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राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा बजट

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज कहा- नये वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए राज्य का लगभग 81 हजार करोड़ का बजट छत्तीसगढ़ के इतिहास का सबसे बड़ा बजट है। उन्होंने कहा कि इस बजट के लिए आज विधानसभा में विनियोग विधेयक पारित हुआ है। मैंने सदन में बताया-छत्तीसगढ़ वित्तीय मापदण्डों पर किस तरह खरा उतरेगा, इसके लिए किसी राज्य के वित्तीय प्रबंधन को उसकी वित्तीय कसौटी पर कसा जाता है। राज्य न सिर्फ अपने संसाधनों से राजस्व बढ़ा रहा है, बल्कि केन्द्र से भी संसाधन जुटाने में हम कामयाब रहे हैं। केन्द्रीय करों में राज्य का हिस्सा वर्ष 2003-04 में सिर्फ 1570 करोड़ रूपए था, जो नये वित्तीय वर्ष 2017-18 में 20 हजार 868 करोड़ रूपए हो जाएगा। इस प्रकार केन्द्रीय करों में राज्य का हिस्सा 13 गुना बढ़ेगा।
उन्होंने कहा-छत्तीसगढ़ का वित्तीय प्रबंधन बेहतर है। उन्होंने बताया-नये वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए प्रदेश सरकार के बजट का कुल आकार 80 हजार 959 करोड़ 27 लाख रूपए है। इसमें कुल प्राप्तियां 75 हजार 952 करोड़ 11 लाख रूपए, कुल शुद्ध व्यय 76 हजार 31 करोड़ 62 लाख रूपए और राजस्व व्यय 61 हजार 312 करोड़ 83 लाख रूपए है। यह कुल व्यय का 81 प्रतिशत होगा। पूंजीगत व्यय 14 हजार 453 करोड़ 83 लाख रूपए है, जो कुल व्यय का 19 प्रतिशत होगा। बजट में राजस्व आधिक्य चार हजार 780 करोड़ 97 लाख रूपए और राजकोषीय घाटा 9 हजार 646 करोड़ 64 लाख रूपए है। मुख्यमंत्री ने कहा-छत्तीसगढ़ सरकार के राजस्व में स्वयं के करो से नौ गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2003-04 में हमारा स्वयं का कर-राजस्व 2588 करोड़ रूपए था, जो नये वित्तीय वर्ष 2017-18 में बढ़कर 23 हजार 421 करोड़ रूपए हो जाएगा। वाणिज्य-कर संग्रहण वर्ष 2003-04 में सिर्फ 1572 करोड़ रूपए था, जो इस वर्ष 10 हजार करोड़ से अधिक हो गया है।

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उन्होंने बताया- जीएसडीपी के प्रतिशत में 15.5 प्रतिशत ऋण भार के साथ देश में छत्तीसगढ़ न्यूनतम ऋण भार वाला राज्य है। अन्य राज्यों का औसत ऋण भार 22 प्रतिशत है। डॉ. सिंह ने यह भी कहा-जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में छत्तीसगढ़ 21.2 प्रतिशत विकास मूलक व्यय के साथ देश में गैर विशेष श्रेणी के राज्यों में प्रथम स्थान पर है। सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं में जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में 15 प्रतिशत व्यय के साथ भी हमारा छत्तीसगढ़ गैर विशेष श्रेणी के राज्यों में पहले नम्बर पर है, जबकि अन्य सभी राज्यों में सामाजिक क्षेत्र पर व्यय का औसत सिर्फ 7.4 प्रतिशत है। इससे स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों की तुलना में सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं में दोगुने से ज्यादा खर्च कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया-शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का औसत व्यय 19.4 प्रतिशत है और इसमें हम द्वितीय स्थान पर हैं, जबकि अन्य सभी राज्यों का औसत सिर्फ 16.4 प्रतिशत है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक आमदनी वर्ष 2003 में लगभग 13 हजार रूपए थी, जो अब सात गुना बढ़कर 91 हजार 772 रूपए हो गई है।

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