लाला जगदलपुरी स्मृति साहित्य एवं संस्कृति शोध क्रेन्द की होगी स्थापना
बैठक की शुरुआत श्री रुद्रनारायण पाणिग्राही के सम्बोधन के साथ हुई। उन्होंने इस केन्द्र की स्थापना के लिये पिछले दो वर्षों से किये जा रहे प्रयासों के विषय में बताया और इसे आगे बढ़ाया श्री विक्रम सोनी ने केन्द्र की नियमावली का वाचन करते हुए। नियमावली के वाचन के साथ-साथ उसके प्रत्येक बिन्दु पर चर्चा भी होती रही।
इस केन्द्र का नाम “लाला जगदलपुरी स्मृति साहित्य एवं संस्कृति शोध केन्द्र”होगा। इसका प्रमुख उद्देश्य बस्तर अंचल की विभिन्न लोक भाषाओं का संरक्षण, संवर्धन और विस्तार है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि यह केन्द्र लोक भाषाओं के साथ-ही-साथ हिन्दी तथा उर्दू भाषाओं के लिये भी काम करेगा।
बैठक में उपस्थित साहित्यकारों ने बस्तर की बोली, भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संवर्धन तथा संरक्षण के लिए संगठित उपक्रम बनाने की दिशा में चितंन करते हुए “लाला जगदलपुरी स्मृति साहित्य एवं संस्कृति शोध केन्द्र” स्थापना करने का निर्णय लिया।
इस बैठक में सर्वश्री सुरेन्द्र रावल, हयात रज़वी, हरेन्द्र यादव, विश्वनाथ देवांगन, खीरेन्द्र यादव, खेम वैष्णव, ब्रजेश तिवारी, डॉ. राजाराम त्रिपाठी, हर्ष लाहोटी, यशवंत गौतम, जमील खान, महेश पाण्डे, बनऊ राम नाग, सर्वसुश्री मधु तिवारी, जयमती कश्यप, अंजनी मरकाम, नंदिता वैष्णव (कोंडागाँव), सर्वश्री मदन आचार्य, रुद्रनारायण पाणिग्राही, विक्रम सोनी, सनत जैन, जोगेन्द्र महापात्र “जोगी”, बलबीर सिंह कच्छ, भरत गंगादित्य, डॉ. राजेन्द्र सिंह, सर्वसुश्री उर्मिला आचार्य, सुषमा झा, (जगदलपुर), सर्वश्री शिवकुमार पाण्डेय (नारायणपुर) और घनश्याम सिंह नाग (बहीगाँव)। इस बैठक में सहयोगी रहे चि. नवनीत वैष्णव, चि. सत्येन्द्र नेताम, चि. मधुसूदन पेगड़, चि. मुन्ना पटेल और चि. इन्द्र शर्मा उपस्थित थे।
संस्था के लिए अंतरिम कार्यकारिणी का गठन करते हुए सभी ने सर्व सम्मति से श्री हरिहर वैष्णव को अध्यक्ष चुना तथा उपाध्यक्ष सुश्री सुषमा झा, सचिव श्री रुद्रनारायण पाणिग्राही, सह सचिव श्री बलबीर कच्छ और कोषाध्यक्ष श्री विक्रम सोनी का मनोनयन सर्वसम्मति से हुआ। इसी तरह 16 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति का भी गठन किया गया, जिसमें सर्वश्री सुरेन्द्र रावल, हयात रज़वी, यशवंत गौतम, हरेन्द्र यादव, ब्रजेश तिवारी, खीरेन्द्र यादव, विश्वनाथ देवांगन, सर्वसुश्री जयमती कश्यप, नंदिता वैष्णव (कोंडागाँव), डॉ. राजेन्द्र सिंह, सर्वश्री जोगेन्द्र महापात्र “जोगी”, भरत गंगादित्य, सनत जैन, सुश्री उर्मिला आचार्य (जगदलपुर), श्री शिवकुमार पाण्डेय (नारायणपुर) और श्री घनश्याम सिंह नाग (बहीगाँव) सम्मिलित हैं।
संस्कृति एवं साहित्य के संरक्षण तथा संवर्धन की दृष्टि से बस्तर में यह अभिनव शुरुआत है, अवश्य ही इसका लाभ साहित्य एवं शैक्षणिक जगत को मिलेगा।