विचार और आचरण के भेद को मिटाना जरुरी – डॉ. जीवन सिंह
बिलासपुर। शहीद भगत सिंह का दर्जा इसलिए सबसे अलग हैं, क्योंकि वे महान क्रांतिकारी देशभक्त होने के साथ ही विचारक थे तथा उन्होंने विचार और आचरण के भेद को अपने जीवन से मिटा दिया था. उन्होंने अंग्रेजों को भारत से बेदखल करने के साथ ही वैज्ञानिक समाजवाद की अवधारणा के अनुरूप नए भारत के निर्माण की दिशा में संघर्ष किया.
शहीद भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु के शहादत दिवस पर भगत सिंह विचार मंच, जनवादी लेखक संघ, सम्यक विचार मंच, नौजवान सभा द्वारा शहर के आईएमए भवन में आयोजित संगोष्ठी में सुप्रसिद्ध विचारक- चिंतक, समालोचक डॉ. जीवन सिंह ने मुख्य वक्ता की हैसियत से विस्तार पूर्वक आजादी के आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए शहीद भगत सिंह के संघर्ष और वैचारिक पृष्ठभूमि पर चर्चा की.
उन्होंने कहा कि आज भगत सिंह उतने ही प्रासंगिक हैं, जब साम्राज्यवादी ताकतें विश्व में अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए सारा जोर लगा रही हैं. भारत सहित विश्व के तमाम देशों की मेहनतकश जनता के संघर्षो का विस्तार पूर्वक जिक्र करते हुए साम्राज्यवादी साजिशों को बेनकाब किया.
कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार गणेश तिवारी ने उपस्थितों से विचार और आचरण के भेद को मिटाने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन शाकिर अली ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन नन्द कुमार कश्यप ने किया.
संगोष्ठी में कृषक नेता आनंद मिश्रा, डॉ. सी. रहालकर, बब्लू दुबे, जे.के. कर, पत्रकार नथमल शर्मा, आलोक प्रकाश पुतुल, आलोचक डॉ. राजेश्वर सक्सेना, डॉ. कालीचरण यादव, प्रताप सिंह, सुखऊ निषाद, सुनील चिपड़े, राजेश शर्मा, गणेश निषाद, विनोद व्यास, सी.के. खांडे, सामाजिक कार्यकर्ता सत्यभामा अवस्थी सहित विभिन्न संगठनों के सदस्य व गणमान्य नागरिकगण उपस्थित थे.