लोक कलाओं के साथ पारम्परिक वेशभूषा का होगा दस्तावेजीकरण
रायपुर/ राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ की परम्परागत लोक कलाओं सहित पारम्परिक वेशभूषाओं का दस्तावेज तैयार करने का निर्णय लिया है। पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री अजय चंद्राकर ने आज राजधानी रायपुर स्थित विश्राम भवन में आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को इसके लिए कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए। श्री चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति के संरक्षण की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण कार्य योजना होगी। इसके अंतर्गत कर्मा-ददरिया जैसे आंचलिक लोक नृत्यों और उनमें शामिल होने वाले लोक कलाकारों की वेशभूषा का भी दस्तावेजीकरण किया जाएगा। अन्य कला विधाओं का भी दस्तावेज तैयार किया जाएगा।
श्री चन्द्राकर ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश के पुरातात्विक स्थलों और प्राचीन स्मारकों के रख रखाव और उनकी सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में भी अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के स्थानों सहित प्राचीन स्मारकों की सुरक्षा के लिए पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा जाए। बैठक में सचिव पर्यटन एवं संस्कृति विभाग श्री आरण्सीण् सिन्हा सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। श्री चन्द्राकर ने बैठक में प्रदेश की महान विभूतियों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अलग-अलग संकलन प्रकाशित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य में सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ साहित्यिक गतिविधियों को भी विभाग के माध्यम से बढ़ावा दिया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा संरक्षित 58 धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए भी उन्होंने अधिकारियों को कार्य योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए, संस्कृति मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा के और भी अधिक विकास के लिए छत्तीसगढ़ी शब्दकोष और छत्तीसगढ़ी व्याकरण की पुस्तकें भी तैयार की जानी चाहिए और इसके लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्रतिष्ठित साहित्यकारों से सम्पर्क कर उनसे भी सहयोग का आग्रह करना चाहिए। पुरातत्व विभाग द्वारा स्थापित संग्रहालयों के सौन्दर्यीकरण और प्रदर्शन को आधुनिक स्वरूप देने के निर्देश दिए।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में रायपुर स्थित महंत घासीदास संग्रहालय का सौन्दर्यीकरण किया जा रहा है। प्रदेश के अन्य संग्रहालयों के सौन्दर्यीकरण के लिए कार्य योजना बनायी जा रही है। मासिक वित्तीय सहायता पेंशन योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2013.14 में आश्रित कलाकारों को 14 लाख रूपए और कलाकार कल्याण कोष योजना में 75 कलाकारों को 13 लाख रूपए की सहायता प्रदान की गयी है। श्री चन्द्राकर ने कहा कि राज्योत्सव और अन्य महोत्सवों में राज्य के विभिन्न अंचलों के प्रतिष्ठित कलाकारों को अवसर दिया जाना चाहिए। उन्होंने विभागीय वेबसाइट में नवीन तथ्यों को निरन्तर अपलोड करने के निर्देश दिए। श्री चंद्राकर ने बताया कि महन्त सर्वेश्वरदास पुस्तकालय को राज्य सरकार द्वारा केन्द्रीय ग्रंथालय का दर्जा दिया गया हैए इसे शीघ्र ई. लाइब्रेरी के रूप में विकसित करना सुनिश्चित करें।