में कुछ ही पत्रिकाएं है, जो इन तमाम पहलुओं पर अच्छा काम कर रही है. इस दिशा में अभी और गुंजाइश है. ”साथी हाथ बढ़ाना” की तर्ज़ पर. यही सोच कर ‘न्यूज़ एक्सप्रेस” का आगाज़ हो रहा है. हालांकि नाम से यह भ्रम हो सकता है कि कोई अंग्रेज़ी अखबार तो नहीं शुरू हो रहा है. ऐसा कुछ नहीं है. समाचारों की दुनिया में ‘न्यूज” या ”एक्सप्रेस” बेहद परिचित शब्द है.
आमआदमी भी इन शब्दों से भलीभांति परिचित है. इसलिये हिंदी पोर्टल का नाम अगर ‘न्यूज़ एक्सप्रेस” है तो भी अब सहज स्वीकार किया जा सकता है. इस समाचार-पत्र पर में जीवन के हर पहलू पर चर्चा होगी. राजनीति, साहित्य, धर्म-अध्यात्म, खेल आदि सारे आयामों पर ‘न्यूज़ एक्सप्रेस” प्रकाश डालता रहेगा. और महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘न्यूज़ एक्सप्रेस” किसी ख़ास राजनीतिक विचारधारा का वाहक नहीं है.
हम अच्छी के साथ है और बुरे के विरुद्ध खड़े रहेंगे.लेकिन हर विचार का यहाँ स्वागत होगा. चाहे वामपंथी हो, चाहे दक्षिणपंथी.यह मंच विमर्श और बहसों के जरिये समाज में वैचारिक आन्दोलन का वातावरण बनने का कार्य भी करेगा. पत्रकारिता केवल सूचनाये भर नहीं देती, वह समाज को सही दिशा में सोचने का मंत्र भी देती है. हमारी कोशिश रहेगी कि हम इन दो दिशाओं में काम करें.
विचारशील लोगों की सख्या घटती जा रही है. जो लोग इस दिशा में कार्य कर रहे है, उनके लिये ‘न्यूज़ एक्सप्रेस” में स्वागत है. आपके विचार लोककल्याणकारी हो. समाज में नफ़रत नहीं, प्यार का प्रसार करने वाले सक्रिय रहे.समाजविरोधी ताकतों को ध्वस्त करना ही लेखन मकसद होना चाहिए. ‘न्यूज़ एक्सप्रेस” के माध्यम से अभी तो एक बौद्धिक-शुरुआत की गई है. इस मंच के माध्यम से लेखक और ब्लॉगर अपने विचार भेज सकते हैं.आप सबके सुझावों के सहारे इसे और बेहतर बनाया जा सकता है. इंतज़ार रहेगा आपकी लेखनी का, आपके सुझावों का..आपकी शुभकामनाओं का
गिरीश पंकज